हर्यक वंश का इतिहास (Great Haryak Vansh History in Hindi)- मगध का पहला साम्राज्य।

Last updated on August 5th, 2022 at 02:04 am

हर्यक वंश (Haryak Vansh) को भारत के सबसे प्राचीन वंशजों में से एक माना जाता हैं। 544 ईसा पूर्व बिंबिसार द्वारा हर्यक वंश (Haryak Vansh) की स्थापना की गई थी। बिंबिसार ने गिरिव्रज अर्थात् राजगृह को अपनी राजधानी बनाया था जो की वर्तमान बिहार में स्थित हैं। राजा बिम्बिसार को हर्यक वंश का संस्थापन माना जाता हैं।

इतना ही नहीं मगध साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक भी बिंबिसार को माना जाता है। बिम्बिसार हर्यक वंश के प्रथम राजा माने जाते हैं, जबकि नागदशक को हर्यक वंश का अन्तिम शासक माना जाता हैं।

Haryak Vansh History in Hindi
Haryak Vansh history in hindi

हर्यक वंश का इतिहास (Haryak Vansh History In Hindi)-

  • हर्यक वंश का स्थापना वर्ष– 544 ईसा पूर्व.
  • हर्यक वंश ने कितने वर्षों तक शासन किया- 132 वर्ष.
  • हर्यक वंश का कार्यकाल- 544 ईसा पूर्व से लेकर 412 ईसा पूर्व तक.
  • हर्यक वंश के संस्थापक का नाम- बिम्बिसार.
  • हर्यक वंश के अंतिम शासक– नागदशक.
  • हर्यक वंश की राजधानी– गिरिव्रज (राजगृह).
  • हर्यक वंश के बाद कौनसा वंश अस्तित्व में आया- शिशुनाग वंश.
  • हर्यक वंश के मुख्य राजा- बिम्बिसार, अजातशत्रु, उदायिन, अनिरुद्ध, मंडक और नागदशक.

हर्यक वंश (Haryak Vansh) को भारत के सबसे प्राचीन राजवंश में गिना जाता है। हर्यक वंश का इतिहास बहुत प्राचीन है, इसका उद्भव 544 ईसा पूर्व हुआ था। नागवंश की एक शाखा के रुप में इस वंश को माना जाता हैं। बिम्बिसार जिसे श्रेणिक नाम से भी जाना जाता हैं, बहुत ही चतुर और शौर्यशली शासक थे।

544 ईसा पूर्व में इसकी स्थापना से लेकर 412 ईसा पूर्व तक इस वंश ने शासन किया था। लगभग 132 वर्षों तक शासन करने वाले इस वंश के साम्राज्य में एक से बढ़कर एक राजाओं ने जन्म लिया। गिरिव्रज अर्थात् राजगृह (बिहार) को अपनी राजधानी बनाकर इन्होंने राज किया था।

नागदशक को हर्यक वंश के अंतिम शासक के रूप में जाना जाता है। 412 ईसा पूर्व में हर्यक वंश (Haryak Vansh) का अंत हो गया। नागदशक हर्यक वंश का अंतिम शासक होने के साथ-साथ बहुत निर्बल भी था, जिसका फायदा शिशुनाग ने उठाया और नागदशक को मौत के घाट उतार कर 412 ईसा पूर्व में शिशुनाग वंश की स्थापना की।

हर्यक वंश के मुख्य शासक (Haryak Vansh ke shasak)

हर्यक वंश के 132 सालों के कार्यकाल के दौरान मुख्यतः 6 राजाओं ने राज्य किया था। हर्यक वंश के प्रथम शासक बिंबिसार से लेकर हर्यक वंश के अंतिम शासक नागदशक तक का कार्यकाल, Haryak Vansh वंश का स्वर्णिम कार्यकाल था।


र्यक वंश के मुख्य शासक निम्नलिखित हैं-

  1. राजा बिंबिसार (544 ईसा पूर्व से 493 ईसा पूर्व तक).

2. राजा अजातशत्रु (493 ईसा पूर्व से लेकर 461 ईसा पूर्व तक).

3. उदायिन (461 ईसा पूर्व से लेकर 445 ईसा पूर्व तक).

4. राजा अनिरुद्ध (445 ईसा पूर्व से लेकर अज्ञात).

5. मंडक (अज्ञात).

6. नागदशक ( 412 ईसा पूर्व तक).

हर्यक वंश का साम्राज्य विस्तार (Haryak Vansh samrajya)

544 ईसा पूर्व नागवंश की उपशाखा के रूप में जाने जाना वाला इस क्षत्रिय हर्यक वंश का उदय हुआ था। बिंबिसार को मगध साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।

हर्यक वंश साम्राज्य के विस्तार के लिए राजा बिंबिसार ने वैवाहिक संबंधों को आधार बनाया। इन्होने क्रमशः पंजाब की राजकुमारी या फिर ऐसा कहें कि भद्र देश की राजकुमारी क्षेमा, प्रसेनजीत जो कि कौशल के राजा थे उनकी बहिन महाकोशला से विवाह किया और अंत में वैशाली के चेटक की पुत्री जिसका नाम चेल्लना था से विवाह कर लिया और मगध साम्राज्य को विस्तारित किया।

एक कुशल कूटनीतिज्ञ और दूरदर्शी शासक होने की वजह से राजा बिंबिसार ने उस समय के प्रमुख राजवंशों में वैवाहिक संबंध स्थापित किए और हर्यक वंश के साम्राज्य का विस्तार किया। महावग्ग के अनुसार बिम्बिसार ने लगभग 500 राजकुमारियों से विवाह किया था।

हर्यक वंश का पतन (Haryak Vansh ka patan)

विश्व इतिहास उठाकर देखा जाए तो चाहे कितना भी बड़ा राजवंश रहा हो या कोई भी साम्राज्य चाहे कितना भी विस्तारित क्यों ना हो, निश्चित रूप से उसका पतन हुआ है। पतन कमजोरियों की वजह से होता है। कमजोर शासन व्यवस्था, कमजोर शासक और राज्य में फैली अनियमितताओं के चलते बड़े-बड़े राजवंशों का अंत हुआ था। हर्यक वंश का पतन भी इसी तरह हुआ था।

412 ईसा पूर्व हरिया का वंश के अंतिम शासक के रूप में जाने जाने वाला राजा नाग दशक बहुत ही निर्बल था। इनके सिहासन पर बैठने के बाद राज्य में अनियमितताओं का दौर चल पड़ा। जनता इनसे खुश नहीं थी और यही वजह रही कि इनके दुश्मनों ने मौका पाकर इन्हें मौत के घाट उतार दिया।

इतिहासकारों के अनुसार 412 ईसा पूर्व में शिशुनाग ने नाग दशक को मार डाला और शिशुनाग वंश की स्थापना की। इसके साथ ही भारत के इतिहास में 132 वर्षों तक राज करने वाले हर्यक वंश का अंत हो गया।

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