History Of Hindi Language, हिंदी भाषा का इतिहास.

[ History Of Hindi Language In Hindi , हिंदी भाषा का इतिहास] हमारा इतिहास हिंदी भाषा से हैं लेकिन हिंदी भाषा के इतिहास की बात की जाए तो यह 1000 वर्षों से भी अधिक प्राचीन हैं. हिंदी का इतिहास और कालखंड अतिप्राचीन हैं. “वैदिक विश्व राष्ट्र का इतिहास” नामक पुस्तक से ज्ञात होता है कि वैदिक काल में संपूर्ण विश्व में संस्कृत भाषा बोली जाती थी. यह देव भाषा भी थी. इसी संस्कृत भाषा से वर्तमान में प्रचलित समस्त भाषाओं का उद्भव और विकास हुआ जिनमें हिंदी भी एक है. हिंदी का इतिहास (History Of Hindi Language) प्राचीन होने के साथ-साथ गौरवशाली भी है.

हजारों वर्षों से हिंदी भाषा भारत और समीपवर्ती कई देशों की मुख्य भाषा के रूप में बोली जाती रही है. समय के साथ साथ इसका स्वरूप बदलता गया. वर्तमान समय में हिंदी भाषा बहुत तेजी के साथ विकास कर रही है. कई अंग्रेजी देशों में भी हिंदी भाषा को महत्व मिला है और इसे विभिन्न पाठ्यक्रमों में शामिल किया गया है. हिंदी का इतिहास (History Of Hindi Language) और कालखंड के बारे में हम विस्तृत रूप से जानेंगे.

हिंदी की उत्पत्ति कैसे हुई?

हिंदी का इतिहास (History Of Hindi Language) बताता है कि हिंदी की उत्पत्ति विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषा संस्कृत से हुई है. वही “हिंदी शब्द” की उत्पत्ति सिंधु से हुई है. सिंधु शब्द सिंधु नदी से आया है. सिंधु नदी के आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए प्रयुक्त “सिंधु शब्द” ईरानियों के संपर्क में आकर सिंधु से हिंदू या हिंद बन गया.

हिंदी की उत्पत्ति भारत की विभिन्न आर्य भाषाओं जिनमें गुजराती, मराठी, पंजाबी, बंगला, सिंधी, उड़िया और असमी आदि भाषाओं के साथ हुआ. हिंदी का इतिहास और कालखंड देखा जाए तो पुरातन काल में वैदिक संस्कृत , मध्यकाल में प्राकृत, पाली और अपभ्रंश रूप में थी जबकि आधुनिक युग आते-आते शुद्ध हिंदी बन गई.

हिंदी का इतिहास (History Of Hindi Language) देखा जाए तो प्राचीन समय में प्रथम शताब्दी के आसपास कई क्षेत्रीय भाषाओं का बोलबाला था जिनमें पैशाची, मागधी, ब्राचड, महाराष्ट्र, शौरसेनी, अर्ध मागधी मुख्य हैं. इन क्षेत्रीय भाषाओं से विभिन्न अपभ्रंशो का विकास हुआ और आगे चलकर इन्हीं अपभ्रंशो से हिंदी की उत्पत्ति मानी जाती हैं. हिंदी की उत्पत्ति उत्तरी भारत में हुई थी.

हिंदी की उत्पत्ति का कालक्रम इस प्रकार हैं-

महाराष्ट्र अपभ्रंश से-मराठी भाषा का उद्भव हुआ
मागधी अपभ्रंश से-असमिया, बंगला, बिहारी और उड़िया भाषा का उद्भव हुआ.
ब्राचड अपभ्रंश से-सिंधी भाषा का उद्भव हुआ.
अर्ध मागधी से-पूर्वी हिंदी भाषा का उद्भव.
शौरसेनी अपभ्रंश से-गुजराती, पहाड़ी, पश्चीमी हिंदी और राजस्थानी.
History Of Hindi Language

उपरोक्त सारणी का अध्ययन करने से आप पाएंगे कि मोटे तौर पर हिंदी की उत्पत्ति शौरसेनी अपभ्रंश और अर्ध मागधी से पूर्वी हिंदी भाषा का उद्भव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है.

हिंदी का इतिहास और विकास (History Of Hindi Language In Hindi)

चाहे कोई भी भाषा हो उसका विकास काल क्रम के अनुसार क्रमिक रूप से होता है. हिंदी का विकास भी क्रमिक रूप से हुआ है. संस्कृत भाषा को हिंदी की जननी के रूप में माना जाता है. वैसे तो विश्व की सभी भाषाओं की उत्पत्ति संस्कृत से हुई है लेकिन हम हिंदी का इतिहास पढ़ रहे हैं तो सिर्फ यहां पर हिंदी की बात करेंगे. हिंदी भाषा कि विकास का क्रम वैसे तो प्रथम शताब्दी से शुरू हुआ था लेकिन उसके संबंध में विश्वसनीय साक्ष्य उपलब्ध नहीं होने की वजह से हम 11 वीं शताब्दी से हिंदी के विकास का अध्ययन करेंगे

हिंदी के विकास को हम तीन काल खंडों में बांटकर अध्ययन करेंगे जिनमें प्राचीन काल, मध्यकाल और आधुनिक काल मुख्य हैं.

प्राचीनकाल में हिंदी का विकास

प्राचीन काल से हिंदी का इतिहास (History Of Hindi Language) से हमारा तात्पर्य 10 वीं शताब्दी से लेकर 14 वीं शताब्दी के मध्य का है. प्राचीन काल को हिंदी भाषा का बाल्यकाल माना जाता है. जैसे-जैसे अपभ्रंशो का प्रभाव कम होने लगा बोलचाल में हिंदी भाषा का प्रभाव बढ़ने लगा. हिंदी भाषा अपने विकास के प्रारंभिक दिनों में थोड़ी जटिल थी लेकिन धीरे-धीरे इसमें विकास होने लगा और इसे बोलने वाले लोगों का क्षेत्र भी बढ़ता गया.

प्रारम्भ में हिन्दी में कुल 8 स्वर थे जिनमें अ, आ, ई, उ, उ ऊ, ऐ और औ आदि वहीं ऋ, औ और ई नामक स्वर इस दौरान हिन्दी में जोड़े गए.

मध्यकाल में हिंदी का विकास

मध्यकाल में हिंदी का इतिहास (History Of Hindi Language) से तात्पर्य उस समय से हैं जिसमें अपभ्रंशो का प्रभाव धीरे-धीरे कम होने लगा और हिंदी भाषा का विकास जोर पकड़ने लगा. मध्यकाल में हिंदी खड़ी बोली के रूप में बोली जाने लगी. खड़ी बोली के साथ-साथ अवधी और ब्रज भाषा का भी प्रचलन बढ़ गया. मध्यकालीन कवियों में नानक, दादू, रैदास और कबीर जैसे निर्गुण कवियों ने अपनी लेखन शैली में खड़ी भाषा को अपनाया.

इस काल में भारत में मुगलों का अधिपत्य होने की वजह से उनकी भाषा का भी हिंदी पर बहुत प्रभाव पड़ा. परिणाम स्वरूप अरबी, फारसी और ईरानी भाषा के कई शब्द हिंदी के साथ-साथ बोले जाने लगे. जब भारत में पुर्तगाली और अंग्रेजों का आगमन हुआ तो उनकी भाषाओं का प्रभाव भी हिंदी भाषा पर देखने को मिला.

आधुनिक काल में हिंदी का विकास

18 वीं सदी से लेकर अब तक के समय को इसमें शामिल किया गया है. आधुनिक हिंदी का जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र को माना जाता है. इसीलिए आधुनिक काल में हिंदी के विकास क्रम को भारतेंदु हरिश्चंद्र के आसपास के काल खंडों में बांटकर अध्ययन करना उचित रहेगा. जहां भारतेंदु हरिश्चंद्र से पहले खड़ी बोली का प्रभाव था और बृज भाषा ज्यादातर बोली जाती थी. आधुनिक हिंदी के जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र के युग में खड़ी भाषा का और विकास हुआ.

यह वही समय था जब अंग्रेजी संस्कृति का प्रभाव हमारे देश और हमारी भाषा पर पड़ रहा था. हिंदी भाषा के साथ-साथ अंग्रेजी शब्दों का प्रचलन बढ़ने लगा जो आज तक जारी है. मुगल साम्राज्य का पूर्णतया अंत हो जाने की वजह से हिंदी भाषा से धीरे-धीरे उर्दू ,फारसी और अरबी शब्द खत्म होने लग गए. तीनों कालों में हिंदी का इतिहास (History Of Hindi Language) स्वर्णिम बनता गया.

हिन्दी का इतिहास जानना जरुरी क्यों हैं? (Why is it important to know the history of Hindi language?

धीरे धीरे जन-जन की भाषा के रूप में विकसित होती हिंदी को भाषा की जननी कहा जाता है. हमारी राष्ट्रीय भाषा होने के साथ-साथ साहित्य की गरिमा भी है. भारत की राष्ट्रीय भाषा होने के कारण और वर्तमान में हिंदी के बढ़ते प्रभाव के कारण प्रत्येक व्यक्ति को हिंदी भाषा का ज्ञान होना जरूरी है.

यह भाषा भारत से बाहर निकल चुकी है, विश्व के कई बड़े और विकसित देशों में हिंदी को पाठ्यक्रम के रूप में शामिल किया जाने लगा है. और तो और लगातार बढ़ती इंटरनेट की दुनिया में भी हिंदी ने अपना अच्छा खासा मुकाम बना लिया है. आज इंटरनेट के युग में हर चीज अंग्रेजी के साथ साथ हिंदी में भी उपलब्ध है और यदि ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले समय में हिंदी विश्व की मुख्य भाषाओं के रूप में उभर कर सामने आएगी.

अतः सभी को हिंदी का इतिहास (History Of Hindi Language) और हिंदी भाषा के बारे में जानकारी रखना जरूरी है. क्योंकि हिंदी हमारी मातृभाषा है अतः हिंदी का इतिहास जानना आवश्यक है.

हिन्दी भाषा की लिपि कौनसी है?

किसी भी भाषा के लिखने के तौर-तरीकों और प्रणाली को लिपि के नाम से जाना जाता है. हर भाषा की अपनी एक लिपि होती है, ठीक उसी प्रकार हिंदी की भी अपनी लिपि है जिसके द्वारा उसे लिखा जाता है.

हिंदी की लिपि देवनागरी है अर्थात हिंदी देवनागरी लिपि में लिखी जाती है. देवनागरी लिपि को नागरी लिपि या ब्राह्मी लिपि के नाम से भी जाना जाता है. देवनागरी लिपि सिर्फ हिंदी तक सीमित नहीं है हिंदी के अलावा भी मैथिली भाषा, नेपाली भाषा, संस्कृत भाषा, सिंधी भाषा और भोजपुरी भाषा में देवनागरी लिपि का प्रयोग किया जाता है.

देवनागरी लिपि की लेखन प्रणाली की बात की जाए तो यह बाएं से दाएं ओर लिखी जाती है और इसी क्रम में पढ़ी भी जाती है. इस लिपि में लिखे गए शब्दों और उनके उच्चारण में समानता होती है. इसके विपरीत रोमन लिपि में लिखित और उच्चारित शब्दों में अंतर होता है.

हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी लिपि में लिखित प्रत्येक शब्द के ऊपर एक रेखा खींची जाती है जिसे “शिरोरेखा” के नाम से जाना जाता है.

हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी लिपि में 52 अक्षर होते हैं, जो पूर्णतया वैज्ञानिक हैं. इन 52 शब्दों में 14 शब्द स्वर और 38 शब्द व्यंजन होते हैं. भारत की ज्यादातर भाषाएं देवनागरी लिपि में लिखी जाने की वजह से इन्हें कंप्यूटर के प्रोग्राम में परिवर्तित करना बहुत ही सरल है.

हिंदी दिवस और विश्व हिंदी दिवस

प्रत्येक वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है जबकि भारत में हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है. महात्मा गांधी ने हिंदी को विशेष महत्व दिया था उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रभाषा बनाई जाए क्योंकि यह जनमानस की भाषा है.

History Of Hindi Language से ज्ञात होता हैं कि भारत के संविधान में हिंदी भाषा को आधिकारिक भाषा के तौर पर 14 सितंबर 1949 को स्वीकार किया गया था. आधिकारिक तौर पर 14 सितंबर 1953 को पहला हिंदी दिवस मनाया गया था.

हिंदी वर्णमाला क्या है?

हिंदी एक भाषा है जिसकी सबसे छोटी इकाई को हम वर्ण के नाम से जानते हैं. हिंदी वर्णमाला में कुल 52 अक्षर होते हैं. हिंदी वर्णमाला के इन अक्षरों में उच्चारण के आधार पर 45 वर्ण होते हैं, इनमें से भी 10 स्वर (अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ आदि) होते हैं. जबकि लेखन के आधार पर हिंदी में 52 वर्ण होते हैं इनमें 13 स्वर (अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अ:, ऋ आदि ) होते हैं.

हिंदी वर्णमाला के 52 शब्द निम्नलिखित है:- (History Of Hindi Language)

हिन्दी वर्णमाला में निम्न स्वर हैं:- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ

हिन्दी वर्णमाला में निम्न व्यञ्जन हैं:- अनुस्वार- अं विसर्ग: अ:

क, ख, ग, घ, ङ (क, ख, ग़)

च, छ, ज, झ, ञ (ज़, झ)

ट, ठ, ड, ढ, ण (ड़, ढ़)

त, थ, द, ध, न

प, फ, ब, भ, म (फ़)

य, र, ल, व

श, ष, स, ह

हिन्दी वर्णमाला में निम्न संयुक्त व्यञ्जन हैं– क्ष, त्र, ज्ञ, श्र

हिंदी के इतिहास से संबंधित बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्न (F&Q About History Of Hindi Language)-

History Of Hindi Language पर आधारित जरुरी प्रश्न और उनके उत्तर निम्नलिखित हैं-

[1] हिंदी का आविष्कार किसने किया था?

उत्तर- हिंदी का आविष्कार किसी ने नहीं किया था, इसकी उत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई थी.

[2] आधुनिक हिंदी के जनक कौन हैं?

उत्तर- आधुनिक हिंदी का जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र को माना जाता है.

[3] हिंदी भाषा की उम्र कितनी है?

उत्तर- हिंदी की उत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई थी, जिसका समय लगभग सातवीं शताब्दी माना जाता है. अर्थात आज से लगभग 13 सौ वर्ष पूर्व हिंदी का जन्म हुआ था.

[4] हिंदी शब्द किस का दिया हुआ है?

उत्तर- हिंदी शब्द का संबंध संस्कृत शब्द सिंधु से माना जाता है. सिंधु शब्द सिंधु नदी से उत्पन्न हुआ है और इसके आसपास रहने वाले लोगों को हिंदू कहने लगे, जब बाद में अरबी लोग भारत में आए तब यह सिंधु से हिंदू बन गया और इनकी भाषा हिन्दी कहलाने लगी.

[5] हिंदी की परिभाषा क्या है?

उत्तर- अपने आप में विस्तृत अर्थ रखने वाली हिंदी भाषा को परिभाषित करना बहुत मुश्किल है, बस इतना कहा जा सकता है कि यह हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है.

[6] सबसे पहले हिंदी किसने लिखी थी?

उत्तर- सम्राट पृथ्वीराज चौहान के दरबारी कवि चंद्रबरदाई द्वारा 12 वीं शताब्दी में “पृथ्वीराज रासो” नामक काव्य की रचना में हिंदी भाषा का प्रयोग किया गया था.

[7] क्या हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है?

उत्तर- नहीं हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है. संविधान में इसे राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिया गया है.

[8] विश्व हिंदी दिवस सबसे पहले कहां मनाया गया था?

उत्तर- History Of Hindi Language देखी जाए तो हिंदी दिवस सबसे पहले नागपुर में 10 जनवरी 1975 को मनाया गया था.

[9] हिंदी और उर्दू में से पुरानी भाषा कौन सी है?

उत्तर- हिंदी और उर्दू में से पुरानी भाषा हिंदी है.

[10] हिंदी का भविष्य क्या है?

उत्तर- हिंदी का भविष्य बहुत उज्जवल है क्योंकि आने वाले समय में इसका प्रचार प्रसार और बढ़ेगा समय के साथ-साथ इसे बोलने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही हैं. वर्तमान समय में कंप्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा के रूप में हिंदी को स्वीकार किया गया है.

[11] हिंदी भाषा का महत्व क्या है?

उत्तर- वैसे तो सभी भाषाओं का अपना अपना महत्व होता है लेकिन क्योंकि हमारी मूल भाषा हिंदी है अतः यह दुनिया भर में हमें सम्मान, स्वाभिमान और गर्व की अनुभूति करवाती हैं.

[12] विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में हिंदी का कौन सा स्थान है?

उत्तर- हिंदी भाषा विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली तीसरी भाषा है.

[13] विश्व में हिंदी का स्थान कौन सा है?

उत्तर- विश्व में हिंदी का स्थान तीसरा है.

[14] “History Of Hindi Language In Hindi” क्या हैं?

उत्तर- हिंदी का इतिहास हिंदी भाषा में जानना.

दोस्तों उम्मीद करते हैं History Of Hindi Language पर आधारित यह लेख आपको पसंद आया होगा, धन्यवाद.