भारत को सोने की चिड़िया किसने कहा? (bharat ko sone ki chidiya kisne kaha)

भारतवर्ष को पहली बार किसने और कब “सोने की चिड़िया” कहा था? (bharat ko sone ki chidiya kisne kaha) यह प्रश्न कई लोगों के दिमाग़ में होगा। उज्जयिनी नगरी के राजा विक्रमादित्य के समय में भारत धन और धान्य से परिपूर्ण था. चारों तरफ खुशहाली और संपन्नता थी इनके शासनकाल में जनता बहुत समृद्ध थी, इसलिए राजा विक्रमादित्य के शासनकाल में भारत सोने की चिड़िया (bharat ko sone ki chidiya kisne kaha) कहलाता था।

यह सब जानते हैं कि किसी समय भारत सोने की चिड़िया था लेकीन इस लेख में हम यह जानेंगे कि भारतवर्ष को पहली बार किसने और कब “सोने की चिड़िया” कहा था (bharat ko sone ki chidiya kisne kaha).

भारत को सोने की चिड़िया किसने कहा (bharat ko sone ki chidiya kisne kaha)

भारतवर्ष को पहली बार किसने और कब “सोने की चिड़िया” कहा था? (bharat ko sone ki chidiya kisne kaha) इसको लेकर जो तर्क दिए जाते हैं, उसकी चर्चा हम इस लेख में करेगें।

101 ईसा पूर्व में विक्रमादित्य उज्जयिनी का राजा बने और इन्होंने लगभग 100 वर्षों तक राज किया इसका जिक्र भविष्यपुराण (गीताप्रेस गोरखपुर) में किया गया है।
अब हम राजा विक्रमादित्य के शासनकाल और कार्यों की चर्चा करेंगे, जिनके चलते भारत सोने की चिड़िया बना। इन के शासनकाल में भारत एक आदर्श और समृद्ध देश था। इतना ही नहीं भारत की संस्कृति, कला, विज्ञान, उदारता, वीरता, ज्ञान विज्ञान, सांस्कृतिक परंपराओं, सुव्यवस्थित और सुदृढ़ न्याय व्यवस्था, लोगों की अद्भुत जीवन शैली और सुख समृद्धि, बड़े पैमाने पर होने वाला व्यापार आदि समस्त व्यवस्थाओं की चर्चा संपूर्ण विश्व में होती थी।

कई विदेशी विद्यार्थी और शोधार्थी राजा विक्रमादित्य के शासनकाल के दौरान भारत में विद्या प्राप्त करने के लिए और व्यापार के तौर तरीके सीखने के लिए आया करते थे। जब भी कोई बाहरी व्यक्ति भारत से किसी वस्तु का आयात करता तो उसके बदले में सोना लिया जाता।

इनके शासनकाल में सोने के सिक्के प्रचलन में थे। प्रचुर मात्रा में सोने के सिक्के होने की वजह से इनकी गणना तोल के आधार पर की जाती थी। उज्जैनी के महाराजा विक्रमादित्य के शासनकाल में भारत की सुख समृद्धि और समस्त व्यवस्थाओं को ध्यान में रखकर ही भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था।

महाराजा विक्रमादित्य ने 2077 वर्ष पूर्व महान खगोल शास्त्री वराह मिहिर की सहायता से विक्रम संवत का प्रचलन किया था। हिंदू धर्म और सनातन को मानने वाले हर व्यक्ति विक्रम संवत को मानते हैं। इनके शासनकाल में भारत की स्थिति संपूर्ण विश्व में स्वर्ग के समान थी जहां पर व्यक्ति, वस्तु, पक्षी, पशु तक हर जीव तो सुखी था ही यहां तक कि पर्यावरण भी एक दम शुद्ध था।

महाराजा विक्रमादित्य का शासन काल भारतीय इतिहास का स्वर्णिम काल भी कहा जाता है और इसी स्वर्णिम काल की वजह से उस समय भारत सोने की चिड़िया कहलाता था।भारत को सबसे पहले सोने की चिड़िया कहने का श्रेय भी उज्जैनी के राजा विक्रमादित्य जी को जाता है, जिन्होंने भारत को पहली बार सोने की चिड़िया कहकर संबोधित किया था।

महाराजा विक्रमादित्य का डंका संपूर्ण विश्व में बजता था। दूर सुदूर से आने वाले व्यापारियों ने जब भारत की सुख समृद्धि और संपन्नता को देखा तो उन्होंने भी यह माना कि वास्तव में भारत सोने की चिड़िया है (bharat ko sone ki chidiya kisne kaha).

यह भी पढ़ें

बप्पा रावल का इतिहास और कहानी।

मीरा बाई का इतिहास और कहानी।

छत्रपति शिवाजी महाराज का इतिहास और कहानी।

महाराणा सांगा का इतिहास और कहानी।

राणा कुंभा का इतिहास और कहानी।

दोस्तों उम्मीद करते हैं कि bharat ko sone ki chidiya kisne kaha यह लेख आपको अच्छा लगा होगा, साथ ही आप यह जान गए होंगे कि भारत को पहली बार सोने की चिड़िया किसने कहा था। इस लेख को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें, धन्यवाद।