चाणक्य की मौत कैसे हुई? (chanakya ki mrityu kaise hui)-.पढ़ें चाणक्य की मौत की 3 कहानियां।

chanakya ki mrityu kaise hui यह भी एक रहस्य है। चाणक्य की मौत कैसे हुई इसको लेकर इतिहासकार दो तरह की बाते करते हैं। यह चाणक्य की बुद्धिमानी का ही परीणाम था कि एक सामान्य व्यक्ती मगध जैसे विशाल साम्राज्य का राजा बन गया, नाम था चन्द्रगुप्त मौर्य।

आचार्य चाणक्य की नीति ने धनानंद जैसे शक्तिशाली राजा को पराजीत कर दिया। हम इस लेख में ज्यादा चर्चा नहीं करते हुए केवल आचार्य चाणक्य की मौत कैसे (chanakya ki mrityu kaise hui) हुई पर ही चर्चा करेंगे।

चाणक्य की मौत कैसे हुई (chanakya ki mrityu kaise hui) को लेकर इतिहासकारों में दो तरह के मत हैं, जिनकी चर्चा इस लेख में आगे हम करेंगे।

प्रथम मत- चाणक्य की मौत कैसे हुई (chanakya ki mrityu kaise hui)-

आचार्य चाणक्य एक विशेष उद्देश्य को पूरा करने के लिए अपने राजनितिक दिमाग़ को काम में लिया था। उनका मक़सद था कैसे भी करके धनानंद को राजगद्दी से हटाना क्योंकि धनानंद ने चाणक्य के पिता की हत्या की थी।

इतिहासकारों के एक तबके का मनाना है संकल्प के अनुसार जब चाणक्य ने अपने जीवन के सभी महत्त्वपूर्ण काम कर लिए उसके बाद वह सब काम छोड़कर कहीं चले गए। आचार्य चाणक्य ने चन्द्रगुप्त मौर्य, बिन्दुसार मौर्य और सम्राट अशोक के साथ भी काम किया था।

एक दिन की बात है आचार्य चाणक्य रथ में सवार होकर जंगल की तरह निकले। ऐसे कहा जाता हैं कि उस दिन वो अकेले थे ना किसी से बात की नाही किसी को कुछ बताया। इस दिन के बाद आचार्य चाणक्य को कभी किसी ने पुनः उस नगर में नहीं देखा। संभवतया वो जंगल से कभी नहीं लौटे।इस तरह चाणक्य मृत्यु (chanakya ki mrityu kaise hui) हो गई।

द्वितीय मत- चाणक्य की मौत कैसे हुई (chanakya ki mrityu kaise hui)-

आचार्य चाणक्य की मौत (chanakya ki mrityu kaise hui) को लेकर एक मत यह भी है कि जब उनके द्वारा संकल्पित सब कार्य होने के बाद और मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य की मृत्यु के बाद उनका पुत्र बिन्दुसार सफलतापूर्वक और चाणक्य के सानिध्य में राज्य का संचालन कर रहा था। राजा बिन्दुसार और चाणक्य एक दुसरे के बेहद करीब थे। यह दोस्ती राज दरबार में कई मंत्रियों को पसंद नहीं थी। वो चाहते थे कि कैसे भी करके दोनों में दरार पटक दी जाए।

षडयंत्र पूर्वक राजा बिन्दुसार का मंत्री सुबंधु एक दिन अकेले में राजा से मिला और उन्हें बताया कि आपकी माता की मृत्यु का कारण चाणक्य हैं। यह सुनकर राजा बिन्दुसार स्तब्ध रह गए, धीरे धीरे इस बात को उन्होंने गंभीरता से लेना शुरु कर दिया। जैसे-जैसे समय बीतता गया बिन्दुसार और चाणक्य के बिच दूरी और अधिक बढ़ गई। हालांकि आचार्य चाणक्य को इस षडयंत्र का पता चल गया लेकीन उनकी ईमानदारी पर शक किया गया तो उन्होंने चुप रहना ही उचित समझा।

जब आचार्य चाणक्य बहुत अधिक परेशान हो गए तो उन्होंने राजा बिन्दुसार का महल छोड़ना उचित समझा और एक थैला लेकर रथ पर सवार होकर जंगल की तरफ निकल पड़े। बहुत समय बीत गया लेकिन आचार्य चाणक्य वापस लौटकर नहीं आए।

1 दिन की बात है राजा बिंदुसार अपने राजभवन में विश्राम कर रहे थे तभी वहां पर एक दाई आई और उसने राजा बिंदुसार को उसकी माता की मौत का रहस्य बताया। उस भाई ने बताया की आचार्य चाणक्य की वजह से आपके पिताजी विशाल साम्राज्य के सम्राट बने।

आचार्य चाणक्य को कई मंत्रियों पर शक था कि कहीं वह चंद्रगुप्त मौर्य को जहर देकर मार ना दे। इसलिए चाणक्य खाने में थोड़ा थोड़ा जहर देता था ताकि चंद्रगुप्त मौर्य का शरीर जहर के प्रभाव को सहन करने योग्य बन जाए और ऐसी परिस्थिति में उनके प्राण बच सके।

एक दिन जब आचार्य चाणक्य जहर मिला हुआ भोजन चंद्रगुप्त मौर्य के लिए तैयार करते हैं, तब गलती से वह भोजन उनकी पत्नी खा लेती है और धीरे-धीरे उनकी तबीयत बिगड़ने लगती है। जब यह बात आचार्य चाणक्य को पता चली तो उन्होंने उनके गर्भ को काटकर राजा बिंदुसार को बाहर निकाला था कि मौर्य साम्राज्य का वंश लगातार चलता रहे।

दाई के मुंह से यह बात सुनकर राजा बिंदुसार के पैरों तले जमीन खिसक गई। उन्हें एहसास हो गया कि उन्होंने चाणक्य के साथ गलत किया और दुष्ट मंत्रियों के प्रभाव में आकर उनसे दूरी बना ली।

राजा बिंदुसार ने अपने सैनिकों को चाणक्य को ढूंढने के लिए भेजा। इतिहासकार बताते हैं कि आचार्य चाणक्य की मौत होने से पहले ही राजा बिंदुसार के सैनिक वहां पर पहुंच जाते हैं लेकिन चाणक्य ने वापस महल में आने से साफ मना कर दिया और ताउम्र उन्होंने अपना जीवन जंगल में बिताया।

जीवन के अंतिम पड़ाव में आचार्य चाणक्य ने उपवास करने का निर्णय लिया और यह सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक कि उन्होंने फोन नहीं त्याग दिए इसलिए कई इतिहासकारों के नजरिए से chanakya ki mrityu kaise hui के संबंध में यह वक्तव्य सत्यता के करीब प्रतीत होता है।

तृतीय मत- चाणक्य की मौत कैसे हुई (chanakya ki mrityu kaise hui)-

आचार्य चाणक्य की मौत कैसे हुई (chanakya ki mrityu kaise hui) को लेकर जो मतभेद थे उन्हें दूर करने में कुछ हद तक टीवी पर दिखाया जाने वाला सीरियल “सम्राट अशोक” स्थिति को स्पष्ट करता है। सम्राट अशोक नामक टीवी सीरियल में आचार्य चाणक्य की मौत को लेकर यह दर्शाया गया है कि राजा बिंदुसार के एक मंत्री सुबंधु चाणक्य से बहुत जलते थे और उन्होंने ही चाणक्य को मारने के लिए एक षड्यंत्र रचा।

ऐसा बताया गया है कि राजा बिंदुसार के मंत्री सुबंधु ने आचार्य चाणक्य को जिंदा जला दिया। chanakya ki mrityu kaise hui का यह तीसरा मत है।
लेकिन यह बात आम लोगों और कई इतिहासकारों के गले नहीं उतरती हैं, क्योंकि चाणक्य अपनी नीति में माहिर थे और जो खुद बड़े-बड़े षड्यंत्र रचने में निपुण थे भला वो कैसे किसी भी षड्यंत्र का शिकार हो सकते हैं।

यह भी पढ़ें-

सम्प्रति मौर्य का इतिहास।

चंद्रगुप्त मौर्य का इतिहास।

राजा बिंदुसार का इतिहास।

सम्राट अशोक का इतिहास।

मौर्य साम्राज्य से संबंधित सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी।

दोस्तों इस लेख में आपने पढ़ा कि आचार्य चाणक्य की मृत्यु कैसे हुई (chanakya ki mrityu kaise hui) यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें, धन्यवाद।

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