मीराबाई के भजन राजस्थानी और हिंदी दोनों भाषाओं में उपलब्ध हैं। हम उन मुख्य 13 भजनों की बात करेंगे जो सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं। इस लेख के द्वारा आप मीराबाई के भजन हिंदी में लिरिक्स , मीराबाई के भजनों की राजस्थानी में लिरिक्स समेत जानकरी प्राप्त कर सकते हैं। मीराबाई के मुख्य और सर्वाधिक प्रसिद्ध भजन पायो जी मैंने राम रतन धन पायो,म्हारे घर आओ प्रीतम प्यारा,बरसे बदरिया सावन की,पग घुंघरू बांध मीरा नाची रे,मेरे तो गिरधर गोपाल-दूसरो न कोई,मोहे लागी लगन गुरू चरन, मैं गिरधर आगे नाचूंगी,श्याम मने चाकर राखो जी आदि। आप पढ़ेंगे मीराबाई के भजन लिरिक्स के साथ।
1. मीराबाई के भजन “पायो जी मैंने राम रतन धन पायो” लिरिक्स
वस्तु अमोलिक दी मेरे सतगुरु, कृपा कर अपनायो।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।।
जन्म जन्म की पूंजी पाई, जग में सबी खुमायो।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।।
खर्च ना खुटे, चोर ना लुटे, दिन दिन बढ़त सवायो।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।।
सत की नाव खेवटिया सतगुरु, भवसागर,तरवयो।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।।
मीरा के प्रभु गिरधर नगर, हर्ष हर्ष जस गायो।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।।
2. म्हारे घर आओ प्रीतम प्यारा लिरिक्स
म्हारे घर आओ प्रीतम प्याराा, जग तुम बिन लागे खारा।
तन मन सब भेंट धरूंगी, भजन करूंगी तुम्हारा।।
तुम गुणवंत सुसाहिब कहिये, मौ में अवगुण सारा।
मैं निर्गुणी कछु गुण नहीं जानूं, ये सब बगसण हारा।।
मीरा कहें प्रभु कब रे मिलोगे, तुम बिन नैन दुखारा।
म्हारे घर आओ प्रीतम प्यारा।।
3. मीराबाई के भजन “बरसे बदरिया सावन की लिरिक्स”
बरसे बदरिया सावन की।
सावन की मन भावन की।।
बरसे बदरिया सावन की।
सावन की मन भावन की।।
सावन में उमंगयो मेरो मनवा।
झनक सुनी हरि आवन की।।
उमड़ घुमड़ चहुं दिस से आयो।
दामण दमके झर लावण की।।
नन्हें नन्हें बुंदन मेघा बरसे।
शीतल पवन सुहावन की।।
मीरा के प्रभु गिरधर नगर,आनंद मंगल गावन की।
बरसे बदरिया सावन की।।
4. मीराबाई के भजन “पग घुंघरू बांध मीरा नाची रे” लिरिक्स
पग घुंघरू बांध मीरा नाची रे।
पग घुंघरू बांध मीरा नाची रे।।
मैं तो मेरे नारायण की, आपहि हो गई दासी रे।
लोग कहें मीराबाई भई बावरी, न्यात कहैं कुल नासी रे।।
विष का प्याला राणाजी भेज्या, पीवत मीरा हांसी रे।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, सहज मिले अविनाशी रे।।
5. मीराबाई के भजन “मेरे तो गिरधर गोपाल-दूसरो न कोई” लिरिक्स
मेरे तो गिरधर गोपाल-दूसरो न कोई।जाके सर मोर मुकुट, मेरो पति सोई।।
कोई कहे कारो, कोई कहे गोरो।लियो हैं अंखियां खोल।।
कोई कहे हल्को, कोई कहे भारो।लियो हैं तराजू तौल, मेरे तो गिरधर गोपालदूसरा ना कोई।।
कोई कहे छाने, कोई कहे छुवनेे लियो हैं बजंता ढ़ोल,तन का गहना मैं सब कुछ दीन्हालियो हैं बाजूबंद खोल,मेरे तो गिरधर गोपाल-दूसरो न कोई।
असुवन जल सींच-सींच प्रेम बेल बोई,अब तो बेल फैल गई। आनंद फल होई,मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई।।
तात-मात भ्रात बंधु आपणो ना कोई, छाड़ गई कुल की कानका करिहे कोई, मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई।।
चुनरी के किए टोकओढ़ली लिए लोई मोती-मुंगे उतारबन -माला पोई, मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई।।
6. मीराबाई के भजन “मोहे लागी लगन गुरू चरन” लिरिक्स
मोहे लागी लगन गुरू चरन की, गुरू चरन की गुरू चरन की।
मोहे लागी लगन गुरू चरन की, गुरू चरन की गुरू चरन की।
चरण बीना अब कछु नहीं भावे, जग माया सब संपन की गुरू चरण की मोहे लागी लागी रे मोहे लागी लागी रे।
मोहे लागी लगन गुरू चरन की, गुरू चरन की गुरू चरन की।
भव सागर सब सुख गयो है फिकर नहीं मोहे तरणन की, गुरू चरणन की मोहे लागी लागी रे मोहे लागी लागी रे।
मोहे लागी लगन गुरू चरन की,गुरू चरन की गुरू चरन की।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर आस वही, गुरू शरणन की गुरू चरणन की, मोहे लागी लागी रे मोहे लागी लागी रे।
मोहे लागी लगन गुरू चरन कीगुरू चरन की गुरू चरन की।
7. मीराबाई के भजन “मैं गिरधर आगे नाचूंगी” की लिरिक्स
श्री गिरधर आगे नाचूंगी, श्री गिरधर आगे नाचूंगी।
नाची नाची पिवरसिक रिझाऊँ,
प्रेमी जन कुँ जाचूंगी।
प्रेमप्रित की बांधी घुंगरू, सूरज की कछनी काछूंगी।
लोक लाज कुल की मरजादा,यामे एक ना राखूंगी।
पिव के पलंगा जा पोढ़ूंगी, मीरा हरि रंग राचुंगी।
8. मीराबाई के भजन “श्याम मने चाकर राखो जी” लिरिक्स
श्याम मने चाकर राखो जी, गिरधारीलाल माने चाकर राखों जी,
चाकर रहसूं बाग लगासूं नित उठ दरसण पासूं। बृंदावन की कुंज गलिन में तेरी लीला गांसू।।
चाकरी में दरसन पाऊं सुमिरन पाऊं खरची,भाव भगति जागीरी पाऊं तिनुम बातां सरसी।।
मोर मुकुट पीतांबर सोहे गल बैजंती माला। बृंदावन में धेनु चरावे मोहन मुरलीवाला ।।
हरे हरे नित बाग लगाऊं बीच बीच राखू क्यारी। सांवरिया के दरसन पाऊंपहर कुसुम्मी सारी।
जोगी आया जोग करणकूं तप करनें सन्यासी। हरि भजनकुं साधु आया बृंदावन के बासी।।
मीरा के प्रभु गहिर गंभीरा सदा रहो जी धीरा। आधी रात प्रभु दरसन दिन्हे प्रेम नदी के तीरा।।
9. मीराबाई के भजन “ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन” लिरिक्स हिंदी में
हैं आंख वो जो श्याम का दर्शन किया करे, हैं शीश जो प्रभु चरण में वंदन किया करे।
बेकार वो मुख है जो व्यर्थ बातों में, मुख है वो जो हरिनाम का सुमिरन किया करे।।
हीरे मोती से नहीं है शोभा हाथ की, है हाथ जो भगवान का पुजन किया करे।।
मर के भी अमर नाम है उस जीव का जग में, प्रभु प्रेम में बलिदान जो जीवन किया करे।।
ऐसी लागी लगन, मीरा हो गई मगन।वो तो गली गली हरी गुण गाने लगी।।
महलों में पली, बन के जोगन चली। मीरा रानी दीवानी कहाने लगी।।
कोई रोके नहीं, कोई टोके नहीं, मीरा गोविंद गोपाल गाने लगी।
बैठी संतो के संग,रंगी मोहन के रंग, मीरा प्रेमी प्रीतम को मनाने लगी। वो तो गली गली हरी गुण गाने लगी।।
राणा ने विष दिया, मानो अमृत पिया, मीरा सागर में सरिता समाने लगी।
दुःख लाखों सहे, मुख से गोविंद कहे, मीरा गोविंद गोपाल गाने लगी। वो तो गली गली हरी गुण गाने लगी।।
10. हे री मैं तो प्रेम मीराबाई भजन लिरिक्स
हे री मैं तो प्रेम दीवानी मेरो दरद न जानें कोई।
दरद की मारी बन बन डोलूं बैद मिल्यो न कोई।।
ना मैं जानु आरती वंदन, ना पुजा की रीत।
लिए री मैंने दो नैनों दीपक लिए संजोए।।
घायल की गति घायल जानें, जो कोई घायल होय।
जौहरी की गति जौहरी जानें कि जिन जौहर होय।।
सूली उपर सेज हमारी, सोवन किस बिध होय।
गगन मंडल पर सेज पिया कि , मिलना किस बीध होय।।
दरद की मारी बन बन डोलूं बैद मिल्यो न कोई।
मीरा की प्रभु पीर मिटेगी जद बैद सांवरिया होय।।
11. “प्रभु कब रे मिलोगे” मीराबाई के भजन की लिरिक्स
प्रभु जी तुम दर्शन बिन मोय घड़ी चैन नहीं आवड़े- 2
अन्न नहीं भावे नींद नहीं आवे विरह सातवे मोय। घटकर ज्यूं घूमूं खड़ी रे म्हारों दर्द न जाने कोय।।
दिन तो खाय गमायो री, रैन गमाई साय। प्राण गंवाया झूरता रे , नैन गवाया दोनों रोय।
जो मैं ऐसा जानती रे, प्रीत कियाँ दुःख होय। नगर ढूंढैरो पिटती रे, प्रीत न करियो कोय।।
पंथ निहारूं डगर भुवारू, ऊभी मारग जोय। मीरा के प्रभु कब रे मिलोगे, तुम मिलया सुख होय।।
12. मीराबाई के भजन “हरि तुम हरो जन की भीर” लिरिक्स
हरि तुम हरो जन की भीर।
द्रौपदी की लाज राखी, तुम बढ़ायो चीर।।
भक्त कारण रूप नरहरी, धरियो आप शरीर। हिरणकश्यपू मार दीन्हों, धरियों नाहीं धीर।।
बुडते गजराज राखे, कियो बाहर नीर। दासी मीरा लाल गिरधर, दुःख जहाँ तहँ पीर।।
13. “मेरो दर्द न जाणे कोई” मीराबाई के भजन लिरिक्स
मेरो दर्द न जाणे कोई, मेरो दर्द न जाणे कोई
मायरी मेरो दर्द न जाने कोई, मायरी मेरो दर्द न जाने कोई।
दर्द की मारी वन वन डोलू, दर्द की मारी वन वन डोलू, वैद्य मिल्यों न कोई, वैद्य मिल्यों न कोई, मायरी मेरो दर्द न जाने कोई।
हिरा री गत जोहरी जानें, हिरा री गत जोहरी जानें, जो कोई जोहारी होय, जो कोई जोहारी होय, मायरी मेरो दर्द न जाने कोई।
सुली उपर सेज पिया की, सुली उपर सेज पिया की, ओ सोवनो किन विद होय, सोवनो किन विद होय, मायरी मेरो दर्द न जाने कोई।
घायल की गत घायल जानें, घायल की गत घायल जानें, जो कोई घायल होय, जो कोई घायल होय, मायरी मेरो दर्द न जाने कोई।
मेरो दर्द न जाणे कोई, मेरो दर्द न जाणे कोई, मायरी मेरो दर्द न जाने कोई, मायरी मेरो दर्द न जाने कोई।
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