जीजाबाई का इतिहास जीवन परिचय (Jijabai History In Hindi)

जीजाबाई का इतिहास और जीवन परिचय।

जीजाबाई का इतिहास और जीवन परिचय (Jijabai History & Biography Hindi)-

जीजाबाई का इतिहास और जीवन परिचय प्रेरणादायक रहा हैं. छत्रपति शिवाजी महाराज की माता थी जीजाबाई। यादव वंश के उच्चकुल में इनका जन्म हुआ था। इन्होंने अपने दम पर शिवाजी को “छत्रपति शिवाजी महाराज” बनाया था।

जीजाबाई बहुत ही दूरदर्शी स्वाभाव वाली थी। इन्होंने शुरू से ही एक सपना पाल रखा था कि हिंदू साम्राज्य की स्थापना करनी है।

इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए इन्होंने अपने पुत्र शिवाजी राजे भोंसले (छत्रपति शिवाजी महाराज) को इस योग्य बनाया ताकि भारतवर्ष में हिंदू साम्राज्य की स्थापना कर सकें। इस लेख में हम जीजाबाई का इतिहास और जीजाबाई का जीवन परिचय के साथ-साथ हिन्दू स्वराज कि स्थापना में इनके योगदान के बारे में जानेंगे।

जीजाबाई का इतिहास जीवन परिचय Jijabai History In Hindi

जीजाबाई का पूरा नाम (Full Name Of Jijabai)- जीजाबाई भोंसले (जीजाई/जिजाऊ)।

वीरमाता जीजाबाई का जन्म (Jijabai Birth)- जीजा बाई का जन्म 12 जनवरी 1598 ईस्वी में हुआ था।

जीजाबाई की मृत्यु (Jijabai Died) – 17 जून 1674 ईस्वी में जीजाबाई का देहांत हो गया था।

जीजाबाई के माता पिता (Jijabai Parents) – पिता का नाम लखोजीराव जाधव और माता का नाम महालसा बाई था।

जीजाबाई के पति ( Jijabai Husband) – शाहजी भोंसले

जीजाबाई जन्म स्थान ( Jijabai Birth Place) – बुलढाणा महाराष्ट्र।

जीजाबाई मृत्यु स्थान –जीजा बाई की मृत्यु “पछाड़” नामक स्थान पर हुई।

आंदोलन – मराठा आंदोलन के जनक।

जीजाबाई पुत्र – छत्रपति शिवाजी महाराज और संभाजी राजे

जीजाबाई जयंती- 12 जनवरी के दिन जिजाऊ जयंती मनाई जाती है।

जीजाबाई की पुण्यतिथि- प्रतिवर्ष 17 जून को राजमाता जीजाबाई की पुण्यतिथि संपूर्ण भारतवर्ष में मनाई जाती है।

जीजाबाई की जाति (Jijabai cast )- जीजाबाई यादव समाज से थी।

भारतवर्ष में पहले कम उम्र में शादी हो जाती थी और ऐसा ही जीजाबाई के साथ भी हुआ था। जब जीजा बाई की उम्र मात्र 10 वर्ष थी तब इनका विवाह शाहजी राजे भोंसले के साथ तय हुआ। कहते हैं समय के साथ धीरे-धीरे लोग बदलने लगते हैं और ऐसा ही हुआ था राजमाता जीजाबाई के साथ भी।

जीजाबाई का इतिहास देखने से पता चलेगा कि इनका जीवन बहुत ही उतार-चढ़ाव भरा रहा हैं लेकिन इन्होंने कभी हार नहीं मानी। जीजा बाई के पति शाहजी भोंसले इनकी बहुत ज्यादा उपेक्षा करने लग गए थे। जब जीजा बाई को लगा कि वह बहुत ही ज्यादा उपेक्षित हो रही है तो वह अपने पुत्र शिवाजी को लेकर अपने पीहर चली गई।

जीजा बाई बहुत ही चतुर और बुद्धिमान होने के साथ-साथ दूर दृष्टि वाली महिला थी। अपने पुत्र छत्रपति शिवाजी महाराज की महत्वाकांक्षाओं ,चरित्र और आदर्शों का निर्माण करने में जीजा बाई ने अपना सर्वस्व झौंक दिया।

जीजाबाई ही शिवाजी की मुख्य संरक्षिका बनकर उनका लालन-पालन, शिक्षा, युद्ध कौशल, अस्त्र विद्या और युद्ध विद्या में निपुण बनाया था। चातुर्य और बुद्धिमत्ता के दम पर इन्होंने शिवाजी महाराज के जीवन को सही दिशा प्रदान की थी।

बीजापुर के शासक आदिल शाह के दरबार में लखोजीराव जाधव सैन्य दल के सेनापति थे। साथ ही लखोजीराव जाधव बुलढाणा ( सिंदखेेड) के राजा थे।

इन्होंने आठ संतानों को जन्म दिया जिनमें दो पुत्र और 6 पुत्रियां थी। जीजाबाई का सपना था कि वह स्वराज की स्थापना करें इसके लिए उन्होंने अपने पुत्र शिवाजी को तैयार किया था।

जीजाबाई के विवाह कि अनूठी कहानी

जीजाबाई की सगाई महज 6 वर्ष की आयु में शाहजी भोंसले के साथ हुआ था. इसके पीछे भी एक रौचक कहानी हैं. जीजाबाई का इतिहास और जीवन परिचय पढ़ने से पता चलता हैं कि एक बार होली के अवसर पर लखुजी जाधव के घर बड़ा उत्सव मनाया जा रहा था. इस उत्सव में मोलाजी भी अपने 8 वर्षीय पुत्र शाहजी के साथ समारोह में शामिल हुए.

जीजाबाई और शाहजी को एक साथ देखकर लखुजी जाधव ने कहा ” दोनों बच्चों की जोड़ी बहुत सुन्दर लग रही हैं”, जब यह बात मोलाजी ने सुनी तो उन्हें बहुत अच्छा लगा. इस दिन ही जीजाबाई और शाहजी की सगाई पक्की कर दी गई. लखुजी जाधव राजा थे जबकि मोलाजी सेनापति, कुछ समय बाद महज 10 वर्ष की आयु में जीजाबाई का विवाह शाहजी भोंसले के साथ हो गई.

मराठा साम्राज्य का विस्तार और हिंदू स्वराज्य की स्थापना

जीजाबाई अपने पति शाहजी भोंसले का बहुत ही साथ देती थी। उनके प्रत्येक राजनीतिक कार्य में जीजाबई का अहम योगदान होता था क्योंकि जीजा बाई चतुर होने के साथ-साथ बहुत ही बुद्धिमान थी और इनमें लाजवाब दूरदर्शिता थी।

शाहजी भोंसले मराठा साम्राज्य का विस्तार करना चाहते थे। इसको ध्यान में रखते हुए उन्होंने निजामशाही सल्तनत पर एकाधिकार करने के लिए प्रयास किए।

शाहजी राजे भोंसले का मराठा साम्राज्य के विस्तार के लक्ष्य को देखते हुए मुगल और बीजापुर के शासक आदिलशाह एक हो गए। इन्होंने साथ में मिलकर शाहजी भोंसले से युद्ध किया और उन्हें पराजित कर दिया।

मुगलों और आदिल शाह के साथ शाहजी राजे भोंसले के बीच यह संधि हुई कि शाहजी को दक्षिण दिशा की ओर जाना पड़ेगा और यह क्षेत्र छोड़ना पड़ेगा।

शाहजी भोंसले मराठा साम्राज्य विस्तार का सपना लिए संधि के तहत वहां से दूर दक्षिण दिशा की ओर निकल गए।

कहते हैं इसी समय जीजा बाई के साथ शाहजी भोंसले का रिश्ता बिगड़ने लगा और वह राजमाता जीजाबाई को बहुत ही उपेक्षित करने लगे।

जीजाबाई के 2 पुत्र थे बड़े बेटे का नाम “संभाजी भोंसले” और छोटे पुत्र का नाम “शिवाजी भोंसले” था।

यह भी पढ़ें :- शंभाजी भोंसले का इतिहास और कहानी 

संभाजी भोंसले अपने पिता शाहजी भोंसले के साथ रहना चाहते थे जबकि छोटे बेटे शिवाजी भोंसले को लेकर राजमाता जीजा बाई अपने पीहर चली गई। इस समय छत्रपति शिवाजी महाराज की आयु मात्र 14 वर्ष थी।

आदिल शाह के ही सेनापति अफजल खान के साथ शाहजी भोंसले का युद्ध हुआ। इस युद्ध में शाहजी भोंसले के साथ-साथ उनका बड़ा बेटा संभाजी भोंसले भी मारा गया। जीजा बाई भी अपने पति की चिता में कूदकर जान देना चाहती थी, मगर उनके बेटे शिवाजी ने उनसे प्रार्थना की कि वह ऐसा नहीं करें।

बार-बार प्रार्थना किए जाने के बाद जीजाबाई मान गई और उसने निर्णय लिया कि वह जीवित रहकर “मराठा साम्राज्य” के साथ-साथ “हिंदू स्वराज्य” की स्थापना करेगी। उनके पति शाहजी भोंसले की चिता की तरफ हाथ करके उन्होंने यह शपथ ली थी कि वह हिंदू स्वराज्य की स्थापना जरूर करेगी।

जीजाबाई ने धैर्य नहीं खोया कठिनाइयों और विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज को इस योग्य बनाया की यही आगे चलकर हिंदू स्वराज्य की स्थापना करने में सफल हुए। जीजाबाई शिवाजी को प्रेरणात्मक कहानियां सुनाती रहती थी ताकि वह आगे चलकर एक महान शासक बन सके।

“श्रीमद भगवत गीता” और “रामायण” से संबंधित कथाएं नियमित रूप से छत्रपति शिवाजी महाराज को सुनाई गई और उनके अंदर यह गुण पैदा किए इसी का नतीजा था कि आगे चलकर छत्रपति शिवाजी महाराज ने दक्षिण क्षेत्र में हिंदू स्वराज्य की स्थापना की और छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम से विश्व विख्यात हुए।

क्या जीजाबाई सती हुई थी?

दूरदर्शिता के चलते शाहजी भोंसलें भी जीजाबाई से मदद लिया करते थे. जीजाबाई के बड़े पुत्र का नाम संभाजी था. जब अफजल खान के साथ युद्ध हुआ तो इस युद्ध में शाहजी और संभाजी दोनों वीरगति को प्राप्त हुए. अपने पति की मौत के बाद जीजाबाई सती होना चाहती थी लेकिन उनके पुत्र शिवाजी ने ऐसा करने से मना कर दिया क्योंकि वह उनकी मार्गदर्शक थी.

अपनी माता जीजाबाई के मार्गदर्शन के कारण ही अल्पायु में शिवाजी सबके चहेते और युद्ध कला में निपूर्ण बन सके थे. पति मि मृत्यु के बाद भी जीजाबाई ने अपने आप को हिन्दू स्वराज के लिए जिन्दा रखा और सती नहीं हुई.

जीजाबाई मृत्यू

जब मराठा साम्राज्य स्थापित हो गया और छत्रपति शिवाजी ने हिंदू स्वराज्य की स्थापना कर ली, उसके बाद 17 जून 1674 ईस्वी में राजमाता जीजाबाई कि मृत्यू हो गई। इनकी मृत्यु के समय छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी प्रण किया कि वह मराठा साम्राज्य का और विस्तार करेंगे। जीजाबाई कि मृत्यू शिवाजी और मराठा साम्राज्य के लिए बहुत बड़ी क्षति थी.

जीजाबाई का जीवन परिचय दर्शाती मुख्य बातें

जीजाबाई का जीवन हमेशा से मराठा साम्राज्य कि स्थापना से लेकर हिन्दू स्वराज की स्थापना करने के लिए समर्पित रहा हैं. मुश्किल से भरे जीवन में जीजाबाई ने अपने पुत्र शिवाजी का पालन-पोषण किया, पति से उपेक्षा का सामना करना पड़ा. जीजाबाई का जीवन परिचय जानने में निम्नलिखित बातें जरुरी हैं-

1. जीजाबाई का मुख्य उद्देश्य हिन्दू स्वराज की स्थापना करना था.

2. जीजाबाई ने अपने पुत्र शिवाजी को युद्ध नीतियाँ और युद्ध कलाएँ सिखाई थी.

3. बचपन से ही माता जीजाबाई ने अपने पुत्र को रामायण, महाभारत और राजा-महाराजाओं की कहानियाँ सुनती थी ताकि शिवाजी में अच्छे संस्कारों का विकास हो सके.

4. जीजाबाई को अपनी युद्ध नीतियों और दूरदर्शी व्यक्तित्व के लिए याद किया जाता हैं.

5. जीजाबाई के 2 पुत्र थे एक का नाम शिवाजी जबकि दूसरे का नाम संभाजी था. संभाजी की हत्या अफजल खान द्वारा कर दी गई जिसका बदला शिवाजी महाराज लिया.

6. जीजाबाई कि मृत्यू हिन्दू स्वराज की स्थापना का सपना साकार होने का बाद हुई थी.

7. जब जीजाबाई की मृत्यु हुई तब शिवाजी महाराज को राजा बने महज 12 दिन हुए थे.

8. अपने त्याग और बलिदान के कारण ही शिवाजी के साथ-साथ जीजाबाई को भी याद किया जाता है. शिवाजी को छत्रपति शिवाजी महाराज बनाने वाली उनकी माँ ही थी.

9. छत्रपति शिवाजी महाराज हमेशा सफलता का श्रेय उनकी माता को देते थे.

10. महिलाओं-स्त्रियों का मान-सम्मान करना जीजाबाई ने अपने बच्चों को बचपन से ही सिखाया था.

FAQ- जीजाबाई से सम्बंधित बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्न-उत्तर
1. जीजाबाई ने अपने पुत्र का नाम शिवा किस आधार पर रखा?

उत्तर- शिवनेरी किले पर शिवाजी का जन्म हुआ था. उसी किले पर “शिवाई” का मंदिर हैं, माता शिवाई के नाम पर ही जीजाबाई ने अपने पुत्र का नाम शिवा रखा था.

2. जीजाबाई कि मृत्यू कब हुई?

उत्तर-जीजाबाई कि मृत्यू 17 जून 1674 को हुई थी.

3. जीजाबाई के पिता का नाम क्या था ?

उत्तर- जीजाबाई के पिता का नाम लाखोजी राव जाधव था.

4. when Was Veermata Jijabai Technological Institute Created?

उत्तर- Veermata Jijabai Technological Institute Created in 1887.

5. छत्रपति शिवाजी महाराज की माता का नाम क्या था?

उत्तर- छत्रपति शिवाजी महाराज की माता का नाम जीजाबाई शाहजी भोंसले था.

6. शिवाजी महाराज की माता का पूरा नाम क्या था?

उत्तर- शिवाजी महाराज की माता का पूरा नाम जीजाबाई शाहजी भोंसले था.

7. कौन थी जीजाबाई भोंसले?

उत्तर- जीजाबाई भोंसले शाहजी भोंसलें की पत्नी और छत्रपति शिवाजी महाराज की माता थी.

8. जीजाबाई के कितने बच्चे थे?

उत्तर- जीजाबाई के 8 बच्चे थे.

9. क्या जीजाबाई सती हुई थी?

उत्तर- नहीं, जीजाबाई सती नहीं हुई थी.

10. जीजाबाई का क्या सपना था?

उत्तर- हिन्दू स्वराज की स्थापना करना ही जीजाबाई का सपना था.

यह भी पढ़ें :-

जीजाबाई का इतिहास जीवन परिचय (Jijabai History In Hindi)

One thought on “जीजाबाई का इतिहास जीवन परिचय (Jijabai History In Hindi)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to top