Nilakanth Moreshvar Pingale मोरेश्वर पिंगले का इतिहास।

Nilakanth Moreshvar Pingale (Moreshvar Pingale) या नीलकंठ मोरेश्वर पिंगले (मोरेश्वर पिंगले) मराठा साम्राज्य के पेशवा (1683–89) थे। वह मोरोपंत त्र्यंबक पिंगले के पुत्र और बहिरोजी पिंगले के बड़े भाई थे।

Moreshvar Pingale history और जीवन परिचय-

  • पुरा नाम Full name of Nilakanth Moreshvar Pingale– नीलकंठ मोरेश्वर पिंगले।
  • जन्म वर्ष Birth Year-अज्ञात हैं।
  • जन्म स्थान birth place– प्रतापगढ़, (सतारा) महाराष्ट्र।
  • मृत्यु वर्ष Year of death– 1689 ईस्वी।
  • मृत्यु स्थान Place of death– अज्ञात।
  • भाई Brothers- बहिरोजी पिंगले (छोटा भाई).
  • दादा का नाम Moreshvar Pingale Grandfather’s Name– त्र्यंबक पिंगले।
  • धर्म religion– हिंदू, सनातन।
  • पद Post– पेशवा
  • साम्राज्य Empire– मराठा साम्राज्य।
  • इनसे पूर्ववर्ती पेशवा Predecessor– मोरोपंत त्र्यंबक पिंगले।
  • इनके बाद पेशवा succeeded– रामचंद्र पंत अमात्य (Ramchandra Pant Amatya).

भारतवर्ष की भूमि ने समय-समय पर ऐसे वीर पुरुषों को जन्म दिया जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों तक की आहुति लगा दी।

इतिहास के पन्नों में त्याग, बलिदान और शौर्य की अमिट छाप छोड़ने वाले परिवारों में नीलकंठ मोरेश्वर पिंगले (moreshwar nilkanth pingle) के परिवार का बहुत बड़ा योगदान रहा है।

आज से लगभग 500 वर्ष पूर्व मराठा साम्राज्य संपूर्ण भारत में फैला हुआ था। इसका पूरा श्रेय भारत भूमि पर जन्म लेने वाले वीर योद्धाओं की वीरता, त्याग बलिदान और देश प्रेम के साथ-साथ हिंदू धर्म की रक्षा का जिम्मा था।

1683 ईस्वी में मोरोपंत त्र्यंबक पिंगले की मृत्यु के पश्चात उनके पुत्र नीलकंठ मोरेश्वर पिंगले (मोरेश्वर पिंगले,Nilakanth Moreshvar Pingale (Moreshvar Pingale) या नीलकंठ मोरेश्वर पिंगले (मोरेश्वर पिंगले) मराठा साम्राज्य के पेशवा (1683–89) थे। मराठा साम्राज्य के दूसरे पेशवा के रूप में पदभार संभाला।

इस समय मराठा साम्राज्य के छत्रपति के रूप में छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी आसीन थे। नीलकंठ मोरेश्वर पिंगले (Nilakanth Moreshvar Pingale or Moreshvar Pingale) या नीलकंठ मोरेश्वर पिंगले (मोरेश्वर पिंगले) मराठा साम्राज्य के पेशवा (1683–89) थे। ने बचपन से ही युद्ध में निपुणता हासिल कर ली थी।

यही वजह थी कि यह मराठा साम्राज्य के अष्टप्रधानो में से एक थे।

युद्ध से संबंधित महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का काम कई दफा मोरेश्वर पिंगले को सौंपा जाता था इन के सानिध्य में ही सेना युद्ध मैदान में लड़ाई के लिए जाती थी।

छत्रपति संभाजी को इन पर बहुत विश्वास था और इसी विश्वास पर खरे उतरते हुए उन्होंने कई युद्ध में मराठा साम्राज्य के लिए विजय पताका फहराई थी।

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मोरेश्वर पिंगले की मृत्यु-

मराठा साम्राज्य के छत्रपति संभाजी के साथ लड़ाई करते हुए 1689 ईस्वी में मोरेश्वर पिंगले (Nilakanth Moreshvar Pingale (Moreshvar Pingale) या नीलकंठ मोरेश्वर पिंगले (मोरेश्वर पिंगले) मराठा साम्राज्य के पेशवा (1683–89) थे।) की युद्ध मैदान में ही मौत हो गई।

इस युद्ध में छत्रपति संभाजी बच गए। इनकी मृत्यु के पश्चात “रामचंद्र पंत अमात्य”(Ramchandra Pant Amatya) को मराठा साम्राज्य के अगले पेशवा के रूप में अष्टप्रधान में जगह मिली।

आगे चलकर मोरेश्वर पिंगले (Nilakanth Moreshvar Pingale (Moreshvar Pingale) या नीलकंठ मोरेश्वर पिंगले (मोरेश्वर पिंगले) मराठा साम्राज्य के पेशवा (1683–89) थे।) के छोटे भाई बहिरोजी पिंगले को भी मराठा साम्राज्य में अष्टप्रधान की टीम में जगह मिली।

इस तरह इस परिवार ने पीढ़ी दर पीढ़ी देश और मराठा साम्राज्य की सेवा में अपना अभूतपूर्व योगदान दिया। इनके योगदान और बलिदान को मराठा साम्राज्य के इतिहास के पन्नों से कभी नहीं मिटाया जा सकता है।

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