पृथ्वीराज चौहान का सच जो आज तक छुपाया गया, पढ़ें प्रमाण के साथ।

पृथ्वीराज चौहान का सच (prithviraj chauhan ka sach ) जानकर आपको आश्चर्य होगा कि हमारे इतिहासकारों ने हमें किस हद तक भ्रमित कर रखा था।इतिहासकारों द्वारा फैलाया गया भ्रम और पृथ्वीराज चौहान का सच जानना हमारे लिए बहुत ही आवश्यक है ताकि आने वाली पीढ़ी को वीर पृथ्वीराज चौहान का सच पता लग सके।

पृथ्वीराज चौहान जैसे शौर्यशाली राजा महाराजाओं की कहानी या इतिहास पढ़ कर आने वाली पीढ़ियों में देश प्रेम और स्वाभिमान की भावना बनी रहे।

मोहम्मद गौरी को पराजित करने को लेकर पृथ्वीराज चौहान का सच-

पृथ्वीराज चौहान का शासनकाल 1178 ईस्वी से 1192 ईस्वी तक रहा। इनका शासन राजस्थान हरियाणा पंजाब मध्य प्रदेश दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों तक था। शुरू से ही हार का सामना कर रहे मोहम्मद गौरी का जब 1178 में गुजरात के चालुक्यों से सामना हुआ। कसरावद के युद्ध में चालुक्यों ने मोहम्मद गौरी को पराजित कर दिया।

1190-1191 ईस्वी में मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान के अधीन क्षेत्रों पर आक्रमण करना शुरू किया और बठिंडा पर कब्जा कर लिया।
इस समय पृथ्वीराज चौहान दिल्ली में थे। जब उन्हें इस हमले की जानकारी मिली तो वह तुरंत तबरहिंदा की ओर निकल पड़े।

मोहम्मद गौरी भी तबरहिंदा पर विजय प्राप्त करना चाहता था, तभी वहां पर पृथ्वीराज चौहान के आने की सूचना मिली और तराइन के मैदान में मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान की सेना के बीच एक भीषण युद्ध हुआ।

एक ऐसा युद्ध जिसकी कल्पना मोहम्मद गोरी ने कभी नहीं की थी, मोहम्मद गौरी की सेना को मिट्टी में मिला दिया जैसे तैसे वहां से भागकर मोहम्मद गोरी ने अपनी जान बचाई। पृथ्वीराज चौहान का सच यही है कि तराइन के प्रथम युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की जीत हुई।

तराइन का दूसरा युद्ध जोकि 1192 ईस्वी में लड़ा गया। पृथ्वीराज चौहान की सेना में 300000 से अधिक सैनिक 300 हाथी, घुड़सवार और तीरंदाज शामिल थे।

वहीं दूसरी तरफ मोहम्मद गौरी की सेना में 120000 सैनिक और 10000 घुड़सवार तीरंदाज शामिल थे। दूध का दूध और पानी का पानी तो यहीं पर हो जाता है कि तीन लाख की विशाल सेना के सामने 120000 सैनिकों की सेना पैसे टिक सकती लेकिन पता नहीं कैसे हमारे इतिहासकारों ने इस युद्ध में मोहम्मद गोरी की जीत का दावा किया है।

पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गोरी को युद्ध में 16 बार पराजित किया था लेकिन हर बार उसे माफ कर दिया गया या फिर वह जान बचाकर युद्ध मैदान से भाग गया था। यही पृथ्वीराज चौहान का सच हैं।

पृथ्वीराज चौहान का सच जो आपसे छुपाया?

राजा जयचंद का नाम आपने सुना होगा इनकी बेटी से पृथ्वीराज चौहान ने प्रेम विवाह किया था। जिसके चलते राजा जयचंद पृथ्वीराज चौहान के खिलाफ हो गए और मोहम्मद गौरी का साथ दिया। इतिहासकार ज्यादातर वही बातें लिखते हैं जो वह लोगों को बताना चाहते हैं।

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पृथ्वीराज रासो के अनुसार राजा जयचंद द्वारा गद्दारी किए जाने के पश्चात मोहम्मद गोरी ने जालसाजी से पृथ्वीराज चौहान को बंदी बना लिया और अपने साथ गजनी लेकर चले गए। हमारे देश में सदियों से एक कहावत चली आ रही है जो इधर-उधर की बातें करते हैं या नमक हरामि करते हैं उन्हें जयचंद के नाम से पुकारा जाता है। कहावतें कभी झूठ नहीं बोलती इसके माध्यम से भी पृथ्वीराज चौहान की इस सच्चाई (पृथ्वीराज चौहान का सच) पर विश्वास किया जा सकता है।

राजा जयचंद की मदद से मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को बंदी बनाने में कामयाबी हासिल की थी। गजनी पहुंचने के पश्चात पृथ्वीराज चौहान को तरह-तरह की यातनाएं दी गई जो बहुत ही मानवीय थी। पृथ्वीराज चौहान की आंखें फोड़ दी गई और तहखाने में बंद कर दिया।
पृथ्वीराज चौहान के राज दरबारी चंदवरदाई लिखते हैं कि मोहम्मद गोरी तीरंदाजी प्रतियोगिता का आयोजन करवाता था।

इस प्रतियोगिता के दौरान चंदवरदाई ने मोहम्मद गोरी से अपील की पृथ्वीराज चौहान भी इस प्रतियोगिता में भाग लेना चाहता है। पहले तो मोहम्मद गोरी को यह बात हास्यास्पद लगी की एक अंधा कैसे तीरंदाजी प्रतियोगिता में भाग ले सकता है लेकिन बाद में उसने हां कर दिया।

प्रतियोगिता की शुरुआत होने से पहले ही चंदवरदाई ने पृथ्वीराज चौहान को बताया कि जहां पर मोहम्मद गोरी बैठा है उस स्थान को शब्दों के माध्यम से बयां करूंगा और आप तीर चला देना।

जैसे ही पृथ्वीराज चौहान का बारी आई, चंदवरदाई ने एक श्लोक बोला
चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण। ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान।।

पृथ्वीराज चौहान का सच बयां करता श्लोक।

इस श्लोक के माध्यम से पृथ्वीराज चौहान को मोहम्मद गौरी के बेटे होने की जगह की सटीक जानकारी प्राप्त हो गई। उन्होंने जैसे ही तीर चलाया सीधा मोहम्मद गौरी के सीने को चीरता हुआ पार निकल गया, मोहम्मद गौरी की मृत्यु हो गई।

इतने में मोहम्मद गोरी के सैनिक पृथ्वीराज चौहान की ओर दौड़ पड़े लेकिन पूर्व नियोजित योजना के अनुसार चंदवरदाई ने एक तलवार पृथ्वीराज चौहान के हाथ में पकड़ाई और दूसरी स्वयं के हाथ में रखी और दोनों ने एक दूसरे को मौत के घाट उतार दिया क्योंकि उन्हें दुश्मनों के हाथों मृत्यु तक पसंद नहीं थी। यही हैं मृत्यु को लेकर , पृथ्वीराज चौहान का सच।

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पृथ्वीराज चौहान का सच बताने वाले प्रमाण

1. पृथ्वीराज चौहान का सच बताने वाला एक मात्र प्रमाण है “पृथ्वीराज रासो” जो कि उनके राजदरबार चंदवरदाई द्वारा लिखा गया था।

2. पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल के दौरान शिलालेख प्राप्त हुए हैं वह स्वयं राजा द्वारा जारी नहीं किए गए हैं उनके बारे में अधिकांश जानकारी मध्यकालीन पौराणिक व्रत आंतों से प्राप्त हुई है।

3. तराइन के युद्ध के बारे में मुस्लिम खातों द्वारा जानकारी दी गई है। यह लेखक मध्यकालीन थे अर्थात पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु के कई वर्षों पश्चात तो इन पर विश्वास नहीं किया जा सकता है।

4. पृथ्वीराज चौहान का उल्लेख करने वाले अन्य वृतांतों या ग्रंथों की बात की जाए तो उनमें पृथ्वीराज प्रबंध, प्रबंध कोष और चिंतामणि प्रबंध शामिल है जो कि पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु की सदियों पश्चात लिखे गए। इन पर विश्वास नहीं किया जा सकता ना ही पृथ्वीराज चौहान का सच पता लग सकता हैं।

5. चंदवरदाई द्वारा लिखित पृथ्वीराज रासो पर इसलिए विश्वास किया जाता है, क्योंकि पृथ्वीराज चौहान के राजदरबारी द्वारा लिखा गया ग्रंथ हैं।

6. सन 1336 ईस्वी में जैन भिक्षुओं द्वारा लिखित पट्टावली में पृथ्वीराज चौहान का उल्लेख किया गया है, यह उल्लेख लगभग 1250 ईस्वी का है।

7. हमारी धरोहर और हमारे इतिहास को जीवित रखने वाले बाट बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। क्योंकि सैकड़ों वर्षो से यह लोग अपने इतिहास को ज्यों का त्यों पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित करते रहे हैं। इनकी बातों पर विश्वास किया जाए तो उपरोक्त लेख में लिखा पृथ्वीराज चौहान का सच सही साबित होता है।

तो दोस्तों पृथ्वीराज चौहान का सच जो आपसे सैकड़ों वर्षो से छुपाया गया, जानकर आपको हर्ष हुआ होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा है तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें और पृथ्वीराज चौहान का सच अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं।

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