राजा पोरस का इतिहास (Raja Porus History In Hindi)– राजा पोरस एक महान शासक थे जिन्होंने सिकंदर को युद्ध में पराजित किया था. राजा पोरस को “राजा पुरूवास” के नाम से भी जाना जाता हैं. इनका साम्राज्य विस्तार पंजाब में झेलम से लेकर चेनाब नदी तक फैला हुआ था.
भारत के चुनिंदा महान शासकों में राजा पोरस या पुरूवास का नाम शामिल हैं लेकिन इतिहासकारों ने राजा पोरस का इतिहास (Raja Porus History In Hindi) भुला दिया. लोगों को सिकंदर याद हैं लेकिन उसको पराजित करने वाला राजा पोरस के बारे में कोई नहीं जानता हैं.
इस लेख में आगे राजा पोरस का इतिहास,जीवन परिचय, पोरस और सिकंदर युद्ध के बारें में पढ़ेंगे.
राजा पोरस का जीवन परिचय (Raja Porus Biography In Hindi)
परिचय बिंदु | परिचय |
नाम- | राजा पोरस या राजा पुरूवास (Raja Porus). |
पिता का नाम- | राजा बमनी. |
माता का नाम- | अनसूया. |
राज्य- | पुरूवास. |
शासनकाल- | 340 ईसा पूर्व से 315 ईसा पूर्व. |
उपलब्धि- | दुनियाँ जीतने वाले सिकंदर को हराया. |
दुनियाँ जीतने से उद्देश्य से यूनानी शासक अलेक्जेंडर सिकंदर निकला लेकिन कहते हैं कि जब सियार की मौत आती हैं तो वह जंगल की तरफ भागता हैं. ठीक वैसा ही सिकंदर के साथ हुआ. राजा पोरस का सामना होने के बाद उसका दुनियां जीतने का सपना चकनाचूर हो गया. राजा पोरस का इतिहास गवाह हैं कि सिकंदर सिर्फ किताबों में महान हैं.
पोरस कौन था? राजा पोरस का इतिहास
340 ईसा पूर्व से 315 ईसा पूर्व. के बिच राजा पोरस पुरूवास का राजा था. पोरस के माता-पिता का नाम राजा बमनी और अनसूया था. इनका शासन क्षेत्र पंजाब की झेलम नदी से चेनाब नदी के आस-पास का क्षेत्र था. राजा पोरस और सिकंदर की लड़ाई हुई थी जिसमें इन्होंने सिकंदर को पराजित किया.
इस सन्दर्भ में एक सिक्का प्राप्त हुआ हैं जिसमें राजा पोरस हाथी के पीछे बांधकर सिकंदर को घसीटते हुए ले जा रहे है.
राजा पोरस की वंशावली
राजा पोरस पोरवा वंश के शासक थे. राजा पोरस की वंशावली की बात की जाए तो चंद्रवंशी राजा ययाति के पुत्र पुरु के वंशज पुरु, पौर, पौरवंशी, इस वंश के राजा मतिनार सूर्यवंशी सम्राट मान्धाता के नाना थे, महाराजा पुरु से एक शाखा कुरु वंश की चली, इनसे चन्द्रवंश की अन्य शाखाएँ भी चली, एक शाखा अब तक पुरु या पौरव वंशी कहलाती हैं.
पोरस और सिकंदर का युद्ध (Raja Porus Aur Sikandar yudh)
सिकंदर दुनियाँ में कोहराम मचा रहा था उस पर दुनियाँ जीतने की धुन सवार थी. अपनी जीत का परचम फहराने के उद्देश्य से जब सिकंदर ने भारत में प्रवेश किया तो सबसे पहले उसका सामना पोरवा वंश के शासक राजा पोरस से हुआ. क्योंकि सिकंदर के पास भारत में घुसने का एक मात्र रास्ता था चेनम और झेलम नदी वाला भाग जहाँ पर पोरस का राज था. सिकंदर एक मजबूत शासक था लेकिन उसने यहाँ दुश्मन को हल्के में लेने की भूल कर दी.
जो भी शासक या राजा सिकंदर की अधीनता स्वीकार नहीं करते उन पर वह आक्रमण करके तहस-नहस कर देता था. राजा पोरस ने सिकंदर की अधीनता स्वीकार करने की बजाए युद्ध करना उचित समझा. जब यह समाचार सिकंदर के पास पहुंचा तो उसने पोरस के राज्य पर हमला कर दिया. सिकंदर की सेना में लगभग 50 हजार से अधिक सैनिक थे.
राजा पोरस और सिकंदर के बीच 326 ईसा पूर्व में युद्ध हुआ था.

राजा पोरस और सिकंदर का युद्ध “Battle Of The Hydaspes” के नाम से जाना जाता हैं. आम्भी नामक राजा ने इस युद्ध में सिकंदर की मदद की जिसके परिणामस्वरूप सिकंदर भारत में प्रवेश करने में कामयाब रहा. जेलम नदी पार करते ही सिकंदर का सामना राजा पोरस से हुई. राजा पोरस के पास विशाल संख्या में हाथी की सेना थी.
इतिहासकार कहते हैं कि पोरस यवन सेना को घुटनों पर ले आया. जबकि राजा पोरस की सेना में मात्र 20 हजार सैनिक थे लेकिन बहादुरी में सिकंदर की सेना उनके सामने कुछ नहीं थी. सिकंदर के पास सेना थी तो पास साहस. सिकंदर के अंगरक्षक उसे युद्ध मैदान से बाहर ले गए जिससे उसकी जान बच पाई. लेकिन ऐसे वीर पोरस को इतिहास में वो स्थान नहीं मिला जिसका वो हक़दार थे.
एक यूनानी इतिहासकार लिखता हैं- "राजा पोरस और सिकंदर की यूनानी सेना में लगभग 8 घण्टे तक लड़ाई होती रही लेकिन सिकन्दर को जीत नहीं मिली".
राजा पोरस की सेना हाथियों पर सवार थी यही वजह थी कि सिकंदर की सेना के पास उनका कोई तोड़ नहीं था. सिकंदर के घोड़े का नाम “बुकीफाईलस” था जिसे राजा पोरस के भाई अमर ने एक भाले के वार से उसे मार गिराया.
इस युद्ध में सिकंदर भी घायल हो गया था. सिकंदर को निहत्था देखकर राजा पोरस ने उसे जान से नहीं मारा, नहीं तो इस दिन सिकंदर का नामोनिशान मिट सकता था. पोरस और सिकंदर का युद्ध आज भी बहुत बड़ी ऐतिहासिक घटना मानी जाती हैं.
पोरस की बहादुरी से प्रभावित हुआ सिकंदर
पोरस और सिकंदर का युद्ध समाप्त होने के बाद सिकंदर पोरस का लोहा मान गया. राजा पोरस ने सिकंदर को जोरदार झटका दिया था. पोरस की बहादुरी देख कर वह अचंभित था, इससे पहले ऐसे वीर और शक्तिशाली राजा का सामना उसने कभी नहीं किया था. बड़ी संख्या में सिकंदर के सैनिक मारे गए और बड़ी तादाद में घायल भी हुए, यह मंजर सिकंदर ने कभी नहीं देखा था. इस पराजय से सिकंदर समझ गया की उसके लिए भारत जीतना संभव नहीं हैं.
ऐतिहासिक साक्ष्य की अनुपलब्ध्ता के कारण राजा पोरस का इतिहास में उल्लेख बहुत कम हुआ हैं.
क्या सिकंदर और पोरस की दोस्ती हुई थी?
पोरस ने युद्ध में सिकंदर को धूल चटाई या युद्ध में किसी की जीत नहीं हुई कई जगह यह भी देखने को मिलता हैं. जब युद्ध समाप्त हुआ तो पोरस को बंदी बना लिया गया. बंदी बनाकर पोरस से सिकंदर ने पूछा की बोल तुम्हारे साथ क्या सलूक किया जाए? इस प्रश्न के जवाब में पोरस ने उत्तर दिया ” जो एक राजा का दूसरे राजा के साथ किया जाना चाहिए”.
यह जवाब सुनकर सिकंदर सन्न रह गया और उसने पोरस से दोस्ती कर ली.
लेकिन इस ऐतिहासिक घटना पर विश्वास कम ही होता हैं क्योंकि भारतीय राजा-महाराजाओं की तरह जो ज़िंदा नहीं छोड़ते थे. कुलमिलाकर राजा पोरस का इतिहास हमारे लिए गर्व का विषय हैं क्योंकि उसने सिकंदर को घुटनों पर ला दिया था.
राजा पोरस की मृत्यु कैसे हुई?
राजा पोरस की मृत्यु को लेकर इतिहासकारों का एक तबका यह मंटा हैं की 323 ईसा पूर्व में सिकंदर की मृत्यु के पश्चात् पोरस के एक जनरल ने उनकी हत्या करवा दी. जबकि कुछ इतिहासकार यह बताते हैं की सिकंदर को भारत में मदद करने वाले राजा आम्भी ने पोरस की हत्या करवाई.
पोरस की मृत्यु को लेकर कोई भी प्रामाणिक प्रमाण नहीं मिलता हैं लेकिन ऐसा कह सकते हैं कि 321 ईसा पूर्व से 315 ईसा पूर्व के मध्य पोरस की मृत्यु हुई होगी.
राजा पोरस का इतिहास: सम्बंधित प्रश्न-उत्तर
[1] पोरस की पत्नी का नाम क्या था?
उत्तर- सुहानी ढाँकी.
[2] राजा पोरस कौनसे वंश के थे?
उत्तर- पोरवा वंश.
[3] क्या पोरस ने सिकंदर को हराया था?
उत्तर- हाँ, 326 ईसा पूर्व में झेलम नदी के तट पर हुए युद्ध में पोरस ने सिकंदर को हराया था.
[4] पोरस के पुत्र कौन थे?
उत्तर- मल्यकेतु.
[5] राजा पोरस की मृत्यु कब हुई?
उत्तर- 321 ईसा पूर्व से 315 ईसा पूर्व के मध्य पोरस की मृत्यु हुई होगी.
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