“तेरहताली नृत्य” कहां का हैं? पढ़ें Terahtali Nritya की सम्पूर्ण जानकारी.

Terahtali Nritya:- तेरहताली नृत्य राजस्थान का प्रसिद्ध और विश्वविख्यात नृत्य है. राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत और लोक कला अद्भुत है. राजस्थान का विश्व प्रसिद्ध तेरहताली नृत्य कामड़ जाति द्वारा किया जाता है. इस नृत्य का उद्भव पाली जिले (पादरला गांव) में हुआ था. तेरहताली नृत्य औरतें करती हैं लेकिन पुरुष पीछे बैठकर लोक देवता बाबा रामदेव और हिंगलाज माता के भजन गाते हैं. तेरहताली नृत्य के दौरान पुरुषों के द्वारा भजनों के साथ साथ वाद्य यंत्र भी बजाए जाते हैं.

तेरहताली नृत्य (Terahtali Nritya) कैसे किया जाता है? तेरहताली नृत्य की मुख्य विशेषताएं-

तेरहताली क्या हैं (what is Terahtali Nritya)-राजस्थानी लोकनृत्य.
तेरहताली नृत्य कहाँ का हैं-पाली, राजस्थान.
तेरहताली किस लोकदेवता से सम्बंधित हैं-बाबा रामदेवजी.
तेरहताली नृत्य की प्रसिद्ध नृत्यांगना-मांगीबाई.
मांगीबाई का जन्म कहाँ हुआ-बनिला गाँव (चित्तौड़गढ़).
(Terahtali Nritya)

तेरहताली नृत्य कैसे किया जाता हैं यह हम निम्नलिखित तेरहताली नृत्य की विशेषताओं से समझ सकते हैं-

[1]. तेरहताली नृत्य (Terahtali Nritya) के लिए राजस्थान के पाली ज़िले का पादरला गांव मुख्य हैं. इस गांव में रहने वाली कामड़ जाति की महिलाओं द्वारा सामूहिक रूप से यह नृत्य किया जाता है.

[2]. तेरहताली नृत्य (Terahtali Nritya) राजस्थान के लोक देवता बाबा रामदेव को समर्पित है.

[3]. तेरहताली नृत्यांगनाओं के पीछे बैठकर पुरुष वाद्य यंत्रों का उपयोग करते हुए बाबा रामदेव के भजन गाते हैं.

[4]. तेरहताली नृत्य में मंजीरे, चौतारा, तानपुरे, इकतारा, ढोलक और तंदुरा जैसे वाद्य यंत्र बजाए जाते है.

[5]. तेरहताली नृत्य (Terahtali Nritya) के दौरान महिलाओं के हाथ और पैरों पर कुल 13 मंजीरे बंधे होने की वजह से इस नृत्य को तेरहताली नृत्य के नाम से जाना जाता है. नृत्य के दौरान इन की मधुर आवाज दर्शकों का मन मोह लेती है.

[6]. राजस्थान की पारंपरिक वेशभूषा में औरतें एडी से लेकर घुटने तक रेखीय क्रम में 9 मंजीरे बंधे रहते हैं. दोनों हाथ की कोहनीयों पर 1-1 मंजीरा बंधा रहता है. दोनों हाथों की उंगलियों पर भी 1-1 मंजीरा बंधा रहता है.

[7]. पूरे शरीर पर 11 मंजिले बंधे रहते हैं जबकि दो मंजीरे हाथों में रहते हैं, जब इनको एक दूसरे के साथ बजाया जाता है तो बहुत ही मधुर आवाज निकलती है.

[8]. तेरहताली नृत्य के दौरान महिलाओं के सर पर कलश, पूजा कि थाली और दीपक रखा जाता है जबकि महिलाओं के मुंह में तलवार होती हैं जो हिंगलाज माता का प्रतीक मानी जाती है.

[9]. तेरहताली नृत्य एकमात्र ऐसा नृत्य है जो बैठकर किया जाता है.

[10]. तेरहताली नृत्य (Terahtali Nritya) के दौरान महिलाएं क्रमिक रूप से बैठकर तेरहताली बजाती है, साथ ही घूमकर भी तेरहताली बजाती है. इस दौरान प्रत्येक मंजीरा एक दूसरे के संपर्क में आता है, यह बहुत ही बारीकी से किया जाने वाला नृत्य है.

[11]. बिना देखे एक मंजीरा दूसरे मंजिलें के संपर्क में आता है जिससे बहुत ही मधुर संगीत की उत्पत्ति होती है.

[12]. एक बार जो तेरहताली नृत्य (Terahtali Nritya) देख लेता है वह बार-बार इसे देखना चाहता है. यह बहुत ही सावधानी के साथ ताल और लय पर आधारित होता है.

तेरहताली नृत्य कहां का हैं? Where is Terhtali Nritya from?

तेरहताली नृत्य राजस्थान का प्रसिद्ध लोक नृत्य है लेकिन राजस्थान में भी इस लोक नृत्य का उद्भव पाली जिले के पादरला नामक गांव में हुआ था.

तेरहताली नृत्य किस लोक देवता को समर्पित है?

तेरहताली नृत्य लोक देवता बाबा रामदेव जी को समर्पित हैं. बाबा रामदेव के मेले में तेरहताली नृत्य (Terahtali Nritya) विशेष आकर्षण का केंद्र रहता है. यह नृत्य बाबा रामदेव की आराधना और उन्हें खुश करने के लिए किया जाने वाला मुख्य राजस्थानी लोक नृत्य है.

तेरहताली नृत्य में किस वाद्य यंत्र का प्रयोग किया जाता है?

तेरहताली नृत्य स्थानीय कलाकारों द्वारा किया जाता हैं. तेरहताली नृत्य में मंजीरे, चौतारा और तानपुरा नामक वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया जाता है. इसके अलावा भी तेरहताली नृत्य में ढोलक, इकतारा और तंदूरा जैसे वाद्य यंत्रों का वादन भी किया जाता है.

तेरहताली नृत्य की प्रसिद्ध नृत्यांगना कौन है?

तेरहताली नृत्य की प्रसिद्ध नृत्यांगना का नाम मांगी बाई है. तेरहताली नृत्य की प्रसिद्ध नृत्यांगना मांगी बाई पिछले 50 वर्षों से लगातार यह नृत्य कर राजस्थान की लोक कला को विश्व के कई भागों में पहुंचाई है. प्रसिद्ध तेरहताली नृत्यांगना मांगी बाई का जन्म राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में हुआ था. जब मांगी बाई की आयु महज 10 वर्ष थी तब इनका विवाह पाली जिले के पादरला गांव में हुआ.

यह वही गांव था जिसमें तेरहताली नृत्य किया जाता था. कम उम्र से ही तेरहताली नृत्यांगना मांगी बाई ने अपने जेठ गोरमदास से इस नृत्य या कला की बारीकियां सीखना शुरू कर दी. जैसे-जैसे मांगी बाई बड़ी होती है वह इस नृत्य में पारंगत हो गई. जैसे जैसे समय आगे बढ़ता गया मांगी बाई ने इस तेरहताली नृत्य को अपने गांव से बाहर निकालकर राजस्थान के अन्य जिलों के साथ-साथ भारत के भी कई राज्यों में करना प्रारंभ किया.

वर्ष 1954 में चित्तौड़गढ़ जिले में “गाड़िया लोहार सम्मेलन” का आयोजन हुआ. इसमें मुख्य अतिथि के रूप में भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु चित्तौड़गढ़ पहुंचे. उनके सामने अपने जन्म स्थान चित्तौड़गढ़ में तेरहताली नृत्यांगना मांगी बाई ने अपनी कला का प्रदर्शन किया, जिसके चलते वह कुछ ही समय में पूरे भारत में प्रसिद्ध हो गई.

प्रसिद्ध तेरहताली नृत्य (Terahtali Nritya) अंगना मांगी बाई अब तक भारत के विभिन्न राज्यों के अतिरिक्त कनाडा, जर्मनी, इटली, रूस, अमेरिका और फ्रांस जैसे बड़े-बड़े देशों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुकी है.

तेरहताली नृत्यांगना मांगीबाई को सम्मान

[1]. “संगीत नाटक अकादमी अवार्ड” (भारत के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री द्वारा प्रदान किया गया).

[2]. मीरा पुरस्कार (Rajasthan Govt.).

[3]. तेरहताली पुरस्कार.

[4]. पर्यटन विभाग द्वारा सम्मान ( Govt if India).

[5]. INDIAN COUNCIL FOR CULTURAL RELATIONS EMPANELMENT द्वारा भारत की प्रसिद्ध कलाकारों की सूची में स्थान मांगीबाई को जगह.

[6]. “एशिया पेसिफिक डेटाबेस ऑन इंटेजिबल कल्चरल हेरिटेज” की सूची में तेरहताली नृत्यांगना मांगी बाई को स्थान.

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दोस्तों उम्मीद करते हैं “तेरहताली नृत्य” पर आधारित यह लेख आपको अच्छा लगा होगा,धन्यवाद.