विजय स्तंभ का निर्माण कब कहाँ क्यों? पढ़ें 21 रोचक तथ्य.

विजय स्तंभ को विजय का प्रतिक माना जाता हैं, यह राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित हैं. विजय स्तंभ का निर्माण महाराणा कुम्भा ने करवाया था. दोस्तों अगर आप विजय स्तम्भ का निर्माण कब हुआ, क्यों करवाया गया इसके रोचक तथ्य क्या हैं, जानना चाहते हैं तो यह लेख पढ़ें.

इस लेख में आपको क्या मिलेगा-

विजय स्तम्भ का निर्माण कब हुआ? राजस्थान का प्रथम विजय स्तम्भ कहाँ पर स्थित हैं?

विजय स्तंभ का निर्माण (vijay stambh ka nirmann kab)

1. यह भारत के राजस्थान राज्य के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है। विजय स्तंभ का निर्माण चित्तौड़गढ़ दुर्ग के ऊपर करवाया गया है।

2. विजय स्तंभ को जीत का प्रतीक माना जाता है, विजय स्तंभ का निर्माण महाराणा कुंभा ने 1448 ईस्वी में करवाया था।

3. महाराणा कुंभा ने अपने इष्ट देव भगवान विष्णु के निमित्त इस विजय स्तंभ का निर्माण करवाया।

4. यह राजस्थान पुलिस और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का प्रतीक चिन्ह भी है।

5. विजय स्तंभ के अलावा इसे विष्णु स्तंभ के नाम से भी जाना जाता है।

6. विजय स्तंभ को बनाने वाले वास्तुकार का नाम “राव जैता” था।

7. यह एक 9 मंजिला इमारत है जिसकी ऊंचाई 122 फीट (37.19 मीटर) और चौड़ाई 30 फ़ीट है। यह स्तंभ नीचे से चौड़ा बीच में संकीर्ण और वापस ऊपर से चौड़ा है।

8. इस स्तंभ के आंतरिक और बाहरी क्षेत्र में भगवान और देवी देवताओं की सुंदर-सुंदर मूर्तियां उत्कीर्ण है।

9. इन मूर्तियों में मुख्यतः ब्रह्मा जी, विष्णु जी, उमामाहेश्वर, लक्ष्मी नारायण, सावित्री, हरिहर, अर्धनारीश्वर और माता महालक्ष्मी जी की बहुत ही कलात्मक मूर्तियां उत्कीर्ण है। इसलिए विजय स्तंभ को भारतीय मूर्तिकला का विश्वकोश कहा जाता है।

10. विजय स्तंभ के ऊपर जाने के लिए 157 सीढ़ियां बनी हुई है। पर्यटकों को इसके ऊपर जाने की अनुमति है।

11. दूर से देखने पर विजय स्तंभ भगवान शिव के “डमरू” के समान नजर आता है।

12. रामायण और महाभारत के पात्रों का इस विजय स्तंभ के ऊपर मूर्तियों के द्वारा महिमामंडन किया गया है।

13. विजय स्तंभ की आठवीं मंजिल पर “कीर्ति स्तंभ की प्रशस्ति” का लेखन किया गया है, विजय स्तंभ प्रशस्ति के रचयिता और लेखक “अत्री और महेश भट्ट” हैं।

14. विजय स्तंभ को भारतीय मूर्तिकला का विश्वकोश और भारतीय मूर्तिकला का अजायबघर भी कहा जाता है।

15. सन 1852 में बिजली गिरने की वजह से विजय स्तंभ क्षतिग्रस्त हो गया था , महाराणा स्वरूप सिंह ने इसकी मरम्मत करवाई थी।

16. डॉ उपेंद्र नाथ ने कहा था कि विजय स्तंभ भगवान विष्णु को समर्पित है। इन्होंने विजय स्तंभ को विष्णु ध्वज कहा था।

17. प्रसिद्ध इतिहासकार कर्नल टॉड ने विजय स्तंभ की तुलना कुतुबमीनार से करते हुए लिखा था कि यह कुतुबमनार से कई गुना ज्यादा बेहतर है।

18. इस 9 मंजिला इमारत कि प्रत्येक मंजिल पर छज्जा बना हुआ है साथ ही ऊपरी तल तक जाने के लिए अंदर से सोपान बने हुए हैं।

19. सबसे ऊपरी ताल पर स्थित शिवालेखों में चित्तौड़गढ़ के शासक महाराणा हमीर से लेकर महाराणा कुंभा तक की वंशावली उत्कीर्ण है।

20. विजय स्तंभ की पांचवी मंजिल पर विजय स्तम्भ का वास्तुकार राव जेता और उनके तीनों पुत्र नापा,पूजा और पोमा के नाम उत्कीर्ण है।

21. 15 अगस्त 1949 को विजय स्तंभ पर डाक टिकट जारी किया गया था।

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