कालीबंगा सभ्यता- विशेषता, खोज, उत्खनन और पतन.

कालीबंगा सभ्यता राजस्थान राज्य के हनुमानगढ़ जिले में घग्घर नदी के दाहिने तट पर स्थित है. कालीबंगा का अर्थ होता है काले रंग की चूड़ियां. यह चूड़ियां काले रंग के पत्थरों से बनी हुई थी. कालीबंगा सभ्यता से प्राप्त अवशेष प्राक् हड़प्पा और हड़प्पाकालीन संस्कृति से संबंधित है. कालीबंगा की सभ्यता उस समय चूड़ियों के लिए प्रसिद्ध थी.

बी.बी. लाल एवं बी. के. थप्पड़ द्वारा वर्ष 1961-69 में यहां पर खुदाई करवाई गई थी. जिसमें प्राचीन कालीबंगा सभ्यता से संबंधित अनेक अवशेष प्राप्त हुए हैं. जिनके आधार पर कालीबंगा सभ्यता की विशेषता और समय काल का पता चलता है. कालीबंगा एक ऐतिहासिक स्थान है जहां पर प्राक हड़प्पा एवं हड़प्पा कालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं.

कालीबंगा सभ्यता जिस स्थान पर मौजूद है वहां पर पहले सरस्वती नदी बहती थी जो कालांतर में सूख गई और अब उस स्थान पर घग्घर नामक नदी हैं.

कालीबंगा सभ्यता परिचय

कालीबंगा सभ्यता की प्राचीनता4000 ईसा पूर्व.
कालीबांगा सभ्यता की खोजइतालवी इंडोलॉजिस्ट और भाषाविद लुइगी पियो टेसिटोरी.
कालीबंगा सभ्यता कहां हैहनुमानगढ़ जिले में.
किस नदी के तट परसरस्वती और दृषद्वति.
वर्तमान नदीघग्घर नदी.
सर्वप्रथम कालीबंगा की खुदाई किसने किअमलानंद घोष (1952 ईस्वी में).
कालीबंगा से प्राप्त साक्ष्यप्राक हड़प्पा कालीन, हड़प्पा कालीन और उत्तर हड़प्पा कालीन.
कालीबंगा में प्राप्त टीलेKLB1 (पश्चिम में छोटा टीला), KLB2 (मध्य में बड़ा टीला) और KLB3 (पूर्व में सबसे छोटा टीला).
Kalibanga Sabhyata

कालीबंगा सभ्यता राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले मैं मौजूद है. यहां पर प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं. प्राचीन काल में कालीबंगा एक छोटा नगर या कस्बा था जहां पर खुदाई में एक दुर्ग भी मिला है. प्राचीन समय में यहां पर सरस्वती और दृषद्वति नामक नदियां बहती थी. कालांतर में सरस्वती नदी सूख गई और विलुप्त हो गई. अब सरस्वती नदी की जगह घग्घर नदी बहती है.

कालीबंगा सभ्यता को 4000 ईसा पूर्व से भी अधिक पुरानी माना जाता है. सबसे पहले वर्ष 1952 में कालीबंगा सभ्यता की खोज अमलानंद घोष ने की थी. विश्व का सबसे पहले जोता हुआ खेत का अवशेष भी कालीबंगा सभ्यता में प्राप्त हुआ. अनुमानित रूप से 2900 ईसा पूर्व तक यहां पर एक विकसित कस्बा हुआ करता था.

अमलानंद घोष ने सबसे पहले कालीबंगा सभ्यता की खोज की थी. उस समय कालीबंगा सभ्यता और संस्कृति बहुत ही समृद्ध थी. कालांतर में प्राकृतिक कारणों के चलते इस महान सभ्यता का अंत हुआ. यहां पर बहने वाली सरस्वती नदी सूख गई और धीरे-धीरे लुप्त हो गई. इस नदी के साथ ही यहां पर रहने वाले लोग और सभ्यता का भी अंत हो गया.

कालीबंगा की खुदाई

वर्ष 1952 में सर्वप्रथम कालीबंगा की खुदाई का कार्य प्रारंभ किया गया. कालीबंगा की खुदाई पांच चरणों में हुई थी. वर्ष 1952 के बाद वर्ष 1961 ईस्वी से लेकर 1969 ईस्वी तक निरंतर 8 वर्षों तक यहां पर उत्खनन कार्य किया गया. प्रथम दो चरणों से प्राप्त अवशेष हड़प्पा सभ्यता से भी प्राचीन जबकि बाकी तीन चरणों से प्राप्त अवशेष हड़प्पा सभ्यता के समकालीन थे.

घग्घर नदी के दो टीलों को खुदाई के लिए चुना गया. इन दोनों की ऊंचाई 12 मीटर थी तथा आधा किलोमीटर तक फैले हुए थे. कालीबंगा में मुख्यतः दो टीले हैं जिनमें पश्चिमी टीला अपेक्षाकृत छोटा और ऊंचा है जबकि द्वितीय टीला जो कि पूर्वी टीले के नाम से जाना जाता है की ऊंचाई अपेक्षाकृत कम है तथा फैलाव क्षेत्र ज्यादा है.

कालीबंगा सभ्यता की खोज कब हुई?

कालीबांगा सभ्यता की खोज का श्रेय इतालवी इंडोलॉजिस्ट और भाषाविद लुइगी पियो टेसिटोरी को दिया जाता हैं लेकिन कालीबंगा की सबसे पहले खोज अमलानंद घोष द्वारा 1951 ईस्वी में की गई थी. बृजवासी लाल और बालकृष्ण थापर द्वारा वर्ष 1961 से लेकर वर्ष 1969 तक खुदाई का कार्य किया गया था.

कालीबंगा सभ्यता की खुदाई का कार्य पांच स्तरों या चरणों में हुआ था. वर्ष 1985-86 में राजस्थान सरकार द्वारा एक संग्रहालय की स्थापना की गई ताकि प्राप्त अवशेषों को संरक्षित किया जा सके. वर्ष 1961 ईस्वी में भारत सरकार द्वारा कालीबंगा अवशेष पर 90 पैसे का डाक टिकट जारी किया.

कालीबंगा सभ्यता की विशेषता या प्रसिद्धि की वजह

कालीबंगा सभ्यता राजस्थान की ही नहीं अपितु विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक हैं. कालीबंगा सभ्यता की विशेषताएं निम्नलिखित है –

[A] कालीबंगा की खुदाई-

1. कालीबंगा में सर्वप्रथम खुदाई का कार्य वर्ष 1952 में अमलानंद घोष द्वारा प्रारंभ किया गया था.

2. वर्ष 1961 ईस्वी से लेकर वर्ष 1969 ईस्वी तक कालीबंगा में पुनः उत्खनन का कार्य बी.बी. लाल एवं बी. के. थप्पड़ द्वारा किया गया था.

3. कालीबंगा की खुदाई का कार्य 5 स्तरों या चरणों में किया गया.

4. कालीबंगा की खुदाई के प्रथम दो स्तरों को हड़प्पा सभ्यता से भी प्राचीन माना गया जबकि बाकी तीन स्तरों को हड़प्पा सभ्यता के समकालीन माना गया है.

5. कालीबंगा प्राचीन सरस्वती नदी के तट पर स्थित थी. वर्तमान में सरस्वती नदी की जगह घग्गर नदी बहती है.

6. कालीबंगा में खुदाई के लिए 2 टीमों को चुना गया जिनकी ऊंचाई धरातल से लगभग 12 मीटर थी और आधा किलोमीटर क्षेत्रफल था.

[B] नगर एवम भवन

1. कालीबंगा की खुदाई में प्राप्त मकानों की कतारों के मध्य सड़कें और गलियां थी.

2. कालीबंगा सभ्यता की नगर निर्माण कला सिंधु सभ्यता की नगर निर्माण कला के समान है.

3. मकानों का निर्माण मिट्टी की ईंटों से किया गया.

4. ईटों का आकार 30*15*7.5 सेमी था, चुनाई के बाद मिट्टी से इन पर प्लास्टर किया जाता था.

5. कालीबंगा की खुदाई में मिले मकानों की फर्स चिकनी मिट्टी की बनी हुई तथा मकानों में चार-पांच कमरे, एक दालान और कुछ छोटे कमरे होते थे.

6 कालीबंगा में ईटें धूप में पकाई जाती थी.

7. पानी की निकासी के लिए नालियां और गड्ढे बने हुए थे.

8. कालीबंगा में रहने वाले लोग अपने स्वास्थ्य और सफाई के प्रति सजग थे.

9. कालीबंगा के मकानों की छत लकड़ी से बनी होती थी.

10. घरों में भोजन चूल्हे पर पकाया जाता था.

11. दूल्हे एवं गुरु से दुआ निकालने के लिए व्यवस्था की गई थी.

12. कालीबंगा में खुदाई में हड़प्पा सभ्यता से भी प्राचीन सभ्यता के अवशेष मिले हैं, यही वजह है कि इसे प्राक हड़प्पा सभ्यता कहा जाता हैं.

[C] बर्तन-

1. कालीबंगा की खुदाई में लाल रंग के मिट्टी के बर्तनों के अवशेष मिले हैं यह हल्के और पतले थे, जिन्हें चाक पर बनाया जाता था.

2. कालीबंगा की खुदाई में तवे, पेंदे वाले ढक्कन, घड़े, लोटे, हानियां, प्याले, रकाबियां, सरावलें आदि बर्तन प्राप्त हुए हैं.

3. पशु और पक्षियों के खिलौने अवशेष के रूप में प्राप्त हुए हैं.

4. इसके अतिरिक्त तांबे के औजार, चाकू, तांबे की चूड़ियां, तोल के बांट, मिट्टी की मोहरे, चूड़ियां आदि प्राप्त हुए हैं.

5. सैंधव लिपि से मिलती-जुलती लिपि मिट्टी के भांडों और मोहरों पर अंकित की गई हैं जो अब तक अपठनीय हैं.

6. दाएं से बाएं लिखी गई इस लिपि में अक्षर एक दूसरे के ऊपर खुले हुए होने की वजह से पढ़ें नहीं जा सकते हैं.

[D] दुर्ग-

1. राजस्थान की सभ्यता कालीबंगा की खुदाई में दुर्ग के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं.

2. यह दुर्ग टीले पर बनाया गया था.

3. दुर्ग की आकृति समचतुर्भुज आकार की थी.

4. दुर्ग के परकोटे का निर्माण ईटों के द्वारा किया गया था.

5. गलियारों द्वारा विभक्त चबूतरो का निर्माण दुर्ग के दक्षिण में ईंट और मिट्ठी से किया गया था.

6. दुर्ग में प्रवेश के लिए उत्तर दिशा और दक्षिण दिशा में दो द्वार बने हुए थे.

7. ऊंचे चबूतरे थे, चबूतरो पर कुआ और अग्निवेदिका बनी हुई थी जो धार्मिक अनुष्ठान के लिए बनाए गए होंगे.

8. अग्नि वेदिका का आकार आयताकार कुंडनुमा था.

9. दुर्ग में प्रवेश के लिए सीढ़ियां बनी हुई थी.

[E] अंतिम संस्कार की व्यवस्था-

1. राजस्थान की प्राचीन कालीबंगा सभ्यता की खुदाई में दुर्ग से 300 मीटर की दूरी पर उत्तर पश्चिम में एक कब्रिस्तान का अवशेष प्राप्त हुआ है.

2. शव को दफनाने के बाद कब्र पर मिट्टी डालकर पिरामिडों का निर्माण करते थे.

3. कालीबंगा सभ्यता में सब विसर्जन के 37 उदाहरण मिले हैं.

4. कालीबंगा सभ्यता में अंतिम संस्कार की तीन विधियां प्रचलित थी जिसमें पूर्व समाधिकरण, आंशिक समाधिकरण और दाह संस्कार शामिल है.

[F] नगर योजना-

1. कालीबंगा सभ्यता की नगर योजना सिंधु घाटी की नगर योजना के समान दिखाई पड़ती है.

2. दीवारों का निर्माण कच्ची ईंटों से होता था.

3. ईटों को धूप में पकाया जाता था.

4. कालीबंगा सभ्यता में व्यक्तिगत और सार्वजनिक नालियों का निर्माण किया गया था तथा मिट्टी के कचरा पात्र भी बनाए गए थे.

5. गंदे पानी के निकास के लिए ईंटों और लकड़ियों से नालियां बनी हुई थी.

[G] कृषि कार्य-

1 संसार के सबसे प्राचीनतम जूते हुए खेत के प्रमाण कालीबंगा सभ्यता से प्राप्त हुए हैं.

2 कालीबंगा सभ्यता में ताम्र से बने हुए कृषि के कई औजार प्राप्त हुए हैं जो इस सभ्यता की आर्थिक उन्नति के परिचायक हैं.

[H] मूर्तियां-

1. राजस्थान की प्राचीनतम सभ्यता कालीबंगा में खुदाई के दौरान तांबे से बने हुए औजार, हथियार और मूर्तियों के अवशेष प्राप्त हुए हैं जिनसे यह सिद्ध होता है कि उस समय मानव प्रस्तर युग से ताम्र युग में प्रवेश कर गया.

2. कालीबंगा की खुदाई में तांबे की चूड़ियां प्राप्त हुई हैं जिनका रंग भी काला था और यही वजह है कि इस सभ्यता को कालीबंगा सभ्यता के नाम से जाना जाता है.

[I] मुहरें-

कालीबंगा की खुदाई में सिंधु घाटी अर्थात हड़प्पा सभ्यता की मिट्टी पर बनी हुई मोहरे प्राप्त हुई हैं. जिन पर पक्षी और पशुओं के चित्र अंकित है. साथ ही इन पर सैंधव लिपि में लिखें पात्र भी मिले हैं. दाएं से बाएं और लिखी गई इस लिपि को पढ़ना मुश्किल है क्योंकि इसके अक्षर एक-दूसरे के ऊपर लिखे हुए हैं.

[J] धार्मिक अवशेष-

1. कालीबंगा सभ्यता की खुदाई में अग्निवेदियां प्राप्त हुई है.

2. प्राप्त अवशेषों से ज्ञात होता है कि यहां पर पशु बलि होती थी.

3. मरे हुए लोगों की तीन समाधिया मिली है जो यह बताती है कि यहां के लोग मृतक के प्रति श्रद्धा रखते थे.

कालीबंगा सभ्यता की अन्य मुख्य विशेषताएं

(1) कालीबंगा सभ्यता सैंधव सभ्यता से भी अधिक पुरानी मानी जाती है.

(2) विश्व की सबसे प्राचीनतम सभ्यताओं के समान कालीबंगा सभ्यता को माना जाता है.

(3) सैंधव सभ्यता की प्रथम दो राजधानियां हड़प्पा और मोहनजोदड़ो थी जबकि तीसरी राजधानी के रूप में कालीबंगा को माना जाता है.

(4) कालीबंगा सभ्यता के लोग मकानों में साधारण चूल्हे के अतिरिक्त तंदूरी चूल्हा का भी उपयोग करते थे जिसके साक्ष्य मिले हैं.

(5) कालीबंगा सभ्यता से प्राप्त अवशेषों के संरक्षण हेतु राजस्थान सरकार ने एक संग्रहालय की स्थापना की है.

(6) कालीबंगा सभ्यता में विश्व का सबसे प्राचीनतम जूता हुआ खेत का अवशेष प्राप्त हुआ है.

(7) खेतों में सरसों और चने की फसल बोई जाती थी.

(8) कालीबंगा सभ्यता के लोग बकरी, सूअर, भैंस, गाय, बैल और कुत्ते का पालन करते थे.

(9) कालीबंगा सभ्यता के लोग कच्ची और धूप में पकाए हुए ईटों के मकानों में रहते थे. साथ ही गंदे पानी के निकास के लिए नालियां बनी हुई थी. शौचालय का निर्माण भी होता था.

(10) कालीबंगा सभ्यता से 7 अग्निवेदियां प्राप्त हुई है जो वहां के लोगों की धार्मिकता को दर्शाती है.

(11) नगर प्रधान कालीबंगा सभ्यता में नगर निर्माण नक्शे के आधार पर किया गया था.

(12) कालीबंगा सभ्यता के लोग मकानों से गंदे पानी के निकास हेतु लकड़ी और मिट्टी की नालियों का प्रयोग करते थे.

(13) कालीबंगा सभ्यता के लोग ज्यादातर शव को दफनाते थे.

कालीबंगा सभ्यता का पतन

प्राचीन समय में कालीबंगा सभ्यता एक प्रभावशाली सभ्यता थी. इसके पतन के मुख्य कारणों में नदी का मार्ग परिवर्तन और सूखा मुख्य है. डीपी अग्रवाल, सुद और अमलानंद घोष के मतानुसार सरस्वती नदी का मार्ग परिवर्तन होने की वजह से यहां पर पानी की कमी हो गई और धीरे-धीरे सारी जगह रेगिस्तान में बदल गई, जिसके परिणाम स्वरूप इस सभ्यता का पतन हुआ. साथ ही घग्गर नदी के मार्ग परिवर्तन के कारण भी कालीबंगा सभ्यता का पतन का मुख्य कारण है.

कालीबंगा सभ्यता से संबंधित प्रश्न और उत्तर

Q 1 कालीबंगा की खोज कब की गई थी?

उत्तर- कालीबंगा सभ्यता 4000 ईसा पूर्व से भी अधिक प्राचीन मानी जाती हैं, सबसे पहले इसकी खोज अमलानंद घोष द्वारा वर्ष 1952 ईस्वी में की गई थी.

Q 2 कालीबंगा सभ्यता का उत्खनन कब और किसने किया?

उत्तर- बी.बी. लाल एवं बी. के. थप्पड़ द्वारा वर्ष 1961-69 के मध्य कालीबंगा का उत्खनन कार्य किया था.

Q 3 कालीबंगा का क्या महत्व है?

उत्तर- कालीबंगा सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता तो नहीं है लेकिन प्राचीनतम सभ्यताओं के समकक्ष ही मानी जाती हैं. पुरातात्विक और सामरिक महत्व की दृष्टि से कालीबंगा सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता की तीसरी राजधानी कहा जाता है. अर्थात कालीबंगा सभ्यता का पुरातात्विक और सामरिक महत्व है.

Q 4 कालीबंगा में क्या पाया गया?

उत्तर- कालीबंगा सभ्यता में जूता हुआ खेत और सात अग्निवेदियां मिली है.

Q. 5 कालीबंगा आज कहां स्थित है?

उत्तर- कालीबंगा सभ्यता राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित है.

Q. 6 कालीबंगा की खुदाई कितने स्तरों पर हुई?

उत्तर- कालीबंगा की खुदाई 5 स्तरों में हुई थी. पहले और दूसरे स्तर में प्राप्त अवशेष सिंधु सभ्यता से भी अधिक प्राचीन थे जबकि तीसरे, चौथे और पांचवें स्तर में सिंधु सभ्यता के समकालीन अवशेष प्राप्त हुए हैं.

Q. 7 कालीबंगा किसकी राजधानी है?

उत्तर- कालीबंगा सिंधु घाटी सभ्यता की तीसरी राजधानी थी?

Q. 8 कालीबंगा राजस्थान के किस जिले में स्थित है?

उत्तर- कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित हैं.

Q. 9 कालीबंगा का अर्थ क्या होता है?

उत्तर- कालीबंगा का अर्थ काली चूड़ियों से हैं.

यह भी पढ़ें-