Ranoji Shinde ( राणोजी शिंदे )- सिंधिया वंश के संस्थापक।

Ranoji Shinde (राणोजी शिंदे (Founder of Scindia dynasty) को सिंधिया वंश का संस्थापक माना जाता हैं। 1731 से लेकर 1745 तक ये ग्वालियर के महाराजा रहे। प्रारंभ में इनका सर नेम शिंदे था जो बाद में चलकर सिंधिया हो गया।

राणोजी शिंदे (Ranoji Shinde history in hindi ) का इतिहास –

  • पूरा नाम– राणोजी शिंदे अथवा रानोजी सिंधिया।
  • पिता का नाम Ranoji Shinde fathers name – जानकोजी शिंदे प्रथम।
  • पत्नी का नाम Ranoji Shinde wifes name– मैना बाई और चिमा बाई।
  • इनका उत्तराधिकारी– जयप्पाजी राव सिंधिया।
  • पुत्र (राणोजी शिंदे वंशावळ)– जयप्पाजी राव सिंधिया, दत्ताजी राव सिंधिया, ज्योतिबा राव सिंधिया, तुकोजी राव सिंधिया और महादजी शिंदे।
  • धर्म– हिंदू सनातन।

मराठा साम्राज्य में सरदार के पद पर कार्य किया। राणोजी शिंदे को सिंधिया वंश के संस्थापक ( Founder of Scindia dynasty ) के तौर पर याद किया जाता हैं।

व्यक्तिगत जीवन की बात की जाए तो इन्होंने 2 शादियां की थी। इनकी पहली पत्नी का नाम मैना बाई था,जबकि दूसरी पत्नी का नाम चिमा बाई था।

इनके 5 पुत्र हुए सबसे बड़े बेटे और सिंधिया परिवार के उत्तराधिकारी का नाम जयप्पाजी राव सिंधिया था। इनके बाद क्रमशः दत्ताजी राव सिंधिया, ज्योतिबा राव सिंधिया, तुकोजी राव सिंधिया और महादजी शिंदे का जन्म हुआ।

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मराठा साम्राज्य के लिए कार्य-

मराठा साम्राज्य में शिंदे परिवार का योगदान अभूतपूर्व रहा। राणोजी शिंदे (Ranoji Shinde) ने पेशवा बाजीराव प्रथम के समय कार्य प्रारंभ किया था।

इन्होने कुनबी के निजी सेवक के रूप में कैरीयर की शुरुआत की थी। बाजीराव पेशवा के समय “चप्पल बनाने वाले” के रूप में कार्यरत रहे।

लेकिन धीरे धीरे समय के साथ-साथ इन्होंने ऐसा प्रभाव जमाया कि देखते ही देखते इनको महत्त्वपूर्ण पद हासिल कर लिया।

सन् 1737 से 1780 तक उज्जैन में इस वंश का राज था। महाराज राणोजी शिंदे ने उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया था।

राणोजी शिंदे (Ranoji Shinde) के दीवान “रामचंद्र शेनवी’ ने महाकाल मंदिर निर्माण करवाया।

जैसे जैसे समय बीतता गया शिंदे परिवार ने उज्जैन की जगह ग्वालियर को अपनी राजधानी बनाया और वहां जाकर बस गए।

राणोजी शिंदे की मृत्यु Ranoji Shinde death –

3 जुलाई 1745 के दिन शिंदे परिवार के संस्थापक राणोजी शिंदे का शुजलपुर ( मालवा) में देहांत हो गया।

इनकी मृत्यू के पश्चात् इनके ज्येष्ठ पुत्र जयप्पाजी राव सिंधिया ग्वालियर के नए महाराजा बने।

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