Vijay Stambh, विजय स्तंभ चित्तौड़गढ़- निर्माण और इतिहास.

Last updated on April 5th, 2023 at 12:02 pm

विजय स्तम्भ का इतिहास (Vijay Stambh History In Hindi):-

Vijay Stambh राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित एक ऐतिहासिक इमारत है. जिसका निर्माण 1440 ईस्वी से लेकर 1448 ईस्वी के मध्य मेवाड़ के राजा महाराणा कुंभा ने करवाया था. विजय स्तंभ के निर्माण के पीछे मुख्य वजह थी मेवाड़ की ऐतिहासिक जीत. भगवान विष्णु को समर्पित विजय स्तंभ 9 मंजिला है.

विजय स्तंभ (Vijay Stambh) को भारतीय मूर्तिकला का विश्वकोश भी कहा जाता है. जब आप पास में जाकर विजय स्तंभ को देखेंगे तो देखते ही रह जाएंगे. विजय का प्रतीक विजय स्तंभ चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर मेवाड़ के स्वर्णिम इतिहास को समेटे खड़ा है. 15 अगस्त 1949 के दिन विजय स्तम्भ पर डाक टिकट जारी किया गया था. पहले यह पर्यटकों के लिए खुला हुआ था लेकिन अब पर्यटकों को इसके ऊपर जाने की अनुमति नहीं है.

विजय स्तंभ का इतिहास (Vijay Stambh History In Hindi)

विजय स्तम्भ का इतिहास (Vijay Stambh History In Hindi) निम्नलिखित है-

विजय स्तंभ के अन्य नामविष्णु स्तम्भ, Vijay Stambh, victory tower
विजय स्तंभ का निर्माण कब हुआ1448 ईस्वी.
विजय स्तम्भ का निर्माण किसने करवाया था महाराणा कुम्भा.
विजय स्तम्भ निर्माण की वजह महाराणा कुम्भा की महमूद खिलजी पर जीत की ख़ुशी में.
विजय स्तम्भ का वास्तुकार राव जैता.
विजय स्तम्भ की ऊँचाई 122 फीट या 37.19 मीटर.
विजय स्तंभ का आकारभगवान् शिव के “डमरू” के समान.
विजय स्तंभ की मंजिलेंकुल 9 मंजिले.
विजय स्तम्भ में ऊपर जाने के लिए सीढियाँ 157 सीढियां.
विजय स्तम्भ कहाँ स्थित हैं चित्तौड़गढ़ दुर्ग, राजस्थान.
Vijay Stambh

जिन्हें यह नहीं पता की विजय स्तंभ का इतिहास (Vijay Stambh History In Hindi) क्या है उन्हें यह लेख पूरा पढ़ना चाहिए. Vijay Stambh जैसा कि नाम से स्पष्ट है विजय का प्रतीक. प्राचीन समय में राजा महाराजा किसी भी युद्ध अभियान में सफलता के बाद उस विजय को यादगार बनाने के लिए मंदिरों, स्तूपों, स्मारकों और स्तंभों का निर्माण करवाते थे. भारत का इतिहास उठाकर देखा जाए तो ऐसे कई उदाहरण देखने को मिलते हैं जब जीत के पश्चात किसी स्तंभ या स्मारक का निर्माण करवाया गया हो.

ऐसा ही एक उदाहरण राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में देखने को मिलता है जिसे Vijay Stambh के नाम से जाना जाता हैं. 15 वीं शताब्दी में मेवाड़ नरेश महाराणा कुंभा ने महमूद खिलजी को पराजित किया था. यह 1448 ईस्वी की बात है जब महमूद खिलजी के नेतृत्व में गुजरात और मालवा की संयुक्त सेनाओं से मेवाड़ नरेश महाराणा कुंभा ने लोहा लिया था इस युद्ध में अपना दमखम दिखाते हुए मेवाड़ के राजा महाराणा कुंभा ने महमूद खिलजी को बुरी तरह से पराजित किया.

मेवाड़ के राजा महाराणा कुंभा ने महमूद खिलजी को पराजित करने और इस ऐतिहासिक जीत को यादगार बनाने के लिए चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर विजय स्तंभ (Vijay Stambh) का निर्माण करवाया था. विजय का प्रतीक विजय स्तंभ आज भी चित्तौड़ दुर्ग पर सीना तान कर खड़ा है. चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर स्थित विजय स्तंभ (Vijay Stambh) की भव्यता देखते ही बनती है. वास्तुकार राव जैता ने बहुत ही सुंदरता के साथ विजय स्तंभ की परिकल्पना को साकार रूप प्रदान किया था. इसकी सुंदरता और भव्यता को देखकर विश्व विख्यात इतिहासकार कर्नल जेम्स टॉड ने इसे कुतुबमीनार से बेहतरीन बताया था.

विजय स्तंभ राजस्थान पुलिस और राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के प्रतीक चिन्ह के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इतना ही नहीं कई खेल प्रतियोगिताओं में विजय स्तंभ (Vijay Stambh) का चित्र या प्रतीक प्रदान करके सम्मानित किया जाता है. यह हमारे लिए गौरव का विषय है कि राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित विजय स्तंभ को संपूर्ण भारत में विजय के प्रतीक के रूप में देखा जाता है. अपने निर्माण के 500 वर्ष बीत जाने के बाद भी Vijay Stambh स्तंभ ज्यों का त्यों खड़ा है. भारत और मेवाड़ के इतिहास की गाथा सुनाता यह स्तंभ देखने वाले को भावुक कर देता है.

सन 1852 ईस्वी में विजय स्तंभ (Vijay Stambh) पर बिजली गिर गई थी और यह क्षतिग्रस्त हो गया था. बाद में इसकी मरम्मत महाराणा स्वरूप सिंह जी ने करवाई थी. राजस्थान पुलिस और राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के प्रतीक चिह्न के रूप में विजय स्तंभ के चित्र का उपयोग किया जाता है. कई इतिहासकारों का मानना है कि महाराणा कुंभा द्वारा निर्मित विजय स्तंभ उनके इष्टदेव भगवान विष्णु को समर्पित है.

विजय स्तंभ की वास्तुकला और जानकारी (Architecture of Vijay Stambh)

विजय स्तंभ को बनाने वाले वास्तुकार का नाम राव जैता था. विजय स्तंभ एक 9 मंजिला इमारत हैं जिसकी ऊंचाई 122 फीट अर्थात 37.19 मीटर है, वहीं इसकी चौड़ाई 30 फीट हैं. दूर से देखने पर विजय स्तंभ भगवान शिव के “डमरू” के समान दिखाई देता है. विजय स्तंभ पर ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है. विजय स्तंभ पर ऊपर चढ़ने के लिए कुल 157 सीढ़ियां बनी हुई है, लेकिन अब पर्यटकों को ऊपर जाने की अनुमति नहीं है.

Artwork on Vijay stambh

Vijay Stambh के अंदर और बाहर की तरफ भगवान और देवी देवताओं की बहुत ही सुंदर मूर्तियां उत्कीर्ण की गई हैं जो इसकी भव्यता बढ़ाती हैं. रामायण और महाभारत के पात्रों का विजय स्तंभ के ऊपर मूर्तियों के द्वारा बहुत ही सुंदर तरीके से महिमामंडन किया गया है. विजय स्तंभ (Vijay Stambh) के अंदर ब्रह्मा जी, विष्णु जी, लक्ष्मीनारायण जी, सावित्री जी, हरिहर जी, उमामाहेश्वर जी, अर्धनारीश्वर जी और माता महालक्ष्मी जी की बहुत ही सुंदर और कलात्मक मूर्तियां उत्कीर्ण की गई है. 

जब हम विजय स्तंभ के ऊपर जाते हैं तो आठवीं मंजिल पर “कीर्ति स्तंभ की प्रशस्ति” का लेखन किया गया है जिसके लेखक अत्रि और महेश भट्ट नामक दो रचनाकार थे. इन्हीं विशिष्ट विशेषताओं के कारण विजय स्तंभ को भारतीय मूर्तिकला का विश्वकोश और भारतीय मूर्तिकला का अजायबघर भी कहा जाता है.

विजय स्तंभ (Vijay Stambh) की सुंदरता और भव्यता देखते ही बनती हैं. इसकी वास्तुकला को देखकर ही इतिहासकार कर्नल जेम्स टॉड ने इसे कुतुबमीनार से बेहतर बताया और यकीनन यह कुतुबमीनार से कई गुना बेहतर है. डॉ उपेंद्र नाथ ने कहा कि विजय स्तंभ भगवान विष्णु को समर्पित है और उन्होंने विजय स्तंभ को “विष्णु ध्वज” कह कर भी संबोधित किया था.

इस 9 मंजिला इमारत की प्रत्येक मंजिल पर एक छज्जा बना हुआ है और ऊपरी सतह तक जाने के लिए अंदर से सीढ़ियां बनी हुई हैं. अंतिम और नवी मंजिल पर मेवाड़ के शासक महाराणा हमीर से लेकर महाराणा कुंभा तक की वंशावली की जानकारी मिलती है. विजय स्तंभ के वास्तुकार राव जेता के संबंध में पांचवी मंजिल पर जानकारी मिलती हैं. Vijay Stambh पर राव जेता के साथ उनके तीनों पुत्र नापा, पूजा और पोमा के नाम उत्कीर्ण है.

विजय स्तंभ से संबंधित पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ About Vijay Stambh)

[1] विजय स्तंभ का निर्माण किसने करवाया था?

उत्तर- विजय स्तंभ का निर्माण महाराणा कुंभा ने करवाया था.

[2] विजय स्तंभ की ऊंचाई कितनी है?

उत्तर- विजय स्तंभ की ऊंचाई 122 फीट अर्थात 37.19 मीटर है.

[3] विजय स्तंभ की चौड़ाई कितनी है?

उत्तर- विजय स्तंभ की चौड़ाई 30 फीट है.

[4] विजय स्तंभ को विष्णु ध्वज किसने कहा था?

उत्तर- डॉ उपेंद्र नाथ ने विजय स्तंभ को विष्णु ध्वज कहा था.

[5] विजय स्तंभ कहां स्थित है?

उत्तर- विजय स्तंभ राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में किले पर स्थित है.

[6] राजस्थान पुलिस का प्रतीक चिन्ह क्या है?

उत्तर- राजस्थान पुलिस का प्रतीक चिन्ह विजय स्तंभ है.

[7] राजस्थान का पहला विजय स्तंभ कहां स्थित है?

उत्तर- राजस्थान का पहला विजय स्तंभ चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर स्थित है.

[8] राजस्थान में विजय स्तंभ कितने हैं?

उत्तर- राजस्थान में एकमात्र विजय स्तंभ चित्तौड़गढ़ में स्थित है.

[9] विजय स्तंभ किसने और क्यों बनवाया था?

उत्तर- विजय स्तंभ का निर्माण मेवाड़ नरेश महाराणा कुंभा ने महमूद खिलजी के नेतृत्व वाली मालवा और गुजरात की संयुक्त सेनाओं पर सारंगपुर की लड़ाई में विजय प्राप्त करने पर स्मारक के रूप में विजय स्तंभ बनवाया था.

[10] विजय स्तंभ में कुल कितनी सीढ़ियां हैं?

उत्तर- विजय स्तंभ में ऊपर जाने के लिए कुल 157 सीढ़ियां बनी हुई है.

[11] विजय स्तंभ की कौन सी मंजिल पर अल्लाह लिखा हुआ है?

उत्तर- विजय स्तंभ की तीसरी मंजिल पर 9 बार अरबी भाषा में अल्लाह शब्द लिखा हुआ है. यह विजय स्तंभ का हिस्सा नहीं होकर छेड़छाड़ का नजीता है.

[12] दूसरा विजय स्तंभ कहां स्थित है?

उत्तर- दूसरा विजय स्तंभ भी चित्तौड़गढ़ किले पर स्थित है जिसे कीर्ति स्तंभ के नाम से जाना जाता है.

[13] विजय स्तंभ सोने से बना है?

उत्तर- नहीं, विजय स्तंभ सोने से नहीं बना है.

[14] विजय स्तंभ के वास्तुकार कौन थे?

उत्तर- विजय स्तंभ के वास्तुकार राव जैता थे.

[15] क्या विजय स्तंभ के ऊपर जा सकते हैं?

उत्तर- पहले यह पर्यटकों के लिए खुला हुआ था लेकिन अब पर्यटकों को इसके ऊपर जाने की अनुमति नहीं है.

उम्मीद करते हैं विजय स्तम्भ के इतिहास (Vijay Stambh History In Hindi) पर आधारित यह लेख आपको अच्छा लगा होगा, धन्यवाद.