शुंग वंश का इतिहास (Shung Vansh History)- शुंग वंश का संस्थापक कौन था?

shung vansh history in history.

विशाल मौर्य साम्राज्य के पश्चात शुंग राजवंश (Shung Vansh) अस्तित्व में आया था। यह प्राचीन भारत का एक ऐसा हिंदू शासकीय वंश था, जिसने लगभग 112 वर्षों तक शासन किया।

पुष्यमित्र शुंग इस राजवंश (Shung Vansh) के प्रथम शासक तथा पुष्यमित्र शुंग इस शुंग वंश का संस्थापक माना जाता हैं। शुंग वंश के संस्थापक (shung vansh ka sansthapak) को लेकर किसी भी तरह का कोई मतभेद नहीं है।

एक समय था जब शुंग वंश के संस्थापक पुष्यमित्र शुंग और इनके पूर्वज मौर्य साम्राज्य के लिए काम करते थे, लेकिन धीरे धीरे मौर्य साम्राज्य का पतन हो गया और मौर्य साम्राज्य के अंतिम सम्राट बृहद्रथ को मारकर पुष्यमित्र शुंग ने शुंग वंश की स्थापना की थी।

मौर्य सम्राट बृहद्रथ के सेनापति के रूप में पुष्यमित्र शुंग काम करते थे और संभवतया इनके अधिकार में उज्जैन क्षेत्र था। इस तरह अपने स्वामी मौर्य सम्राट बृहद्रथ को मौत के घाट उतारकर, शुंग वंश के संस्थापक (shung vansh ka sansthapak) पुष्यमित्र शुंग नए राजा बने। shung vansh ki rajdhani विदिशा थी।

यह भी पढ़ेंचन्द्रगुप्त मौर्य का इतिहास और जीवन परिचय Chandragupta Maurya History in Hindi.

शुंग वंश का इतिहास और शुंग वंश का संस्थापक,Shung Vansh history in hindi-

  • शुंग वंश की स्थापना- 185 ईसा पूर्व।
  • शुंग वंश का अंतिम कार्यकाल– 73 ईसा पूर्व।
  • शुंग वंश का राज्य अवधि– 112 वर्ष।
  • शुंग वंश का संस्थापक– पुष्यमित्र शुंग।
  • शुंग वंश के प्रथम शासक-पुष्यमित्र शुंग।
  • शुंग वंश के अंतिम शासक-देवभूति।

मौर्य साम्राज्य के पतन के पश्चात इसके मध्य भाग, जो कि सबसे महत्वपूर्ण था की सत्ता शुंग वंश के संस्थापक (shung vansh ka sansthapak) पुष्यमित्र शुंग के हाथों में आ गई।

पुष्यमित्र शुंग एक ब्राह्मण समुदाय से ताल्लुक रखते थे। हालांकि शुंग वंश (Shung Vansh) की उत्पत्ति से संबंधित कोई भी निश्चित साक्ष्य मौजूद नहीं है, लेकिन मोटे तौर पर विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त की गई जानकारी के अनुसार इसका इतिहास बताया जाता है।

पुष्यमित्र शुंग के नवोदित राज्य में चंबल नदी और मध्य गंगा की घाटी के आसपास का प्रदेश शामिल था। शुंग वंश के संस्थापक पुष्यमित्र शुग ने अपने स्वामी की हत्या करके राज्य को हथिया लिया था जो कि एक मायने में यह सही नहीं था, जबकि दूसरी तरफ से देखा जाए तो मौर्य साम्राज्य लगातार कमजोर पड़ता जा रहा था। ऐसे समय में एक ऐसे राजा की जरूरत थी जो संपूर्ण राज्य को संभाल सके और एक व्यवस्थित सुशासन की स्थापना कर सके।

शुंग वंश के संस्थापक (shung vansh ka sansthapak) पुष्यमित्र शुंग के इस नवोदित राज्य में अयोध्या, पाटलिपुत्र, विदिशा और इसके आसपास के महत्वपूर्ण नगर शामिल थे। सकल नगर और जालंधर भी इस राज्य के अंग थे, जो दिव्यवदान एवं तारनाथ के ग्रंथों से प्रमाणित होता है।

शुंग वंश के संस्थापक (shung vansh ka sansthapak) पुष्यमित्र शुंग को यवन आक्रमणों का भी सामना करना पड़ा और उन्होंने सफलतापूर्वक उनका सामना भी किया। शुंग वंश का साम्राज्य अंतिम सम्राट देवभूति तक चला अर्थात् शुंग वंश के अंतिम सम्राट देवभूति थे, इनकी मृत्यु के साथ ही शुंग वंश समाप्त हो गया।

यवनों का आक्रमण और अश्वमेध यज्ञ (Shung Vansh)-

भगवान श्री राम के रामायण कालीन युग में अश्वमेध यज्ञ हुआ था। उसके पश्चात पूर्ण रूप से हिंदूवादी राजा पुष्यमित्र शुंग के लिए भी अश्वमेध यज्ञ हुआ था।

समकालीन पतंजलि के महाभाष्य से मुख्यतः दो बातें स्पष्ट होती है पहली पतंजलि ने खुद शुंग वंश के संस्थापक पुष्यमित्र शुंग के लिए अश्वमेध यज्ञ करवाया था।

यवनों ने पुष्यमित्र शुंग को पराजित करने के लिए चित्तौड़गढ़ के समीप स्थित नगरी और अवध में साकेत का घेरा डाला लेकिन सफलता नहीं मिली उल्टी उन्हें मुंह की खानी पड़ी।

यवनों ने मथुरा, साकेत और पंचाल को जीत लिया था, इसकी जानकारी हमें गार्गी संहिता के युग पुराण से प्राप्त होती है। महाकवि कालिदास द्वारा रचित संस्कृत नाटक “मालविकाग्निमित्र” के माध्यम से ज्ञात होता है कि पुष्यमित्र ने सिंधु नदी के तट पर हुए युद्ध में जीत हासिल की थी।

यवनों ने भी अश्वमेध के घोड़े को पकड़ लिया था और यही उनकी सबसे बड़ी भूल थी। शुंग वंश के संस्थापक (shung vansh ka sansthapak) पुष्यमित्र शुंग ने ही उन्हें पराजित कर दिया और मगध में कदम तक नहीं रखने दिया।

पुष्यमित्र शुंग द्वारा धार्मिक कार्य –

मौर्यकालीन साम्राज्य में बौद्ध और जैन धर्म का प्रचार प्रसार ज्यादा होने लग गया था। लेकिन जैसे ही शुंग वंश के संस्थापक पुष्यमित्र शुंग ने राजगद्दी संभाली सनातन धर्म की पुनः स्थापना को बल मिला।

शुंग वंश (Shung Vansh) की स्थापना के साथ ही राज्य में भागवत धर्म की विशेष उन्नति हुई क्योंकि सभी शुंग वंश के शासक वैदिक धर्म के मानने वाले थे, इसलिए उन्होंने भारत में पुनः वैदिक धर्म की स्थापना की।सम्राट अशोक ने यज्ञ और पशु बलि पर रोक लगा दी थी जिन्हें शुंग वंश के संस्थापक (shung vansh ka sansthapak)पुष्यमित्र शुंग पुनः पुनर्जीवित कर दी। बौद्ध धर्म को पुष्यमित्र ने ज्यादा जोर नहीं दिया।

कई इतिहासकारों का मानना है कि पुष्यमित्र बौद्ध धर्म के विरुद्ध थे और उन्होंने कई बौद्ध विहारों का विनाश करवाया था, बौद्ध भिक्षुओं की हत्या करवाई थी। लेकिन शुंग वंशी (Shung Vansh) राजा ब्राह्मण धर्म के आधार पर चलने वाले थे, उन्होंने “भरहुत स्तूप” का निर्माण और सांची स्तूप की रेलिंग बनवाई थी, तो यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता है कि उन्होंने बौद्ध धर्म वालों के प्रति गलत किया था, ऐसा इतिहास में भी कोई विशेष प्रमाण नहीं मिलता है।

यह भी पढ़ें- मौर्य साम्राज्य के पतन के 10 कारण, Maurya samrajya ke patan ke karan.

शुंग वंश के शासकों की सूची या शुंग वंश के मुख्य सम्राट

1. पुष्यमित्र शुंग (185-149 ईoपूo)-

पुष्यमित्र, शुंग वंश के संस्थापक (shung vansh ka sansthapak) और शुंग साम्राज्य (Shung Vansh) के प्रथम राजा थे। शुंग वंश के संस्थापक बनने से पहले यह मौर्य साम्राज्य में सेनापति के पद पर कार्यरत थे। 185 ईसा पूर्व में मौर्य साम्राज्य के अंतिम राजा ब्रह्मद्रथ की हत्या कर इन्होंने स्वयं को राजा घोषित कर दिया। इसके बाद अश्वमेध यज्ञ शुरू हुआ, संपूर्ण उत्तर भारत पर इनका अधिकार हो गया। इनके राज्य से संबंधित शिलालेख पंजाब और जालंधर में मिले हैं। इन्होंने सनातन संस्कृति को पुनः जीवित किया था। बौद्ध धर्म को खत्म करके इन्होंने भारत में पुनः वैदिक धर्म की स्थापना की थी।

2. अग्निमित्र शुंग (149-141 ईसा पूर्व) –

अग्निमित्र शुंग (149-141 ईसा पूर्व) शुंग वंश (Shung Vansh का दूसरे सम्राट थे, इनके पिता का नाम, शुंग वंश के संस्थापक (shung vansh ka sansthapak) पुष्यमित्र शुंग था। पिता पुष्यमित्र शुंग के कार्यकाल में यह विदिशा के “गोप्ता” थे।अग्निमित्र शुंग के बारे में महाकवि कालिदास द्वारा रचित संस्कृत नाटक “मालविकाग्निमित्र” , उत्तर कौशल एवं उत्तरी पंचाल से प्राप्त मुद्राएं और पौराणिक आधार पर इनके इतिहास की व्याख्या की जाती है कई विद्वानों एवं इतिहासकारों का मानना है कि महाकवि कालिदास अग्निमित्र शुंग के समकालीन थे, लेकिन इस बात पर मतभेद है।
अग्निमित्र शुंग ने तीन विवाह किए थे पहली पत्नी का नाम धारिणी, दूसरी पत्नी का नाम इरावती तथा तीसरी पत्नी का नाम मालविका था। इनके पुत्र का नाम वसुमित्र था।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अग्निमित्र शुंग ने 8 वर्षों तक राज किया था। साहित्य एवं कला से इन्हें विशेष प्रेम था। उत्तर कौशल में भारी तादाद में प्राप्त मुद्राओं ने यह सिद्ध कर दिया कि यह मुद्राएं अग्निमित्र शुंग की हैं।

3. वसुज्येष्ठ शुंग (141-131 ईसा पूर्व)-

शुंग वंश (Shung Vansh) के तीसरे राजा वसुज्येष्ठ शुंग थे। इन्होंने राजा के रूप में 10 वर्षों तक राज्य किया था। इनके इतिहास से संबंधित अधिक ऐतिहासिक तथ्य मौजूद नहीं है, अतः स्पष्ट रूप से इनके कार्यकाल और इनके इतिहास के बारे में बता पाना मुश्किल है।

4. वसुमित्र शुंग (131-124 ईसा पूर्व)-

पशु मित्र शुंग, शुंग राजवंश (Shung Vansh) के चौथे सम्राट थेे, इनके पिता का नाम अग्निमित्र शुंग  था। इनकी माता का नाम धारणी था।वसुज्येष्ठ शुंग इनका सौतेला भाई था।इन्होंने भी यवनों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी, मूजदेव नामक व्यक्ति ने इनकी हत्या की थी।

5. अंधक (124-122 ईसा पूर्व) तक।

6. पुलिन्दक (122-199 ईसा पूर्व) तक।

7. घोष शुंग।

8. वज्रमित्र।

9. भगभद्र।

10. देवभूति (83-73 ईसा पूर्व) तक।

“शुंग वंश सामान्य ज्ञान” या शुंग वंश से संबंधित प्रश्नोत्तरी questions and answers related to Shung Vansh-

कई प्रतियोगी परीक्षाओं में “शुंग वंश सामान्य ज्ञान” से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। इसके अलावा भी इतिहास पढ़ने में रुचि लेने वाले लोग इसके बारे में जानना चाहते हैं, हमने विद्यार्थियों एवं पाठकों की सुविधार्थ कुछ चयनित प्रश्न जो कि “शुंग वंश सामान्य ज्ञान” से संबंधित हैं, अग्र लिखित है-

यह भी पढ़ें- 150 मौर्यकाल सामान्य ज्ञान प्रश्न (Maurya samrajya objective Question Hindi) और मौर्यकाल से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न।


1. शुंग वंश की राजधानी क्या थी?
उत्तर- शुंग वंश की राजधानी (shung vansh ki rajdhani) विदिशा थी।

2. शुंग वंश की उत्पत्ति कैसे हुई?
उत्तर- अंतिम मौर्य सम्राट बृहद्रथ की हत्या कर उनके सेनापति पुष्यमित्र शुग ने, शुंग वंश की स्थापना की थी।

3. पुष्यमित्र शुंग की जाति क्या थी?
उत्तर- पुष्यमित्र शुंग की जाति ब्राह्मण थी।

4. शुंग वंश में कितने शासक हुए?
उत्तर- शुंग वंश के कुल 10 शासक या राजा हुए थे, जिन्होंने लगभग 112 वर्षों तक राज्य किया।

5. शुंग वंश का अंतिम शासक कौन था?
उत्तर- शुंग वंश का अंतिम शासक देवभूति था।

6. शुंग वंश के अंतिम शासक देवभूति की हत्या किसने की?
उत्तर- शुंग वंश के अंतिम शासक देवभूति की हत्या उसके उत्तराधिकारी वसुदेव ने की थी।

7. शुंग वंश के बाद कौन सा वंश अस्तित्व में आया?
उत्तर- शुंग वंश के बाद कण्व वंश की स्थापना की गई।

8. पुष्यमित्र शुंग की मृत्यु कब हुई थी?
उत्तर- पुष्यमित्र शुंग की मृत्यु 149 ईसा पूर्व हुई थी।

9. शुंग वंश की स्थापना कब हुई थी?
उत्तर- शुंग वंश की स्थापना 187 ईसा पूर्व में हुई थी।

10. पुष्यमित्र शुंग की उपलब्धियों का वर्णन कीजिए?
उत्तर- पुष्यमित्र शुंग ने सनातन संस्कृति की स्थापना की थी, साथ ही वैदिक संस्कृति की पुनः स्थापना इन्हीं की देन है।

11. पुष्यमित्र शुंग के पुरोहित कौन थे?
उत्तर- पुष्यमित्र शुंग के पुरोहित का नाम पतंजलि था।

12. क्या पुष्यमित्र शुंग ही राम था?
उत्तर- नहीं, पुष्यमित्र शुंग राम नहीं था। बल्कि पुष्यमित्र शुंग ने भगवान श्रीराम की तरह अश्वमेध यज्ञ करवाया था, जो कि उनके पुरोहित पतंजलि के सानिध्य में हुआ था।

13. शुंग वंश का प्रथम शासक कौन था?
उत्तर- शुंग वंश का प्रथम शासक पुष्यमित्र शुंग था।

14. अंतिम शुंग राजा कौन था?
उत्तर- अंतिम शुंग राजा देवभुति था।

15. पुष्यमित्र शुंग कौन है?
उत्तर- पुष्यमित्र शुंग, शुंग वंश के संस्थापक थे साथ ही यह शुंग वंश के प्रथम राजा भी थे।

16. पुष्यमित्र शुंग के दरबारी कवि कौन थे?
उत्तर- पुष्यमित्र शुंग के दरबारी कवि हर्षवर्धन थे।

17. हर्षचरित्र की रचना किसने की थी?
उत्तर- हर्षचरित्र की रचना पुष्यमित्र शुंग के दरबारी कवि हर्षवर्धन ने की थी।

शुंग वंश का इतिहास (Shung Vansh History)- शुंग वंश का संस्थापक कौन था?
Scroll to top