कोठारी बंधु कौन थे? (kothari bandhu Ayodhya) पढ़ें कोठारी बंधुओं की पूरी कहानी।

कोठारी बंधुओं का इतिहास बहुत ही स्वर्णिम हैं। दो सगे भाई (कोठारी बंधु (kothari bandhu Ayodhya) अर्थात् रामकुमार कोठारी और शरद कोठारी) जिन्होंने बाबरी मस्जिद पर पहली बार भगवा ध्वज फहराया, उन्हें कोठारी बंधुओं (kothari bandhu Ayodhya) के नाम से जाना जाता हैं।अक्टूबर 1990 की बात हैं, कारसेवक अयोध्या पहुंचे। लक्ष्य था अवैध ढांचे को गिराकर कलंक को मिटाना।

कोठारी बंधु (kothari bandhu Ayodhya) भी कारसेवक के रूप में इस आंदोलन में शामिल हुए। नाम था रामकुमार कोठारी और शरद कोठारी। भगवान श्री राम मंदिर आंदोलन में बलिदान देकर इतिहास में हमेशा के लिए अमर होने वाले कोठारी बंधुओं की कहानी रौंगटे खड़े करने वाली हैं।

30 अक्टूबर 1990 दिन था। भारी पुलिस बल तैनात होने के बाद भी कारसेवक अयोध्या में बाबरी मस्जिद को ढहाने में कामयाब रहे। ढांचे के ऊपर सबसे पहले राजकुमार कोठारी और शरद कोठारी चढ़े। कोठारी बंधु (kothari bandhu Ayodhya) सगे भाई थे। राजकुमार कोठारी ने सबसे पहले भगवा झंडा फहराया।

अर्धसैनिक बलों ने कारसेवकों पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। कारसेवकों में भगदड़ मच गई, कोठारी बंधु (kothari bandhu Ayodhya) भी उनमें से एक थे। रामकुमार कोठारी और शरद कोठारी दोनों भाई साथ में ही थे। फायरिंग होते देख दोनों लाल कोठी के समीप एक घर की आड़ में छुप गए।

धीरे-धीरे जब माहौल शांत हुआ तो कोठारी बंधु बाहर निकले, लेकीन बाहर आते ही फिर से उन पर फायरिंग कर दी। रामकुमार कोठारी और शरद कोठरी के सीने और सर पर गोली लगी, कोठारी बंधु (kothari bandhu Ayodhya) राम काज करते हुए राम की शरण में हमेशा के लिए सो गए।

kothari bandhu Ayodhya का इतिहास और कहानी।
kothari bandhu Ayodhya

कौन थे कोठारी बंधु? (who was Kothari Bandhu Ayodhya)

नाम- रामकुमार कोठारी और शरद कोठारी।

पिता का नाम- हीरालाल कोठारी।

माता का नाम- सुमित्रा देवी कोठारी।

जन्म स्थान- कोलकाता।मूल निवासी – बीकानेर (राजस्थान).

प्रारंभिक शिक्षा- बैतूल (मध्य प्रदेश).

राम कुमार और शरद कोठारी का बचपन मध्यप्रदेश के बैतूल में बिता। इनकी प्रारंभिक शिक्षा भारत भारती आवासीय विद्यालय जामठी से हुई।
रामकुमार कोठारी और शरद कोठारी की आयु में मात्र 1 वर्ष का फर्क था। दोनों भाई हमेशा ही दोस्तों की तरह साथ रहते और साथ खेलते थे। पांचवी क्लास तक की शिक्षा बेतूल से प्राप्त करने के बाद दोनों भाई पुनः कोलकाता चले गए।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए होने की वजह से बचपन से ही दोनों भाइयों में राष्ट्रभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। पढ़ाई के साथ साथ राष्ट्रीय सेवक से भी जुड़े रहें, आगे चलकर दोनों कोठारी बंधु (kothari bandhu Ayodhya) ने RSS का द्वितीय वर्ष का प्रशिक्षण भी साथ साथ प्राप्त किया।

कोठारी ब्रदर्स अर्थात् कोठारी बंधु (kothari bandhu Ayodhya) कोलकाता के बड़े बाजार के रहने वाले थे। 1990 में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद जोरों पर था। इसी को लेकर हिंदू संगठनों ने कई आंदोलन किए। RSS से जुड़े रामकुमार कोठारी और शरद कोठारी भी इस आंदोलन में भाग लेने के लिए कार सेवा में शामिल होकर अयोध्या पहुंचे।

कोठारी बंधु 200 किलोमीटर पैदल यात्रा कर पहुंचे अयोध्या (kothari bandhu Ayodhya)

22 अक्टूबर का दिन था रामकुमार और शरद कोठारी कोलकाता से ट्रेन पकड़कर अयोध्या के लिए रवाना हुए। उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने घोषणा की कि अयोध्या में परिंदा भी पर नहीं मार सकता है, क्योंकि कारसेवकों को जगह-जगह पर रोका जा रहा था।

कोठारी बंधु बनारस पहुंचे,उनके साथ उनका एक मित्र भी था। दोनों भाई मुख्य मार्ग से नहीं जा सकते थे, इसलिए वो ग्रामीण इलाकों में होते हुए लगभग 200 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंच गए।

बाबरी मस्जिद पर फहराया भगवा

विहिप नेता और कारसेवक हनुमानगढ़ी के समीप इकट्ठे हुए। यही सिर्फ आगे की कार्य योजना बनाई गई। कार सेवकों का नेतृत्व अशोक सिंघल, उमा भारती, विनय कटियार जैसे दिग्गज नेता कर रहे थे। यूपी पुलिस के तकरीबन 30000 जवान तैनात थे।

कारसेवकों को गिरफ्तार कर ले जाने के लिए यूपी पुलिस ने बस लगा रही थी, लेकिन वहां पर एक साधु ने बस ड्राइवर को पकड़ कर नीचे उतार दिया और खुद बस चलाते हुए बैरीकेटर को तोड़ दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि लगभग 5 से 6 हजार कारसेवक विवादित स्थल तक पहुंच गए।

इनमें कोठारी बंधु (kothari bandhu Ayodhya) अर्थात राम कुमार और शरद कोठारी भी शामिल थे। 30 अक्टूबर का दिन था रामकुमार कोठारी का छोटा भाई शरद कोठारी सबसे पहले गुंबद पर चढ गया और वहां पर भगवा झंडा फहरा दिया। दोनों भाई साथ खड़े रहकर गुंबद के ऊपर भगवा झंडा फहरा रहे थे।

कोठारी बंधुओं की मृत्यु कैसे हुई? (how kothari bandhu died)

2 नवंबर 1990 के दिन पुलिस कार सेवकों को वहां से भगाने के लिए और राज्य सरकार के आदेश अनुसार कारसेवकों पर अंधाधुंध गोलियां चला दी। रामकुमार और शरद कोठारी विनय कटियार के नेतृत्व में 2 नवंबर के दिन दिगंबर अखाड़े की तरफ से हनुमानगढ़ी की तरफ जा रहे थे।

तभी यूपी पुलिस ने भीड़ को खदेड़ने के लिए ताबड़तोड़ गोलियां चला दी हालांकि दोनों भाई वहां पर स्थित लाल कोठी के पीछे एक घर में छुप गए। लेकिन थोड़ी देर बाद जैसे ही दोनों भाई बाहर आए पुलिस ने फिर उनके ऊपर फायर कर दी दोनों भाइयों को गोली लगी जिससे उन्होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया।

4 नवंबर 1990 को सरयू नदी के घाट पर रामकुमार कोठारी और शरद कोठारी का अंतिम संस्कार किया गया। दोनों भाइयों के अंतिम संस्कार में हजारों की तादाद में राम भक्त उमड़े और सदा अमर रहन के नारे लगाए।

वादा जो कोठारी बंधु (kothari bandhu Ayodhya) नहीं निभा सके?

जब दोनों भाई कार सेवा में शामिल होने के लिए कोलकाता से अयोध्या के लिए रवाना हुए, उस समय उनकी बहन की शादी में लगभग 1 महीने का समय बचा था। ऐसे में उन दोनों ने अपनी बहन से वादा किया था कि वह वहां से जल्द ही लौट आएंगे और शादी में शामिल होंगे।

लेकिन 2 नवंबर को यूपी पुलिस की गोलीबारी में कोठारी बंधुओं की मृत्यु हो गई। जिससे वह अपनी बहन से किए हुए वादे को नहीं निभा सके। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उनकी बहन की शादी 12 दिसंबर को होने वाली थी।

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