मौर्य साम्राज्य के चक्रवर्ती सम्राट अशोक (Samrat Ashok love story)ने युद्ध मैदान में बड़े-बड़े प्रतापी राजाओं को धूल चटाई लेकिन विदिशा की एक सुंदर बाला पर दिल हार गए। सम्राट अशोक की प्रेमिका का नाम था देवी।
चाहे आम आदमी हो या राजा जीवन में एक बार प्रेम जरूर होता है। हम सम्राट अशोक की प्रेमिका के बारें में बात कर रहे हैं।
तो आइए जानते हैं कौन थी सम्राट अशोक की प्रेमिका और कैसे शुरू हुई सम्राट अशोक की प्रेम कहानी (Samrat Ashok love story).
जब सम्राट अशोक की आयु महज 18 वर्ष थी तब उन्हें उनके पिता राजा बिंदुसार ने उज्जैन का प्रतिनिधि नियुक्त किया और वहां की शासन व्यवस्था देखने के लिए भेजा।
सम्राट अशोक की प्रेमिका (Samrat Ashok love story)-
सम्राट अशोक देखने में बहुत सुंदर, ऊंचा-लंबा कद था। उज्जैन में राजप्रतिनिधि नियुक्त होने के 2 वर्ष बाद एक बार सम्राट अशोक पाटलिपुत्र से उज्जैन जा रहे थे। उज्जैन और पाटलिपुत्र के बीच में विदिशा शहर पड़ता है। जब सम्राट अशोक विदिशा से गुजर रहे थे, तब उनकी नजर एक बहुत ही सुंदर और सुशील कन्या पर पड़ी।
सम्राट अशोक ने जब पहली बार उस सुंदर बाला को देखा तो अपनी नजर नहीं हटा पाए। पहली ही नजर में सम्राट अशोक उस लड़की से प्रेम कर बैठे, उस लड़की का नाम देवी था जोकि शाक्यवंशी थी। यहां से शुरू हुई सम्राट अशोक की प्रेम कहानी जो देखते ही देखते बहुत आगे बढ़ गई।
पहली नजर में दिल हार बैठे सम्राट अशोक ने सुंदर कन्या देवी के सामने खुलकर अपने दिल की बात रख दी, जिसे देवी ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। इस दिन से ही देवी सम्राट अशोक की प्रेमिका बन गई। लेकिन सम्राट अशोक की प्रेम कहानी (Samrat Ashok love story) में अचानक से एक मोड़ आया और सम्राट अशोक की प्रेमिका देवी ने शादी को लेकर उनके सामने एक शर्त रखी।
देवी ने यह शर्त रखी कि वह शादी करने के लिए तैयार हैं लेकिन आजीवन विदिशा में ही रहेगी। कहते हैं सच्चा प्यार करने वाले कुछ भी कर गुजरते हैं, उन्हें अपने प्रेम की प्राप्ति के लिए हर तरह की शर्तें मंजूर होती है। सम्राट अशोक ने भी ऐसा ही किया और अपनी प्रेमिका के खातिर उसकी इस शर्त को मान लिया।
सम्राट अशोक की प्रेमिका अब उसकी पत्नी बन गई। इस तरह पहली नजर में ही प्रेम कर बैठे सम्राट अशोक की प्रेम कहानी (Samrat Ashok love story) परवान चढ़ी।
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कुछ ही वर्षों बाद सम्राट अशोक और देवी ने एक पुत्र और एक पुत्री को जन्म दिया। पुत्र का नाम महेंद्र तथा पुत्री का नाम संघमित्रा था।
सम्राट अशोक भगवान बुद्ध के बहुत बड़े अनुयाई थे, इस वजह से उनके बच्चों ने भी भगवान बुद्ध की शरण में अपना जीवन बिताने का फैसला किया।
सम्राट अशोक का पुत्र बौद्ध धर्म के प्रचार एवं प्रसार हेतु श्रीलंका चला गया। श्रीलंका की राजकुमारी अनुला भी बौद्ध धर्म स्वीकार करना चाहती थी, लेकिन नियमों के अनुसार किसी स्त्री को दीक्षा देने के लिए स्त्री की ही जरूरत होती है। ऐसे में सम्राट अशोक की पुत्री संघमित्रा ने यह जिम्मेदारी उठाई और वह पाटलिपुत्र से विदिशा गई। विदिशा में अपनी माता से मिली और उनका आशीर्वाद लेकर श्रीलंका चली गई जहां पर उनके सानिध्य में राजकुमारी अनुला ने दीक्षा ली।
ऐसा कहा जाता है कि श्रीलंका जाने के पश्चात दोनों भाई बहन पुनः कभी भारत नहीं लौटे। इस तरह सम्राट अशोक और देवी की प्रेम कहानी (Samrat Ashok love story) हमेशा के लिए अमर हो गई।
सम्राट अशोक की प्रेमिका और रानी देवी हमेशा विदिशा में ही रही और पूरा जीवन विदिशा में बिताया। इसलिए आज भी विदिशा में आने वाले लोगों का स्वागत करते समय कहते हैं, कि सम्राट अशोक के ससुराल में आपका स्वागत है।
इस तरह सम्राट अशोक की प्रेम कहानी (Samrat Ashok love story) सफल रही और सम्राट अशोक की प्रेमिका को दिए गए वचन को निभाया। सम्राट अशोक ने देवी को कभी भी पाटलिपुत्र आने के लिए नहीं बोला।
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