लाल कोट का इतिहास (Lal Kot History In Hindi)- क्योंकि लाल किला भी कभी लाल कोट था.

लाल क़िला (Lal Kot History In Hindi) के निर्माण को लेकर हमेशा से दो फाड़ रहे हैं। एक पक्ष कहता है लाल क़िले (Lal Kot History In Hindi) का निर्माण मुग़ल बादशाह शाहजहां द्वारा 1648 ईस्वी में किया गया जबकि दुसरे पक्ष अनुसार लाल क़िले का निर्माण अनंगपाल सिंह तोमर द्वितीय ने 1060 ईस्वी में करवाया था। पूर्व में इस किले का नाम लाल कोट था (Lal Kot History In Hindi), बाद में थोड़ा बदलकर और पुताई करके इसमें बदलाव किया गया।

ठीक हैं हम दोनों की बातों को नजरंदाज नहीं करते हैं और पहले वास्तविक इतिहास पर नजर डालते हैं, जिससे कि आप स्वयं इस निष्कर्ष तक पहुंच सकें कि वास्तव में लाल क़िले का निर्माण किसने करवाया था? अगर आप लाल क़िले या लाल कोट के निर्माण की सच्चाई जानना चाहते हैं तो इस लेख को पुरा पढ़ें।

Lal Kot History In Hindi
Lal Kot

लाल क़िले का इतिहास या लाल कोट का इतिहास (lal kot History In Hindi)-

पूर्व नाम- लाल कोट।

वर्तमान नाम- लाल क़िला।

कहां स्थित हैं– दिल्ली।

निर्माण वर्ष- 1060 ईस्वी।

निर्माणकर्ता- अनंगपाल सिंह तोमर द्वितीय।

मरम्मतकर्ता- शाहजहां।

इस सम्बन्ध में प्रमाण- “अकबरनामा” और “अग्निपुराण”

लाल क़िला (Lal Kot History In Hindi) या लाल कोट का इतिहास लिखने वालों ने इसके सम्बन्ध में उपलब्ध प्रमाणों को अहमियत नहीं दि, बल्कि भेड़ चाल चली हैं। किसी ने कहा उसे ही सच मान लिया। किसी का भी इतिहास प्रमाणों के अभाव में विश्वसनीय नहीं होता है क्योंकि इतिहासकार वही लिखेगा जो वो लोगों को बताना चाहता हैं, फिर वह झूठ ही हो।

दिल्ली उस समय भी थी जब मुग़ल भारत में नहीं आए। मुगलों से पहले तुर्की भी शासन कर चूके थे। भारतीय राजा- महाराजों की बात की जाए तो,उनकी भी राजधानी दिल्ली ही हुआ करता था। अब प्रश्न यह उठता है कि मुगलों से पूर्व राज करने वाले राजा शासन संचालन का कार्य कहां से किया करते थे? उनके घर से? बिल्कुल नहीं।

अगर आप अक़बरनामा और अग्निपुराण का अध्यन करेंगे तो देखेंगे कि लाल कोट (Lal Kot History In Hindi) नामक क़िले का ज़िक्र किया गया हैं।

हिंदु सम्राट द्वारा दिल्ली की स्थापना

बारीकी से भारतीय इतिहास को देखा जाए तो मुगलों से पहले भी दिल्ली था। ना तो दिल्ली की स्थापना इन्होंने की और ना ही ऐतिहासिक स्थलों की। इसके सम्बन्ध में साक्ष्य भी मौजुद हैं। लाल क़िला और दिल्ली को अपने बाप-दादा की जागीर समझने वाले लोगों को अपने पैरों तले दबे ऐतिहासिक प्रमाणों और साक्ष्यों पर ध्यान देने की ज़रूरत है। जब तथ्यों और सबूतों को देखा जाएगा तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

720 ईस्वी में आबु पर्वत पर एक बहुत बड़ा यज्ञ हुआ था जो कि सनातन संस्कृति के बचाव हेतु किया गया। विदेशी आक्रांताओं को देश से खदेड़ने और सभी राजा महाराजाओं को एकजुट करने का उद्देश्य भी इस यज्ञ का मुख्य कारण था। धीरे धीरे भारत वर्ष के विभिन्न क्षेत्रों के शासक एक होने लगे। इसी चरण में 730 ईस्वी में नागभट्ट प्रथम ने गुर्जर प्रतिहार राजवंश की स्थापना की तथा 736 ईस्वी में अनंगपाल सिंह तोमर प्रथम को दिल्ली में तोमर राजवंश की स्थापना का श्रेय जाता हैं।

अब अगर आप अकबरनाम और अग्निपुराण का अध्ययन करेंगे तो आपको पता लगेगा कि दिल्ली का निर्माण या स्थापना महाराजा अनंगपाल जी द्वारा की गई थी। जब दिल्ली की स्थापना हुई तब मुगलों का अता पता भी नहीं था।

आओ आपका भ्रम दूर करते हैं-

लाल क़िला निर्माण किसने करवाया? यह सब जानना चाहते हैं लेकीन सच को स्वीकार करना कोई नहीं चाहता है। दिल्ली के लाल क़िले (Lal Kot History In Hindi) का निर्माण 1638 ईस्वी में मुग़ल शासक शाहजहां द्वारा करवाया जाना बिल्कुल गलत है,जो आगे सिद्ध भी हो जाएगा।

शाहजहां के आने से कई वर्षों पूर्व ही लाल क़िले का निर्माण हो चुका था। हिंदू सम्राट अनंगपाल सिंह तोमर द्वितीय ने लालकोट का निर्माण करवाया था जिसको थोड़ा मोडिफाइड करके शाहजहां ने हथियाने की कोशिश की लेकिन उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर यह जूठ पकड़ा गया। लाल कोट का नाम बदलकर लाल किला कर दिया गया।

इस सम्बन्ध में उपलब्ध साक्ष्य (Lal Kot History In Hindi and proof)

तारीख ए फिरोजशाही ( पेज नंबर 160) में स्पष्ट लिखा हुआ है कि जब अलाउद्दीन खिलजी पहली बार भारत आया तो वह कुश्क-ए-लाल की तरफ़ गया और वहां पर विश्राम किया था। यहां कुश्क-ए-लाल का मतलब लाल महल हैं। इससे यह साबित हो गया कि लाल किला जहां पर स्थित हैं वहां पर पहले से ही कुश्क-ए-लाल नामक (Lal Kot History In Hindi) स्थान था।

1390 ईस्वी में तैमूर लंगड़ा भारत आया जो कि एक तुर्की का आक्रांता था। तैमूर लंग ने भी दिल्ली का उल्लेख किया था।तैमूर लंग के बाद लगभग 250 वर्षों के पश्चात शाहजहां भारत आया। तैमूर लंग ने जामा मस्जिद के लिए लिखा “काली मस्जिद” जबकि आज के इतिहासकार जामा मस्जिद को भी शाहजहां द्वारा निर्मित बताते हैं।

शाहजहां ने ना तो लाल क़िले का निर्माण किया ना ही जामा मस्जिद का निर्माण किया और ना ही पुरानी दिल्ली का निर्माण करवाया था। यह सिर्फ़ एक मिथ्या हैं।

अब हम बात करते हैं लाल क़िले (Lal Kot History In Hindi) पर बनें महल कि जिसमें आज भी ऐसे नल लगे हुए हैं जिन पर वराह (सुअर) का मुंह बना हुआ हैं। अब ज़रा आप ख़ुद सोचो कोई भी मुग़ल हिंदु धर्म के प्रतीकों की मूर्ति स्थापित क्यों करेगा?इस तरह की बनावट देखकर यह अंदाज़ा हर कोई लगा सकता हैं कि इसका निर्माण किसी हिंदु सम्राट द्वारा ही करवाया गया होगा।

हिंदु संस्कृती की झलक लाल क़िले पर साफ़ तौर पर दिखाई पड़ती हैं। कुछ ऐसे स्थान भी हैं जहां साफ़ तौर पर हिंदु देवी देवताओं की मूर्तियों को देखा जा सकता हैं। ये विदेशी आक्रांताओं की एक चाल थी कि कैसे भी करके नाम बदलकर क्रेडिट लिया जाए और हमारे इतिहासकार दिन रात इनके गुणगान करते नहीं थकते है।

लाल क़िले के अन्दर केसर कुंड बना हुआ हैं जिस पर कमल का प्रतीक बना हुआ हैं। क्या कोई यकीन करेगा कि मुस्लिम हिंदु देवी देवताओं के प्रतीक चिन्ह और केसर कुंड नाम से किसी स्थान का नाम रखेगा? संभव नहीं है ना।

लाल कोट के बारे में रोचक जानकारी

1. लाल कोट (Lal Kot History In Hindi) बहुत प्राचीन और रक्षात्मक किला है।

2. लाल कोट का निर्माण तोमर शासक अनंगपाल प्रथम द्वारा 773 ईसवी में करवाया गया था।

3. लाल कोट आयताकार आकार में बना हुआ है, इसकी परिधि लगभग 2.25 किलोमीटर है।

4. लाल कोट को “किला ए राय पिथौरा” के नाम से भी जाना जाता है।

5. गजनी, सोहन फतेह और रणजीत समेत लाल कोट में कुल 7 दरवाजे हैं।

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