चक्रवर्ती सम्राट अशोक (Samrat Ashok) को मौर्य वंश के सभी राज्यों में से महान माना जाता है। सम्राट अशोक की महानता के पीछे इनके द्वारा देश और समाज के लिए किए गए कार्य और भारत के सबसे विशाल साम्राज्य का सफलतापूर्वक शासन करना रहा है। चक्रवर्ती सम्राट अशोक को देवताओं का प्रिय नाम से भी जाना जाता है। चक्रवर्ती सम्राट अशोक का नाम विश्व के नामी राजाओं में लिया जाता है।
विशाल मौर्य साम्राज्य की स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा की गई थी जबकि इस राज्य को विस्तार करने में राजा बिंदुसार का महत्वपूर्ण योगदान था। राजा बिंदुसार चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान के पिता थे। चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान को इनके द्वारा बनाए गए शिलालेख, स्तंभ, कलिंग युद्ध में विजय, बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार के साथ ही कुशल शासन प्रबंध व्यवस्था और लोगों के लिए किए गए कल्याणकारी कार्यों के लिए याद किया जाता है।
चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान का इतिहास और आरंभिक जीवन,(Chakravarti Samrat Ashok History in Hindi) –
- पूरा नाम Samrat Ashok full name– देवनांप्रियं चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान।
- अन्य नाम/उपाधियां Samrat Ashok other names – देवनांप्रियं, प्रियदर्शी, मगध का राजा, अशोक मौर्य, अशोकवर्धन और अशोक महान।
- सम्राट अशोक का जन्म Samrat Ashok birth year– 273 ईसा पूर्व।
- सम्राट अशोक का जन्म स्थान Samrat Ashok birth place– पाटलिपुत्र, पटना (बिहार).
- सम्राट अशोक का राज्याभिषेक– 270 ईo पूo.
- सम्राट अशोक की मृत्यु Samrat Ashok died– 232 ईसा पूर्व।
- सम्राट अशोक का मृत्यु स्थान– पाटलिपुत्र, पटना (बिहार).
- सम्राट अशोक के पिता का नाम fathers name of Samrat Ashok– राजा बिंदुसार मौर्य।
- सम्राट अशोक की माता का नाम mothers name of Samrat Ashok– सुभद्रांगी (धर्मा).
- सम्राट अशोक की पत्नी का नाम Samrat Ashok wifes name– पद्मावती, करूवाकी, तिष्यारक्षा और देवी नामक चार पत्नियां थी।
- सम्राट अशोक की संताने Samrat Ashok childrens– महेंद्र मौर्य, , तीवल मौर्य और कुणाल मौर्य नामक 3पुत्र और चारुमती एवम संघमित्रा 2 पुत्रीयां थी।
- सम्राट अशोक की समाधि– पाटलिपुत्र, पटना।
- सम्राट अशोक की शासन अवधि– 269 ईo पूo से 232 ईo पूo तक।
- पूर्ववर्ती राजा– राजा बिंदुसार मौर्य।
- उत्तरवर्ती राजा– दशरथ मौर्य।
बौद्ध धर्म में भगवान बुद्ध के बाद सम्राट अशोक (Samrat Ashok) का नाम आता है। चक्रवर्ती सम्राट अशोक रानी धर्मा और बिंदुसार के पुत्र थे। श्रीलंका की परंपरा में बिंदुसार का जो वर्णन किया है उसमें उसकी 16 पटरानियों और 101 पुत्रों का उल्लेख मिलता है। लेकिन इतिहास को खंगालने पर राजा बिंदुसार के सिर्फ तीन पुत्रों के नाम सामने आते हैं जिनमें सुसीम जो कि सबसे बड़ा था उसके बाद अशोक और तिष्य का नाम आता है।
एक पौराणिक कहानी के अनुसार एक दिन रानी धर्मा को सपना आया कि उसका पुत्र आगे चलकर एक विशाल साम्राज्य का बहुत बड़ा सम्राट बनेगा, उसके बाद राजा बिंदुसार से उनकी शादी हो गई। रानी धर्मा क्षत्रिय कुल से नहीं थी। चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान (Samrat Ashok) बचपन से ही सैन्य गतिविधियों में भाग लेते रहते थे और बचपन में ही निपुणता हासिल कर ली थी।
आज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व अशोक द्वारा खुदवाया गया चिह्न, जिसे अशोक चिह्न के नाम से जाना जाता है आज भारत का राष्ट्रीय चिन्ह है। अशोक चिन्ह भारत के तिरंगे के मध्य में शोभायमान हैं।
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सम्राट अशोक का साम्राज्य कहां से कहां तक फैला हुआ था,From where was the empire of Emperor Ashoka spread? –
सम्राट अशोक (Samrat Ashok) को ऐसे ही महान नहीं कहा जाता है, उनका साम्राज्य उत्तर में हिंदूकुश की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी के दक्षिण तथा मैसूर तक फैला हुआ था।
पूर्व दिशा में बांग्लादेश से लेकर पश्चिम दिशा में अफगानिस्तान ईरान तक फैला हुआ था। अगर वर्तमान परिदृश्य में सम्राट अशोक (Samrat Ashok) के साम्राज्य की सीमाओं की बात की जाए तो इसमें संपूर्ण भारत के साथ-साथ अफगानिस्तान, नेपाल, पाकिस्तान, भूटान, म्यांमार और बांग्लादेश का अधिकांश हिस्सा शामिल था।
जब भी विश्व के शक्तिशाली और महान राजाओं की बात की जाती है तो मौर्य साम्राज्य के तृतीय राजा सम्राट अशोक (Chakravarti Samrat Ashok) का नाम पहली पंक्ति में आता है। सम्राटों के सम्राट चक्रवर्ती सम्राट अशोक भारत के सबसे शक्तिशाली एवं महान सम्राट थे।
सम्राट अशोक (Samrat Ashok) द्वारा साम्राज्य विस्तार –
उस समय तक्षशिला में यूनानी और भारतीय लोगों की जनसंख्या ज्यादा थी। सम्राट अशोक (Samrat Ashok) के बड़े भाई सुसीम उस समय तक्षशिला का प्रांतपाल था। सुसीम प्रशासनिक कार्यों में कुशल नहीं था। साथ ही अलग-अलग धर्मों के लोग रहने की वजह से वहां पर एक बहुत बड़ा विद्रोह खड़ा हो गया।
जब राजा बिंदुसार को लगा कि विद्रोह को दबाना सुसीम के बस का रोग नहीं है तो उन्होंने चक्रवर्ती सम्राट अशोक को विद्रोह को दबाने के लिए तक्षशिला भेजा।
इस समय तक सम्राट अशोक (Samrat Ashok) बहुत नाम कमा चुके थे उनकी युद्ध कौशल लेता और महानता से करीब करीब सभी लोग परिचित थे और यही वजह रही कि तक्षशिला पहुंचने से पहले ही विद्रोहियों ने विद्रोह को खत्म कर दिया। यह बिना युद्ध के खत्म होने वाला पहला विद्रोह था।
सम्राट अशोक (Samrat Ashok) के बढ़ते प्रभाव से उसका बड़ा भाई सुसीम घबरा गया क्योंकि उसे लगने लग गया था कि सम्राट अशोक की प्रसिद्धि इसी तरह बढ़ती रही तो वह कभी मौर्य साम्राज्य का सम्राट नहीं बन पाएगा, इसीलिए उन्होंने पिता बिंदुसार से आग्रह किया और सम्राट अशोक को कलिंग भेज दिया गया।
कहते हैं कि कलिंग जाने के पश्चात वहां के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति की पुत्री मत्स्यकुमारी कौर्वकी से सम्राट अशोक (Chakravarti Samrat Ashok) को प्रेम हो गया और धीरे-धीरे यह प्रेम विवाह में तब्दील हो गया।
उज्जैन में हुए विद्रोह को दबाने के लिए भी सम्राट अशोक (Samrat Ashok) के पिता राजा बिंदुसार ने अशोक को निर्वासन से वापस बुलाया और विद्रोह को सफलतापूर्वक दबा दिया गया, लेकिन राजा बिंदुसार के गुप्त चोरों के माध्यम से यह खबर मिली कि उनके बड़े पुत्र सुसीम से सम्राट अशोक को खतरा है, इसलिए पूर्व रणनीति के तहत सम्राट अशोक को सुसीम से दूर रखा गयाा।
राजा बिंदुसार की आयु धीरे-धीरे बढ़ रही थी मौर्य साम्राज्य की जनता चाहती थी कि सम्राट अशोक को सिंहासन मिले, लेकिन सम्राट अशोक की राह में सबसे बड़ा रोड़ा था उसका बड़ा भाई सुसीम।
सुसीम से आम जनता परेशान थी। जब राजा बिंदुसार आश्रम में थे तब उन्हें गुप्त चरो के माध्यम से खबर मिली की उनकी पत्नि को उनके सौतेले भाइयों ने मौत के घाट उतार दिया है तब सम्राट अशोक ने उन सबको मौत के घाट उतारा और स्वयं मौर्य साम्राज्य के सम्राट बने।
सम्राट अशोक के इतिहास के प्रमाण (Evidence of the history of Emperor Ashoka) –
सम्राट अशोक (Samrat Ashok) के इतिहास के बारे में प्रत्यक्ष प्रमाण की बात की जाए तो, इसमें साहित्यिक स्त्रोतों के साथ-साथ पुरातात्विक स्त्रोत भी शामिल हैं।
A. सबसे पहले बात करते हैं साहित्यिक स्त्रोत की इसमें महावंश, दीपवंश, बुद्धघोष की रचनाएं, अशोकावदान, दिव्यावदान, पौराणिक कथाएं, फाह्यान एवं हैनसांग द्वारा लिखित लेख, आर्यमंजुश्रीमूलकल्प और राजतरंगिणी का नाम आता है।
B. सम्राट अशोक के इतिहास को जानने के लिए पुरातात्विक स्रोतों की बात की जाए तो इसमें सम्राट अशोक द्वारा लिखे गए शिलालेख सबसे महत्वपूर्ण है। इन शिलालेखों से या अभिलेखों से सम्राट अशोक (Chakravarti Samrat Ashok) के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है।
सम्राट अशोक का राज्याभिषेक (Accession of Emperor Ashoka) –
चक्रवर्ती सम्राट अशोक (Samrat Ashok) के पिता राजा बिंदुसार 273 ईसा पूर्व में बीमार पड़ गए। जैसा कि आपने ऊपर पढ़ा बड़े बेटे के कहने पर राजा बिंदुसार ने अशोक को कलिंग भेज दिया था। लेकिन उज्जैन में हुए विद्रोह को दबाने के लिए पुनः सम्राट अशोक को आना पड़ा। जब इनके पिता बीमार पड़े तब चक्रवर्ती सम्राट अशोक उज्जैन में गवर्नर के रूप में काम कर रहा था।
क्योंकि चक्रवर्ती सम्राट अशोक (Samrat Ashok) सभी भाइयों में बड़े नहीं थे इसलिए उन्हें सिंहासन प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ा। महावंश एवं दीपवंश नामक साहित्यिक स्त्रोत ओं से ज्ञात होता है कि सम्राट अशोक को राजा बनने से पहले 99 भाइयों की हत्या करनी पड़ी, यह बात एकदम आधारहीन एवं काल्पनिक प्रतीत होती है क्योंकि बाद में अशोक के राज्याभिषेक के समय के उल्लेखित अभिलेखों में उसके भाइयों का उल्लेख मिलता है।
यह बात सत्य है कि सम्राट अशोक (Samrat Ashok) को सिहासन हासिल करने से पहले उसके कुछ भाइयों को मौत के घाट उतारना पड़ा था। इस तरह सम्राट अशोक (Samrat Ashok) ने अपनी स्थिति को मजबूत की और संपूर्ण साम्राज्य पर एकाधिकार कर लिया।
चक्रवर्ती सम्राट अशोक और कलिंग युद्ध (261 ईo पूo) (Chakravarti Emperor Ashoka and the Kalinga War (261 BC)
मौर्य साम्राज्य की स्थापना से पहले संपूर्ण भारतवर्ष में नंद साम्राज्य का अधिकार था और इसी नंद साम्राज्य के क्षेत्र में कलिंग भी आता था। लेकिन संभवतः नंद साम्राज्य की समाप्ति के पश्चात यह एक स्वतंत्र राज्य बन गया था।
कलिंग युद्ध चक्रवर्ती सम्राट अशोक (Samrat Ashok) के जीवन में घटित एक क्रांतिकारी घटना थी। चक्रवर्ती सम्राट अशोक के राज्याभिषेक के 8 वर्षों के पश्चात यह युद्ध हुआ। ऐसा कहा जाता है कि कलिंग युद्ध चक्रवर्ती सम्राट अशोक के जीवन का प्रथम और अंतिम युद्ध था।
एक ऐसा भीषण युद्ध जिसकी कल्पना करना भी मुश्किल है इस युद्ध के पश्चात सम्राट अशोक (Samrat Ashok) पूरी तरह बदल गए। अशोक के 13वें शिलालेख में इस युद्ध की भीषणता और उससे हुए नुकसान का वर्णन मिलता है, इस युद्ध में लगभग 1लाख लोग मारे गए थे, डेढ़ लाख लोगों को बंदी बना लिया गया और लाखों की संख्या में लोग घायल हो गए।
कलिंग के लोग इस युद्ध से कभी नहीं उबर पाए। इस भीषण युद्ध ने चक्रवर्ती सम्राट (Chakravarti Samrat Ashok) को अंदर से झकझोर कर दिया, उनका रहन-सहन, सोच विचार और व्यक्तित्व पूर्ण रूप से परिवर्तित हो गया।
इस युद्ध के बाद सम्राट अशोक (Samrat Ashok) को इतना पश्चाताप हुआ कि उन्होंने फिर कभी युद्ध नहीं करने की शपथ ली और इसी युद्ध के बाद सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया था।
धौली और जौगढ़ शिलालेखों पर उत्कीर्ण शब्दों से पता चलता है कि युद्ध नीति का त्याग करने और आपस में प्रेम बढ़ाने के लिए चक्रवर्ती सम्राट अशोक (Chakravarti Samrat Ashok) ने दो आदेश जारी किए थे। इन आदेशों के अनुसार प्रजा के साथ प्रेम पूर्वक व्यवहार किया जाए और जहां तक संभव हो किसी को दंड नहीं दिया जाए।
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चक्रवर्ती सम्राट अशोक का धम्म और निहित शिक्षाएं (Dhamma Of Samrat Ashok) –
“भाब्रू नामक अभिलेख” में लिखा हुआ है कि चक्रवर्ती सम्राट अशोक (Samrat Ashok) संघ, बुद्ध और धम्म में विश्वास रखता है। चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाया था लेकिन किसी दूसरे के ऊपर थोपा कभी नहीं। चक्रवर्ती सम्राट अशोक के सातवें शिलालेख से ज्ञात होता है कि वह सभी धर्मों को सम्मान देता था।
कलिंग युद्ध के पश्चात चक्रवर्ती सम्राट अशोक (Samrat Ashok) ने ऐसे नैतिक नियमों एवं आचार संहिताओं का पालन किया जो सभी धर्मों के लोगों के लिए समान थी, जिसमें सभी लोगों का हित निहीत था। चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार से ज्यादा धम्म का प्रचार किया था।
चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान (Samrat Ashok) चाहता था कि लोग मूलभूत से 2 सिद्धांतों का पालन करें, जहां तक हो सके कम से कम कुकर्म करें और अधिक से अधिक अच्छे कर्म करें।
चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान (Samrat Ashok) द्वारा 12वें शिलालेख में उल्लेखित सदाचार निम्नलिखित हैं, जिनका पालन करना चाहिए या फिर ऐसा कहें कि अशोक के धम्म में निहित शिक्षाएं-
1. वृद्धजनों एवं माता पिता की आज्ञा का पालन करना।
2. गुरु, साधु-सन्यासी, सगे-संबंधी, गरीब एवं दुखी लोगों के प्रति सदाचार का व्यवहार करना।
3. बढ़ो और प्रिय लोगों के प्रति उदारता का भाव रखना।
4. जीव हत्या नहीं करना और प्राणियों को क्षति नहीं पहुंचाना।
5. जहां तक संभव हो धन को खर्च नहीं करना चाहिए और संग्रह भी नहीं करना चाहिए।
6. कभी भी झूठ का सहारा नहीं लेना चाहिए।
चक्रवर्ती सम्राट अशोक (Samrat Ashok) द्वारा भेजे गए धर्म प्रचारक –
चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान (Chakravarti Samrat Ashok) ने बौद्ध धर्म के प्रचार एवं प्रसार के लिए संपूर्ण मौर्य साम्राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न चयनित व्यक्तियों को भेजा। जो कि धर्म का प्रचार प्रसार कर सके एवं अधिकतम जन कल्याण संभव हो सके।

सम्राट अशोक (Samrat Ashok) की प्रशासनिक व्यवस्था –
अधिकतर शक्तियां चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान (Chakravarti Samrat Ashok) के हाथों में थी, लेकिन फिर भी एक व्यवस्थित शासन व्यवस्था लागू करने के लिए उन्होंने ऊपर से लेकर ग्रामीण स्तर तक विभिन्न विभागों के माध्यम से न्याय व्यवस्था एवं शासन व्यवस्था की स्थापना का जाल बिछा रखा था ताकि आम जनता को कम से कम कष्ट सहन करना पड़े। छोटी-छोटी समस्याओं के लिए बार-बार राजा को परेशान नहीं होना पड़े।
चंद्रगुप्त मौर्य और राजा बिंदुसार के समय से चली आ रही मंत्रिपरिषद व्यवस्था चक्रवर्ती सम्राट अशोक (Samrat Ashok) के राज्य में भी लागू थी। इस मंत्री परिषद का मुखिया स्वयं चक्रवर्ती सम्राट अशोक थे।
सिर्फ कलिंग क्षेत्र को छोड़कर संपूर्ण साम्राज्य को दिशा के आधार पर चार भागों में बांट रखा था ताकि व्यवस्थित तरीके से शासन किया जा सके। यह भाग उत्तर पूर्वी प्रांत, उत्तर पश्चिमी प्रांत, दक्षिणापथ, अवंती और कलिंग क्षेत्र थे।
सम्राट अशोक के शासन में मुख्य अधिकारी-
अग्रमात्य- मुख्य मंत्री या मुख्य सहायक, चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान का अग्रमात्य राधागुप्त था।
महामात्र – सभी विभागों के विभागाध्यक्ष को महामात्र कहा जाता था।
राजुक – राजुक प्रांतीय शासक थे जिन का मुख्य कार्य प्रजा की सुख-सुविधाओं का ध्यान रखना था।
युत्त/ युक्त – राजस्व संग्रहण करने वाले अधिकारियों को युत्त/ युक्त कहा जाता था।
प्रादेशिक – दीवानी एवं फौजदारी कार्यों की देखभाल करने वाले जिला अधिकारियों को प्रादेशिक कहा जाता था।
चक्रवर्ती सम्राट अशोक के शिलालेख –
क्रवर्ती सम्राट अशोक महान (Chakravarti Samrat Ashok) द्वारा प्रवर्तित कुल 33 अभिलेख प्राप्त हुए हैं, जिन्हें अशोक ने स्तंभों चट्टानों और गुफाओं की दीवारों में उत्कीर्ण करवाया था। इन अभिलेखों को बौद्ध धर्म के अस्तित्व के सबसे प्राचीन प्रमाणों में से एक माना जाता है।
1. जेम्स प्रिंसेप नामक अंग्रेजी इतिहासकार ने सन 1837 ईस्वी में सम्राट अशोक के समय लिखित अभिलेखों को पढ़ा था।
2. शिलालेख नंबर 1 में चक्रवर्ती सम्राट अशोक के बौद्ध धर्म ग्रहण करने का उल्लेख किया गया है।
3. शिलालेख संख्या 8 में चक्रवर्ती सम्राट अशोक द्वारा बोधगया की यात्रा का उल्लेख किया गया है, जो संभवतः उसकी प्रथम धर्म यात्रा थी और यह यात्रा 159 ईसा पूर्व अर्थात उसके राज्य अभिषेक के 10 वर्ष पश्चात की थी।
4. चक्रवर्ती सम्राट अशोक (Chakravarti Samrat Ashok) को देवताओं का प्रिय अर्थात् “देवानाप्रियदर्शी” कहा जाता है इसका उल्लेख अशोक के सभी अभिलेखों में देखने को मिलता है।गुर्जरा और मास्की नामक दो ऐसे शिलालेख है जिसमें अशोक नाम का उल्लेख किया गया है।
5. अशोक के सबसे प्रसिद्ध शिलालेखों में सांची का स्तूप, सारनाथ और प्रयागराज के लघु स्तंभ अभिलेखों में भिक्षु संघ में फूट डालने वाले बौद्ध भिक्षुओं के लिए चेतावनी लिखी गई है।
6. कलिंग अभिलेख अर्थात् धौली और जौगढ़ से प्राप्त हुए शिलालेख संख्या 11, 12 एवं 13 कलिंग युद्ध और उसके प्रभावों का वर्णन करते हैं।
चक्रवर्ती सम्राट अशोक की मृत्यु कैसे हुई,How did Chakravarti samrat Ashoka die?
चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान (Chakravarti Samrat Ashok) मौर्य साम्राज्य के इकलौते ऐसे सम्राट हुए हैं, जिन्हें महान माना जाता है। साथ ही सबसे अधिक समय तक राज्य करने वाले राजा भी थे। इन्होंने अपने राज्याभिषेक से लेकर 36 वर्षों तक मौर्य साम्राज्य पर शासन किया था। 36 वर्षों के सफलतापूर्वक शासन के पश्चात 232 ईसा पूर्व में उनकी मृत्यु हो गई।
चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान (Chakravarti Samrat Ashok) से संबंधित कई प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं, साथ ही इतिहास में दिलचस्पी रखने वाले लोग भी इन प्रश्नों के उत्तर जानना चाहते हैं। हमने अपने पाठकों की सुविधा के लिए लेख के साथ ही प्रश्न उत्तर से संबंधित टॉपिक भी शुरू किया है, जिससे कि पाठकों को सुविधाएं प्राप्त हो सके।
1. अशोक को महान क्यों कहा जाता है?
उत्तर – चक्रवर्ती सम्राट अशोक शुरू से ही प्रजा कल्याण को प्राथमिकता देता था। साथ ही कलिंग युद्ध के पश्चात प्रजा को पुत्रों के समान मानकर प्रेम करता था। अशोक की शासन व्यवस्था, कला प्रेम के साथ-साथ उसकी युद्ध कौशलता, उसके आदर्श और धम्म की विशेषताओं के कारण सम्राट अशोक को महान कहा जाता है।
2. अशोक सम्राट कौन सी जाति से संबंध रखता है?
उत्तर- सम्राट अशोक क्षत्रिय था।
3. सम्राट अशोक की जयंती कब मनाई जाती है?
उत्तर -सम्राट अशोक की जयंती चैत्र मास के द्वितीय पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है। आज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व चैत्र मास की द्वितीय पक्ष की अष्टमी को सम्राट अशोक का जन्म हुआ था और यही कारण है कि इस दिन “सम्राट अशोक की जयंती” ना सिर्फ भारत में बल्कि आसपास के देशों में भी मौर्य “सम्राट अशोक की जयंती” या जन्मोत्सव मनाया जाता है।
4. सम्राट अशोक ने अपने भाइयों को क्यों मारा?
उत्तर – यह प्रश्न सबके जहन में रहता है कि “सम्राट अशोक ने अपने भाइयों को क्यों” मारा लेकिन इसके पीछे एक बहुत बड़ी वजह थी, जब सम्राट अशोक महान के पिता बीमार थे तब उनके भाइयों ने अशोक की माता का वध कर दिया था और इसी से क्रोधित होकर सम्राट अशोक ने अपने भाइयों को मार डाला। कहते हैं कि सम्राट अशोक ने अपने 99 भाइयों को मारा था।
5. अशोक के धम्म से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – अशोक के धम्म अथवा धर्म से आशय कल्याणकारी कार्य करना, पाप नहीं करना, मीठी वाणी, दूसरों के प्रति अच्छा व्यवहार, दान, दया आदि हैं। यह परिवर्तन कलिंग युद्ध में विजय के बाद चक्रवर्ती सम्राट अशोक के मन में आया था और इसी वजह से अशोक के धम्म की स्थापना की गई।
6. पुराणों में अशोक का क्या नाम मिलता है?
उत्तर – पुराणों में अशोक का नाम “अशोकवर्धन” मिलता है।
7. अशोक के बाद राजा कौन बना?
उत्तर- अशोक के बाद राजा “दशरथ मौर्य” बना।
8. सुसीम की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर – कई इतिहासकारों का मानना है कि सुसीम राजा बिंदुसार का उत्तराधिकारी था, लेकिन अशोक ने सुसीम का वध कर दिया था।
9. अशोक का प्रधानमंत्री कौन था?
उत्तर – अशोक का प्रधानमंत्री राधागुप्त था।
10. सम्राट अशोक की कितनी पत्नियां थी?
उत्तर – अशोक की 4 पत्नियां थी। पद्मावती, करूवाकी, तिष्यारक्षा और देवी नामक चार पत्नियां थी।
11. इतिहास के सबसे महान राजा कौन थे?
उत्तर -सम्राट अशोक को इतहास के सबसे महान राजा माना जाता है।
12. अशोक का जन्म कब हुआ था?
उत्तर– अशोक का जन्म 273 ईसा पूर्व हुआ था।
13. अशोक ने अपने कितने भाइयों की हत्या की थी?
उत्तर – अशोक ने अपने 99 भाइयों की हत्या की थी।
14. अशोक ने कौन सा धर्म अपनाया था?
उत्तर- अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाया था।
15 अशोक का पुत्र कौन था?
उत्तर – महेंद्र मौर्य, तीवल मौर्य और कुणाल मौर्य नामक 3पुत्र और चारुमती एवम संघमित्रा 2 पुत्रीयां थी।
16. अशोक के कुल कितने भाई थे?
उत्तर – अशोक के कुल तीन भाई थे, सुसीम, अशोक और तिष्य।
17. सम्राट अशोक का सेनापति कौन था?
उत्तर – सम्राट अशोक के सेनापति का नाम गोपाल था।
18. युद्ध न करने का संकल्प अशोक ने क्यों किया?
उत्तर – कलिंग युद्ध में हुए नरसंहार के बाद उनका हृदय परिवर्तित हो गया और उन्होंने कभी भी युद्ध न करने का संकल्प लिया, साथ ही उन्होंने बौद्ध धर्म को अपना लिया।
19. कलिंग की राजकुमारी का क्या नाम था?
उत्तर – कलिंग की राजकुमारी का नाम मत्स्यकुमारी कौर्वकी था।
20. कलिंग राजा कौन था?
उत्तर – कलिंग के राजा का नाम अनंत नाथन था।
21. उड़ीसा का पूर्व नाम क्या है?
उत्तर – उड़ीसा का पूर्व नाम कलिंग था?
22. कलिंग का नया नाम क्या है?
उत्तर– कलिंग का नया नाम उड़ीसा है।
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