U 19 WC विजेता उन्मुक्त चंद, ना घर के रहे ना घाट के, US ने टीम से बाहर निकाला!

आपने एक कहावत सुनी होगी “लेने के देने पड़ गए” कुछ ऐसा ही हुआ भारत को साल 2012 में अंडर-19 वर्ल्ड कप जीतने वाले कप्तान और वर्ल्ड कप के फाइनल में शतक लगाकर भारत को विश्व विजेता बनने वाले उन्मुक्त चंद अब ना घर के रहे और ना घाट के.

दरअसल भारतीय टीम में मौका नहीं मिलने की वजह से उन्मुक्त चंद भारत छोड़कर हमेशा के लिए अमेरिका शिफ्ट हो गए. अमेरिका के लिए उन्होंने क्रिकेट खेला. अमेरिका की टीम में जगह बनाई, इतना ही नहीं विश्व के कई बड़े लीग में उन्होंने अपना जलवा बिखेरा.

लेकिन उनका सपना था कि वह अमेरिका की टीम में बतौर खिलाड़ी शामिल होकर भारत के खिलाफ वर्ल्ड कप खेले लेकिन अब उनका यह सपना पूरा होता दिखाई नहीं दे रहा है.

उनमुक्त चंद के साथ क्या हुआ ?

भारतीय खिलाड़ी उनमुक्त चंद को यूएसए (USA) ने अपनी क्रिकेट टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. यह वही खिलाड़ी है, जिसने साल 2012 फाइनल में शतक जड़कर टीम इंडिया को अंडर-19 वर्ल्ड कप जितवाया था. भारत में जब अवसर नहीं मिले, तब उन्मुक्त चंद अमेरिका शिफ्ट कर गए.

उन्हें उम्मीद थी कि इस बार वह  US की तरफ से टीम India के खिलाफ T-20 वर्ल्ड कप का मैच खेलेंगे, पर उनका सपना टूट गया है. यूएसए (USA) ने कनाडा के खिलाफ आगामी टी-20 सीरीज के लिए अपनी 15 सदस्यीय टीम का ऐलान कर दिया. इस टीम में भारत के पूर्व खिलाड़ी उन्मुक्त चंद को जगह नहीं दी गई.

उनमुक्त चंद कि जगह न्यूजीलैंड के पूर्व फास्ट बॉलिंग ऑलराउंडर कोरी एंडरसन का चयन किया गया है.

खराब सिस्टम पर भड़के चंद

टीम में नहीं चुने जाने के बाद Unmukt Chand ने खराब सिस्टम का हवाला देकर यूएसए क्रिकेट की आलोचना की है. उन्मुक्त चंद ने बांग्लादेश प्रीमियर लीग (BPL), मेजर लीग क्रिकेट (MLC) और ऑस्ट्रेलिया में बिग बैश लीग (BBL) सहित दुनिया भर की विभिन्न टी-20 लीगों शानदार खेल दिखाया.

वह MLC के इतिहास में दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी भी हैं. उन्मुक्त ने 45 पारियों में 1500 रन बनाए हैं. हालांकि, अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद, वह US की राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने में असफल हो गए.

उनमुक्त चंद कि Social media पोस्ट

उनमुक्त चंद ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, जीवन की विडंबना, मैं लोगों को खराब व्यवस्था और सही परिवर्तन की आवश्यकता के बारे में शिकायत करते हुए सुनता रहता हूं, लेकिन जब वही लोग सत्ता में आते हैं, तो वे भी वही अन्यायपूर्ण तरीके अपनाते हैं.

अब समय आ गया है कि हम अपने अंदर बदलाव लाएं और जो सही है, उसके लिए मजबूती से खड़े हों. आलोचकों का मानना है कि 31 वर्षीय उन्मुक्त चंद को देश बदलने की बजाय भारत में ही रहकर डोमेस्टिक क्रिकेट खेलना चाहिए था. हो सकता है कि उन्हें आने वाले वक्त में टीम इंडिया अवसर मिलता.