शुभ्रक घोड़ा और कुतुबुद्दीन ऐबक की सच्चाई के 3 तथ्य।

शुभ्रक घोड़ा और कुतुबुद्दीन ऐबक की सच्चाई आपकी आंखे खोल देगी क्योंकी अब तक जो कहानी आपने पढ़ी हैं वह गलत हैं, उसी गलती की वजह से मेवाड़ और राजपूत राजाओं के बारे में भ्रम फैलाया गया है. वह भ्रम और गलती क्या थी? यह लेख पढ़ने के बाद आप भली भांति समझ जाएंगे.

क्या शुभ्रक घोड़ा कुंवर कर्णसिंह का घोड़ा था?
क्या वाकई में शुभ्रक घोड़े ने कुतुबुद्दीन ऐबक को मारा?

इन्हीं दोनों प्रश्नों का जवाब आपको इस लेख में मिलेगा.

शुभ्रक घोड़ा और कुतुबुद्दीन ऐबक के बारे में तथ्यात्मक जानकारी

आपने अब तक जो कहानी सुनी है उसके अनुसार कुतुबुद्दीन ऐबक ने मेवाड़ पर आक्रमण किया और कुंवर कर्णसिंह को युद्ध में पराजीत करने के बाद बंदी बनाकर अपने साथ लाहौर ले गया, वहां पर मौका पाकर शुभ्रक ने कुतुबुद्दीन ऐबक की छाती पर अपने दोनों पैरों से जोरदार वार किया जिससे ऐबक की मौत हो गई. ऐबक की मौत के बाद शुभ्रक घोड़ा ने कर्णसिंह को सुरक्षित उदयपुर के महलों तक ले आया.

क्या यह सच्चाई हैं? बिल्कुल नहीं.

मेवाड़ राजघराने में अब तक कर्णसिंह नाम के दो कुंवर पैदा हुए जिनमें से एक 1150 ईस्वी के आसपास और दुसरे 17वीं शताब्दी में. जैसा कि आप जानते हैं कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु 1210 ईस्वी में हुई थी. इस समय मेवाड़ में पद्मसिंह का शासन था. पद्मसिंह के पिता का नाम मंथनसिंह, मंथनसिंह के पिता का नाम कुमारसिंह, कुमारसिंह के पिता का नाम क्षेमसिंह और क्षेमसिंह का पिता का नाम था कर्णसिंह इसका सीधा सा मतलब यह हुआ कि कुतुबुद्दीन ऐबक के समय मेवाड़ में कर्णसिंह नाम का कोई व्यक्ति था ही नहीं.

कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के समय मेवाड़ में पद्मसिंह का शासन था जिसके सम्बन्ध में शिलालेख भी मिले हैं.

इतिहासकार बताते हैं कि कुतुबुद्दीन ऐबक को मारकर शुभ्रक घोड़ा अपने स्वामी कर्णसिंह को लाहौर से उदयपुर के महलों तक सुरक्षित पहुंचा दिया. यह बात सरासर ग़लत है क्योंकी उदयपुर में महलों की नींव महाराणा उदयसिंह द्वारा 16वीं सदी में की गई थी जबकि ऐबक की मृत्यु 1210 में ही हो गई. यहां पर यह बात भी झूठी साबित हो जाती है.

अंततः आपको बता दें कि उदयपुर (मेवाड़) और लाहौर (पाकिस्तान) की दूरी लगभग 1000 किलोमीटर हैं. घोड़ा एक साथ इतनी लंबी दूरी तय नहीं कर सकता हैं यह एक सामान्य बात है. यहां पर स्पष्ट रूप से यह कहा जा सकता हैं कि शुभ्रक घोड़ा ने कुतुबुद्दीन ऐबक को मारा यह बात बिल्कुल गलत हैं. बिना तथ्यों के किसी भी एतिहासिक घटना पर विस्वास नही करना चाहिए.

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