अली बहादुर प्रथम का बाजीराव मस्तानी से सम्बन्ध

Last updated on April 19th, 2024 at 09:47 am

पेशवा परिवार ने बालाजी विश्वनाथ के बाद अली बहादुर तक ने लगातार मराठा साम्राज्य के विस्तार और सेवा में कोई कमी नहीं रखी। इस परिवार ने कई वीर योद्धाओं को जन्म दिया जिनमें पेशवा बाजीराव, नाना साहेब, शमशेर बहादुर, अली बहादुर प्रथम आदि का नाम मुख्य था। इन सभी ने हिंदुत्व की रक्षा और मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए लेकिन कभी भी पीछे नहीं हटे।

अली बहादुर प्रथम का इतिहास (Ali Bahadur Peshwa History In Hindi)

  • पूरा नाम- अली बहादुर राव प्रथम।
  • माता का नाम- मेहराम बाई।
  • जन्म- 1758 ईस्वी।
  • मृत्यु- 1802 ईस्वी।
  • पत्नी ( Ali Bahadur wife)-अज्ञात।
  • संताने- शमशेर बहादुर II
  • पद – बांदा और कालपी के जागीरदार।

पेशवा परिवार शुरू से ही मराठा साम्राज्य की रक्षा और आन, बान, शान के लड़ता रहा। इसी पेशवा परिवार में सन 1758 ईस्वी में अली बहादुर का जन्म हुआ।

अली बहादुर के पिता का नाम शमशेर बहादुर था जो कि बाजीराव मस्तानी के पुत्र थे। अली बहादुर बाजीराव मस्तानी के पौत्र थे। मात्र 3 वर्ष की आयु में इनके सर से पिता का साया उठ गया। पानीपत के मैदान में हुए तीसरे युद्ध में इनके पिता शमशेर बहादुर की मौत हो गई।

माता मेहराम बाई ने इनका पालन पोषण किया और सभी युद्ध विद्याओं में निपुर्ण किया। मुस्लिम धर्म से ताल्लुक़ होने के बाद भी इन्होंने अपने दादा बाजीराव पेशवा की पृष्भूमि पर चलना स्वीकार किया।

इनके बड़े होने पर मराठा साम्राज्य के लिए बुंदेलखंड को पुनः अपने कब्जे में लेने की बड़ी ज़िम्मेदारी थी।

चातुर्यता, बुद्धिमान और कुशल नेतृत्व जैसे गुण इनमें विद्यमान थे। पिता शमशेर बहादुर ने मात्र 5000 सैनिकों के साथ पानीपत के मैदान में लोहा लिया और विपक्षी दल को क्षत विक्षत कर दिया।
पानीपत में हुए तीसरे युद्ध ने भारतीय इतिहास के एक बहुत बड़े मराठा साम्राज्य का लगभग अंत कर दिया था।

इस युद्ध के बाद मराठों का वर्चस्व लगभग खत्म होने की कगार पर था। ऐसे समय में शमशेर बहादुर के पुत्र अली बहादुर ने पेशवा बाजीराव का मान बढ़ाया। इन्होंने छोटे-छोटे युद्ध लड़कर ना सिर्फ मराठा साम्राज्य के विस्तार में योगदान दिया बल्कि अपने पिता शमशेर का नाम भी आगे बढ़ाया।

मराठा साम्राज्य के लिए पेशवा परिवार में जन्म लेने वाले अली बहादुर कभी भी पीछे नहीं हटे और पूरी वीरता के साथ युद्ध लड़ते रहे। अली बहादुर ने भी एक पुत्र को जन्म दिया था जिसका नाम शमशेर बहादुर द्वितीय था।

शमशेर बहादुर द्वितीय को रक्षार्थ, रानी लक्ष्मीबाई ने राखी भेजी थी और राखी का मान रखने के लिए शमशेर बहादुर द्वितीय ने 1857 की क्रांति में भाग लिया।

मृत्यु (Ali Bahadur died)

1802 ईस्वी में मात्र 43 वर्ष की आयु में अली बहादुर की मौत हो गई। इनकी मृत्यु के पश्चात इनके पुत्र “शमशेर बहादुर II” ने मराठों की तरफ से लड़ना जारी रखा।

इस समय तक अंग्रेजों ने भारत में अपने कदम मजबूत कर लिए थे। अंग्रेज़ और मराठों के बीच लड़े गए युद्ध में इन्होंने मराठों का पूरा साथ दिया।अली बहादुर की मृत्यु के साथ ही मराठा साम्राज्य का लगभग विघटन हो गया।