सिक्किम का इतिहास- Sikkim History In Hindi.

सिक्किम का इतिहास (Sikkim History In Hindi) बहुत प्राचीन है। सिक्किम के इतिहास (Sikkim History In Hindi) से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए बौद्ध भिक्षु गुरू रिंपोचे का आठवीं शताब्दी में किया गया सिक्किम का दौरा बहुत महत्वपूर्ण माना जाता हैं। बौद्ध धर्म का प्रचार और प्रसार करने के लिए गुरू रिंपोचे सिक्किम गए। उस समय उन्होंने भविष्यवाणी की आने वाले समय में यह एक खुशहाल राज्य बनेगा।

सिक्किम में राजतंत्र की स्थापना करने का श्रेय 14वीं सदी में ख्ये बुम्सा, पूर्वी तिब्बत में खाम के मिन्यक महल के एक राजकुमार को जाता हैं। इस राजकुमार को एक दैवीय शक्ति ने दक्षिण दिशा में जाने का आदेश मिला। आदेशानुसार वह राजकुमार उस क्षेत्र में चला गया और वहीं पर रहने लगा।

इस राजकुमार के वंशजों ने आगे चलकर सिक्किम (Sikkim History In Hindi) में राजतंत्र की स्थापना की। सन 1642 ईस्वी में ख्यै के पांचवें वंशज “फुन्त्सोंग नामग्याल” को बौद्ध भिक्षुओं द्वारा सिक्किम का प्रथम राजा घोषित किया गया। सिक्किम का प्रथम राजा बनने में 3 बौद्ध भिक्षुओं जो कि उत्तर दिशा, पूर्व दिशा और दक्षिण दिशा से आए थे ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।”फुन्त्सोंग नामग्याल” सिक्किम के प्रथम राजा (चोग्याल) थे।

हम सिक्किम के इतिहास (Sikkim History In Hindi) को तीन भागों में बांट सकते हैं।अब तक आपने जो भी पढ़ा वह सिक्किम का प्रारंभिक इतिहास हैं।

Sikkim History In Hindi.सिक्किम का इतिहास।
Sikkim History In Hindi

सिक्किम का इतिहास, मध्यकालीन (Sikkim History In Hindi)-

जैसा कि आपने उपर पढ़ा सन 1642 ईस्वी में “फुन्त्सोंग नामग्याल” सिक्किम के प्रथम राजा बने। इस वंश के राजा महाराजाओं ने लगभग 333 वर्ष तक सिक्किम पर राज किया। यह सिक्किम का शाही परिवार हैं।

इनके पश्चात् इनका पुत्र “तेंसुंग नामग्याल” 1670 ईस्वी में राजा बने। राजा बनने के बाद “तेंसुंग नामग्याल” ने सबसे पहले सिक्किम की राजधानी युक्सोम से रबदेन्त्से कर दिया।सन 1700 ईस्वी में सिक्किम पर भूटान नरेश ने आक्रमण कर दिया। इस घटनाक्रम के बाद सिक्किम पर भूटान का एकाधिकार हो गया।

लेकिन सिक्किम का इतिहास (Sikkim History In Hindi) उठाकर देखा जाए तो भूटान के अधीन ज्यादा समय तक नहीं रहा। जब नामग्याल वंश के शासक संकट में थे तब तिब्बतियों ने सिक्किम नरेश का साथ दिया। परिणामस्वरूप इस नामग्याल परिवार का पुनः अधिकार हो गया।

राजधानी रबदेन्त्से पर अब लगातार हमले होने लग गए। सन 1717 से लेकर 1733 के बीच भूटान के साथ साथ नेपाल भी इस भूभाग को हथियाने के लिए प्रयास करने लग गया।निरंतर हमलों के बाद अंततः रबदेन्त्से का पतन हो गया।

सिक्किम को मिला चीन का साथ

रबदेन्त्से के पतन के बाद सिक्किम पर गोरखा (नेपाल) का अधिकार हो गया। गोरखा से सिक्किम (Sikkim History In Hindi) को बचाने के लिए चीन आगे आया। सन 1791 ईस्वी में चीनी सेना की मदद से नेपाल की पराजय हुई। इसके साथ ही किंग वंश का सिक्किम पर अधिकार हो गया।

धीरे धीरे समय बीतता गया,भारत ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया और ऐसे समय में सिक्किम अपने दुश्मन देश नेपाल के साथ संधि कर ली। पुनः सिक्किम नेपाल के अधीन आ गया। टेराई के साथ साथ सिक्किम का विशाल क्षेत्र भी नेपाल के अधीन हो गया।

भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रभाव बढ़ता गया। सिक्किम को अपने अधीन करने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी ने नेपाल पर आक्रमण कर दिया। 1814 ईस्वी में ईस्ट इंडिया कंपनी बनाम गोरखा युद्ध हुआ। इस युद्ध के परिणामस्वरूप नेपाल और गोरखा के बिच सुगौली की सन्धि हुई तथा सिक्किम और सन 1817 ईस्वी में बरतानवी भारत के बिच हुई संधी के तहत नेपाल द्वारा अपने अधिकार में लिया गया क्षेत्र पुनः सिक्किम के अधीन आ गया।

सिक्किम का भारत (ब्रिटिश शासन) में विलय (Sikkim History In Hindi)-

अंग्रेजों ने मोरांग नामक क्षेत्र में कर (tax) प्रणाली लागू कर दी जिसके चलते अंग्रेजों और सिक्किम के संबंधों में कड़वाहट आ गई। वर्ष 1849 ईस्वी की बात हैं सर जोसेफ डाल्टन और डॉ. अर्चीबाल्ट कैंपबेल नामक 2 अंग्रेज अफ़सर बिना किसी सूचना के सिक्किम के पर्वतों पर जा पहुंचे। जैसे ही यह सूचना सिक्किम सरकार को लगी, तुरंत दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया।

इस गिरफ्तारी से ब्रिटिश सरकार नाराज हो गई और सिक्किम के पर्वतीय क्षेत्रों पर हमला कर दिया। इस युद्ध के पश्चात् सिक्किम का सन 1935 में भारत में विलय हो गया।

सिक्किम की स्वतंत्र भारत में विलय की कहानी (Sikkim History In Hindi)-

हालांकि भारत पहले ही स्वतंत्र हो गया था लेकिन इतिहास के गलत व्याख्यान के चलते भारत की स्वतंत्रता का वर्ष 1947 को माना जाता हैं। सिक्किम (Sikkim History In Hindi) को लेकर हुए स्वतंत्र मतदान में इसको भारत में विलय के निर्णय को ख़ारिज कर दिया गया। लेकिन भारत सरकार द्वारा इसको संरक्षण भी प्रदान किया गया।1955 ईस्वी में स्थापित की गई एक राज्यिक परिषद् द्वारा चोगयाल वंश को सिक्किम में सरकार बनाने के लिए अनुमति प्रदान की गई।

सिक्किम का इतिहास (Sikkim History In Hindi) यह गवाही देता है कि सिक्किम में कांग्रेस द्वारा पुनः मतदान और नेपालियों को प्राथमिकता देने के चलते सिक्किम में स्थित निरंतर बिगड़ने लगी। 1973 ईस्वी में सिक्किम राजभवन के बाहर दंगे हो गए और इसी के चलते भारत सरकार से अनुरोध किया गया कि सिक्किम को एक बार फिर संरक्षण प्रदान करें। चोग्याल राजवंश की लोकप्रियता धीरे धीरे खत्म हो गई।

इस समय तक सिक्किम में विश्व के अन्य लोगों के लिए प्रवेश वर्जित था, ना तो विश्व को सिक्किम के बारे में जानकारी थी ना कोई संपर्क।

सन अप्रैल 1974 में भारतीय सेना सिक्किम (Sikkim History In Hindi) को अपने अधिकार में ले लिया। गंगटोक को अपने अधिकार में लेने के महज़ 2 दिनों के अन्दर संपूर्ण सिक्किम भारत के कब्जे में आ गया। 97% सिक्किम की जनता के समर्थन के बाद 16 मई 1975 में सिक्किम स्वतंत्र भारत का 22वां गणराज्य बन गया।

सिक्किम का पौराणिक इतिहास और इससे जुड़ी कहानी (Sikkim History In Hindi)-

पौराणिक समय में यह क्षेत्र किरातों का था, किरात राजा यलंबर ने 1500 BC में मध्य नेपाल पर कब्ज़ा कर लिया जिसमें यह क्षेत्र भी शामिल था। किरात राजा यम्बलर का राज्य पश्चिम दिशा में त्रिसुली नदी से लेकर पूर्व में तिस्ता नदी तक फ़ैला हुआ था।

हिंदु सनातन संस्कृति के अनुसार भगवान शिव (भोलेनाथ) किटेश्वर या किरातो के देवता के रुप में पुजा जाता हैं। आज भी यहां कीर्तेश्वर मंदिर (लेगशिप, सिक्किम) बना हुआ हैं।

छठी शताब्दी तक लेपचाओं ने नेपाल, सिक्किम, हर चू घाटी और अम्मो चू घाटी के साथ साथ ग्रेटर सिक्किम का पूर्वी भाग इनके अधीन था।
लिम्बस ने सिक्किम के पश्चिमी भाग पर कब्जा कर लिया जो वर्तमान में “लिम्बुवान” के नाम से जाना जाता हैं। लेपचाओ की भाषा लेप्चा थी जबकि लिम्बु लोगों की भाषा भी लिम्बु थी।

ये युमासवाद या युमा साममाड़ किरात का ही एक रुप था।7वीं शताब्दी में थेकुंग ऐडक ने लेप्चा जनजातियों को समेकित करते हुए स्वयं को राजा घोषित कर दिया।इस तरह लिम्बु जनजातियों पर उनके द्वारा चुने गए 10 लोगों में से 10 निर्वाचित प्रमुखों द्वारा सामाजिक और प्रशासनिक निकाय बनाया गया जिसे बाद में थिबोंग याक्थुम तुयांगहांग ( दस लिम्बस काउंसिल) के नाम से जाना जाने लगा।

सिक्किम का उल्लेख कई हिंदु धर्म ग्रंथों में भी देखने को मिलता हैं। बौद्ध भिक्षु गुरू रिंपोचे का आठवीं शताब्दी में किया गया सिक्किम का दौरा बहुत महत्वपूर्ण माना जाता हैं। बौद्ध धर्म का प्रचार और प्रसार करने के लिए गुरू रिंपोचे सिक्किम गए। उस समय उन्होंने भविष्यवाणी की आने वाले समय में यह एक खुशहाल राज्य बनेगा।

सिक्किम से जुड़े रोचक तथ्य और जानकारी

अब तक आपने सिक्किम का इतिहास (Sikkim History In Hindi) पढ़ा अब आप सिक्किम से जुड़े रोचक तथ्य जानेंगे, जो निम्नलिखित हैं-

1 सिक्किम भारत के पूर्वोत्तर भाग में स्थित हैं, यह पहाड़ी इलाका है। इसका आकार अंगूठे के समान है जो पश्चिम में नेपाल, उत्तर तथा पूर्व में चीन तिब्बत एवं दक्षिण पूर्व में भूटान से लगा हुआ हैं।

2 सिक्किम का मुख्य भोजन चावल हैं। यहां पर नेपाली लोगों की तादाद ज्यादा होने की वजह से नेपाली व्यंजन नेवा और थाकली भी बहुत लोकप्रिय हैं। साथ ही फगशाफा सिक्किम का पारंपरिक व्यंजन है।

3 सिक्किम (Sikkim History In Hindi) में चार जिले हैं।

4 सिक्किम का मुख्य त्यौहार लोसर हैं। नेपाल, भूटान और तिब्बत में यह बहुत लोकप्रिय हैं। साथ ही लोसार को तिब्बती बौद्ध धर्म में मुख्य त्यौहार माना जाता हैं।

5 सिक्किम को भारत का 22वां गणराज्य बनाने के लिए लोकसभा में संविधान संशोधन विधेयक पारित किया गया था। 23 अप्रैल 1975 को पेश किया गया यह विधेयक 299-11 के मतांतर से पारित हुआ।

6 16 मई 1975 को यह भारत का गणराज्य बना।

7 सिक्किम का अन्तिम राजा पाल्देन ठोंडूप नामग्याल था, को कि नामग्याल वंश का अन्तिम शासक थे।

8 सिक्किम धर्म की बात की जाए तो यहां पर हिंदु और बज्रयान बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं।

9 सिक्किम में नेपाली भाषा बोली जाती हैं साथ ही English और Hindi भी यहां के लोग जानते हैं।

10 सिक्किम की अन्य भाषाओं की बात की जाए तो तिब्बती, याक्खा, भूटिया, मगर, मांझी, मझवार, जोखा, ग्रोमा, लेप्चा, गुरूंग, सुनवार आदि।

11. सिक्किम के उत्तर पश्चिम में स्थित कंचनजंघा और सेवालुंगमा सिक्किम की सबसे ऊंची पर्वत चोटियां है जो नेपाल की सीमा पर स्थित हैं।

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