अहमद शाह अब्दाली (Ahmad Shah Abdali History ) का इतिहास।

अहमद शाह अब्दाली (Ahmad Shah Abdali History) का नाम सुनते ही पानीपत का तीसरा युद्ध जेहन में आ जाता हैं या फिर यह कहें कि पानीपत के तीसरे युद्ध की बात की जाए तो अहमद शाह अब्दाली /अहमद शाह दुर्रानी का नाम दिमाग में आ जाता है। अहमद शाह अब्दाली कौन था ? अहमद शाह अब्दाली शिवाजी का पक्का शत्रु था।

अहमद शाह अब्दाली के जीवन पर कई लेख पढ़ने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि वह एक बहुत ही क्रूर, हत्यारा और लुटेरा था। जिसके निशाने पर हिंदुस्तान की हजारों वर्षों से चली आ रही संस्कृति थी।
हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ स्थलों को उसने निशाना बनाया, लूटा और तोड़फोड़ की। इतना ही नहीं विवाहित और अविवाहित महिलाओं को भी जोर जबरदस्ती अपने साथ अफगानिस्तान ले गया था। अहमद शाह अब्दाली छत्रपति शिवाजी महाराज का पक्का शत्रु था।

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1 अहमद शाह अब्दाली का इतिहास और जीवन परिचय (Ahmad Shah Abdali History in hindi ) –

अहमद शाह अब्दाली का इतिहास और जीवन परिचय (Ahmad Shah Abdali History in hindi ) –

पूरा नाम Full Name Of Ahmad Shah Abdali - अहमद शाह अब्दाली या दुर्रानी.
पिता का नाम Ahmad Shah Abdali Father's name - मोहम्मद जमान खान।
माता का नाम Ahmad Shah Abdali mother's name - जर्घुना अलकोजै.
जन्मवर्ष birth year - 1722.
जन्म स्थान -हेरात।
मृत्यु तिथि death year- 16 अक्टूबर 1972.
पत्नी का नाम  Ahmad Shah Abdali wife's name- हज़रत बेगम।
पुत्र का नाम Ahmad Shah Abdali son - तिमूर शाह दुर्रानी।
पेशा  - शासक।
राष्ट्रीयता Nationality- अफगानिस्तान.
धर्म  Religion- इस्लाम।
इनसे पूर्व अफगानिस्तान का शासक- नादिरशाह।
दुर्रानी का खिताब किसने दिया - सूफ़ी दरवेश साबिर शाह।

“अहमद शाह अब्दाली” को “अहमद शाह दुर्रानी” के नाम से भी जाना जाता है। 26 वर्ष की आयु में अफगानिस्तान के शासक नादिरशाह की मृत्यु के पश्चात 1748 में अहमद शाह अब्दाली (Ahmad Shah Abdali History) अफगानिस्तान का शासक बना।

अहमद शाह अब्दाली / अहमद शाह दुर्रानी को दुर्रानी साम्राज्य का संस्थापक (Ahmad Shah Abdali History) भी माना जाता है। अब्दाली एक सामान्य सैनिक से लेकर शासक तक का सफर तय किया था।

उस समय अफगानिस्तान में कबीलों की एक पारंपरिक पंचायत थी जिसका नाम “जिरगा” था। इसी पंचायत ने अब्दाली को शाह बनाया, यह निर्णय पश्तूनों के गढ़ कंधार में लिया गया।

अहमद शाह अब्दाली (Ahmad Shah Abdali History) अर्थात अहमद शाह दुर्रानी ने लगभग 25 वर्षों तक शासन किया था। जब अहमद शाह अब्दाली की ताजपोशी हो रही थी तब वहां पर मौजूद “सूफी दरवेश साबिर शाह” ने दुर्रानी का खिताब दिया।

दुर्रानी का अर्थ होता है मोतियों का मोती। यहीं से परिवर्तन का दौर शुरू हुआ और अहमद शाह अब्दाली और उसके कबीले को दुर्रानी (Ahmad Shah Abdali History) नाम से जाना जाने लगा।

अहमद शाह अब्दाली या अहमद शाह दुर्रानी का विशाल साम्राज्य ईरान से लेकर भारत के सरहिंद तक, मध्य एशिया के अमु दरिया के किनारे से लेकर दक्षिण में हिंद महासागर तक फैला हुआ था।
वर्ष 1748 से लेकर 1767 के बीच हिंदुस्तान पर 7 बार आक्रमण किया था।

अहमद शाह अब्दाली ने 14 जनवरी 1761 के दिन पानीपत के तीसरे युद्ध में जो लड़ाई लड़ी थी वह उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी जंग थी। यह लड़ाई अहमद शाह अब्दाली /अहमद शाह दुर्रानी और मराठों के बीच लड़ी गई थी।

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पानीपत का तीसरा युद्ध और अहमद शाह अब्दाली /अहमद शाह दुर्रानी (14 जनवरी 1761, Ahmad Shah Abdali History)-

पानीपत का तीसरा युद्ध मराठों और अहमद शाह अब्दाली (Ahmad Shah Abdali History) के बीच में लड़ा गया था। पानीपत के तीसरे युद्ध के समय अहमद शाह अब्दाली या अहमद शाह दुर्रानी की आयु 38 वर्ष थी।

हिंदुस्तान में मराठा साम्राज्य बहुत ही तेजी के साथ फैल रहा था, वहीं दूसरी तरफ अहमद शाह अब्दाली /अहमद शाह दुर्रानी अपनी बादशाहत को बढ़ाना चाहता था।
कहीं ना कहीं अहमद शाह अब्दाली को लगता था कि उनकी राह का रोड़ा मराठे हैं।

“अहमदिया” नामक संधि के तहत मुगल साम्राज्य सिमट कर रह गया था। यह संधि पर 1751-52 में हुई थी। मुगल साम्राज्य का दायरा दिल्ली तक ही सीमित रह गया।

लगातार मराठों का साम्राज्य बढ़ता जा रहा था और मुगल साम्राज्य खत्म होने के कगार पर था और यही वजह थी कि पानीपत के तीसरे युद्ध की नौबत आई।
इस युद्ध में 40000 मराठी सिपाही बेरहमी के साथ मार दिए गए।

अहमद शाह अब्दाली (Ahmad Shah Abdali History) अर्थात अहमद शाह दुर्रानी के वह क्रूरतापूर्ण कार्य जिन्हें हिंदुस्तान कभी नहीं भुला सकता –

अहमद शाह अब्दाली द्वारा पंजाब पर आक्रमण (1748 से लेकर 1767 तक)-

सन् 1748 ईस्वी में पहली बार अहमद शाह अब्दाली या अहमद शाह दुर्रानी द्वारा पंजाब पर आक्रमण किया गया। इस युद्ध में अहमद शाह अब्दाली (Ahmad Shah Abdali History) को अपने मुंह की खानी पड़ी। अपने इरादों को उसने बदला नहीं और एक वर्ष पश्चात सन् 1949 में फिर से तैयारी के साथ पंजाब पर धावा बोल दिया।

इस समय पंजाब के गर्वनर “मुईनुलमुल्क” थे। मुईनुलमुल्क को पराजित करके उसने विजयी पताका फहराई। साथ ही मुईनुलमुल्क को पंजाब का एजेंट और गर्वनर नियुक्त कर दिया।

इस युद्ध में उसको प्रयाप्त रूप में ना तो धन मिला ना ही शौहरत। यहां पर निश्चित धन भी समय पर अहमद शाह अब्दाली (Ahmad Shah Abdali History) को नहीं मिला जिसके चलते उसने पुनः आक्रमण करने की सोचा।
इमादुलमुल्क को सबक सिखाने के लिए हिंदुस्तान पर अहमद शाह अब्दाली या अहमद शाह दुर्रानी ने चौथा आक्रमण किया था।

1753 ईस्वी में मुईनुलमुल्क की मृत्यु हो गई। इमादुलमुल्क के सामने नए सूबेदार नियुक्ति का दायित्व था जो उसने “अदीना बेग खां” को नियुक्त कर पूरा किया।
इस तरह अपनी जीत देखकर अहमद शाह अब्दाली ने हिंदुस्तान पर आक्रमण तेज़ कर दिए।

अहमद शाह अब्दाली या अहमद शाह दुर्रानी द्वारा दिल्ली लूट ( 23 जनवरी 1757 ) –

23 जनवरी 1757 का दिन था। कई लोग यह जानना चाहते हैं कि अहमद शाह अब्दाली के आक्रमण के समय मुगल सम्राट कौन था (Ahmad Shah Abdali History).

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस समय दिल्ली की कमान आलमगीर द्वितीय के हाथ में थी। आलमगीर द्वितीय भी ताकतवर था लेकिन अब्दाली के आक्रमण को उसको तनिक भी अंदेशा नहीं था।

इतिहास में यह दिन हमेशा याद रहेगा। बढ़ती हुई महत्त्वकांक्षा ने अहमद शाह अब्दाली को गति प्रदान की। दिल्ली जीतकर उसने अपने कब्जे में ले लिया। आलमगीर द्वितीय ने अहमद शाह अब्दाली से संधि कर ली।

इस संधि ने यह साबित कर दिया कि आलमगीर द्वितीय  डरपोक और कमजोर था। इस संधि के तहत् अहमद शाह अब्दाली दिल्ली को लूट सकता था।

फिर क्या था अहमद शाह अब्दाली (Ahmad Shah Abdali History) ने दिल्ली में ऐसी लूट मचाई कि पूरे सूबे को कंगाल कर दिया।

इस लूट के बाद सूबे में एक कहावत का प्रचलन हो गया कि “खादा पीत्ता लाहे दा, रहंदा अहमद शाहे दा” इस कहावत का अर्थ है कि जो खा पी लिया और तन को लग गया वो अपना हैं बाकी सब अहमद शाह अब्दाली लूटकर ले गया।

इस तरह से अहमद शाह अब्दाली ने दिल्ली दशा बहुत खराब कर दी। सिर्फ़ धन ही नहीं महिलाओं की आबरू तक को नहीं छोड़ा।

अहमद शाह अब्दाली या अहमद शाह दुर्रानी द्वारा ब्रज लूट –

दिल्ली में आतंक के बाद अहमद शाह अब्दाली (Ahmad Shah Abdali History) की महत्त्वकांक्षा और बढ़ गई। उसने जाटों और मराठों के बीच जारी तनाव का फ़ायदा उठाते हुए आगे बढ़ा। दिल्ली के समीप जाट रियासतों को कमजोर स्थिति में पाकर अब्दाली आगे बढ़ा। निरंतर अब्दाली का लालच बढ़ता जा रहा था।

अब उसकी नज़र मथुरा, वृन्दावन और ब्रज पर थी इसकी मुख्य वजह यह भी थी कि ये भारतीय संस्कृति के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक थे।

अहमद शाह अब्दाली का साथ पठान सेना भी दे रही थी। आगरा की तरफ़ कूच करते हुए बल्लभगढ़ में जाटों के साथ पहली मुठभेड़ हुई।

जाट रियासतों की ओर से सरदार बालूसिंह और जाट राजा सूरजमल के बड़े पुत्र जवाहर सिंह ने अब्दाली की सेना को रोकने का निरर्थक प्रयास किया। संख्या में बहुत कम होने की वजह से जाट टिक नहीं सके और हार गए।

इस युद्ध में अहमद शाह अब्दाली (Ahmad Shah Abdali History) की क्रूरता सामने आई। लोगों को पकड़ -पकड़ कर धड़ को सर से अलग कर दिया गया। बच्चों, बूढ़ों और महिलाओं तक को मौत के घाट उतार दिया गया और तो और पशुओं तक को काट डाला।

यहां से खुद अहमद शाह अब्दाली या अहमद शाह दुर्रानी आगे नहीं गया लेकिन 20 हजार की विशाल सेना के साथ एक टुकड़ी को मथुरा पर आक्रमण के लिए भेजा।

सेना का हौंसला बढ़ात हुए उसने आदेश दिया कि मथुरा हिंदुओं का पवित्र और धार्मिक स्थल हैं इसको छिन्न भिन्न (नेस्तनाबूत) कर दो।

रास्ते में आने वाली हर इमारत को गिरा दिया जाए और लोगों को मौत के घाट उतार दिया जाए। ज्यादा से ज्यादा कत्लेआम और लूट करने वाले को उचित पुरुस्कार प्रदान किया जाएगा।

अब्दुल शाह अब्दाली / अहमद शाह दुर्रानी का मथुरा आगमन, Abdul Shah Abdali’s arrival in Mathura-

अब्दुल शाह अब्दाली (Ahmad Shah Abdali History) की क्रूर सेना ने दिल्ली, मेरठ,गाजियाबाद, हापुड़ और पलवल से पार पाते हुए मथुरा तक पहुंच गई।

मथुरा के समीप जाटों ने बहादुरी के साथ पठानों का सामना किया लेकिन संख्या में अधिक होने की वजह से हार गए।

गेंहू, दाल, चावल, आटा, घी, तेल, नमक और सब्जियों तक को नहीं छोड़ा। गाय, भैंस और बकरियों तक को मार डाला और चमड़े को अपने साथ गधों पर लादकर ले गए।


अहमद शाह अब्दाली /अहमद शाह दुर्रानी बनाम सशस्त्र नागा साधु, Ahmed Shah Abdali vs Armed Naga Sadhu-

वृंदावन धाम में लूट मचाने के बाद स्वयं अहमद शाह अब्दाली (Ahmad Shah Abdali History) अपनी सेना के साथ ब्रज आ पहुंचा। ब्रज क्षेत्र में वृंदावन और मथुरा के बाद तीसरा मुख्य स्थान और धार्मिक स्थल था गोकुल। यमुना नदी पार करते हुए अब्दाली गोकुल धाम की तरफ़ बढ़ता चला जा रहा था।

लेकिन यहां पर मौजूद साधु संत जिनमें “नागा साधुओं” ने अब्दाली (Ahmad Shah Abdali History) की सेना पर धावा बोल दिया। नागाओं का तांडव देखकर एक बार तो अहमद शाह अब्दाली डर गया लेकिन साधु बहुत कम संख्या में थे।

भगवान श्री कृष्ण की नगरी में साधुओं पर अत्याचार हो और भगवान उनकी रक्षा के लिए नहीं आए ऐसा कैसे हो सकता हैं। अहमद शाह अब्दाली (Ahmad Shah Abdali History) की विशाल सेना में हैजा फैल गया।इस नगरी में अहमद शाह अब्दाली ने माना कि कोई ना कोई दैवीय शक्ति जरूर है।

दैवीय शक्ति के डर और लगातार बढ़ते हैजे की वजह से अहमद शाह अब्दाली (Ahmad Shah Abdali History) पीछे हट गया। बड़ी मात्रा में अफ़गानी सैनिक मरने लगे। अहमद शाह अब्दाली के शुभचिंतकों और सलाहकारों ने भी यह जवाब दिया कि भगवान श्री कृष्ण की नगरी में लोगों और साधुओं पर अत्याचार नहीं किया जा सकता हैं।
अहमद शाह अब्दाली ने यहां से पुनः वापस लौटना ही उचित समझा और आगरा लौट आए।

अहमद शाह अब्दाली /अहमद शाह दुर्रानी की आगरा में लूट, Ahmad Shah Abdali robbed in Agra-

आगरा में भी क्रूरता और लूटपाट का चेहरा और अधिक भयानक हो गया।

अफ़गानी सेना ने सभी हदें पार करते हुए विधवा, युवा और महिलाओं को अपने साथ जबरन अफ़गानिस्तान ले गए।

लगभग 30 हजार गधों और घोड़ों पर लादकर भारी मात्रा में चोरी कर अनाज और अन्य सामग्री अपने साथ ले गए।

इतिहासकारों की मानें तो आगरा और दिल्ली के बीच एक भी व्यक्ति जीवित नहीं बचा था।

अहमद शाह अब्दाली बनाम सिख (Ahmad Shah Abdali vs sikh)-

भारत में कदम रखा ही था कि अहमद शाह अब्दाली /अहमद शाह दुर्रानी को पंजाब में सिखों से मुंह की खानी पड़ी थी इसके बदले की आग अहमद शाह अब्दाली के जहन में भभक रही थी।अहमद शाह अब्दाली बनाम सिख (Ahmad Shah Abdali vs sikh or Ahmad Shah Abdali History) के बीच सन् 1767 ईस्वी में युद्ध हुआ।

अहमद शाह अब्दाली बनाम सिख (Ahmad Shah Abdali vs sikh) युद्ध में पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए सिखों ने अपनी सेना और शक्ति दोनों में इजाफा कर लिया।
सिखों ने लाहौर के अफ़गानिस्तानी गर्वनर ख़्वाजा आबिद को मौत के घाट उतार दिया।

इस घटना से अहमद शाह अब्दाली स्तब्ध रह गया। बदले की आग में जल रहे अब्दाली ने मार्च, 1767 में पुनः सिखों पर आक्रमण किया लेकिन सिखों ने एक बार फिर अपनी असीम शक्ति का परिचय देते हुए।

अहमद शाह अब्दाली /अहमद शाह दुर्रानी ने कभी नहीं सोचा था कि इस बार भी उसे बैरंग वापस लौटना पड़ेगा।

अहमद शाह अब्दाली की मृत्यु (How did Ahmed Shah Abdali die?)  –

अहमद शाह अब्दाली की मृत्यु कैसे हुई? या अहमद शाह अब्दाली की मृत्यु की वजह क्या रही यह तो अभी भी संशय का विषय है। अहमद शाह अब्दाली अर्थात अहमद शाह दुर्रानी की मृत्यु 16 अक्टूबर 1772 ईस्वी में हुई थी।

कहते हैं कि अहमद शाह अब्दाली की मृत्यु कर्कट (कैंसर) नामक रोग की वजह से हुई थी।

मृत्यु के पश्चात् अहमद शाह अब्दाली का मक़बरा बनाया गया।

अहमद शाह अब्दाली का मक़बरा कंधार में स्थित हैं। अफ़ग़निस्तान के लोग आज भी अहमद शाह अब्दाली को हीरो मानते हैं और अहमद शाह अब्दाली के मक़बरा पर जाकर उन्हें याद करते हैं।

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