बागोर की हवेली कहां स्थित है? (bagore ki haveli) जानें बागोर की हवेली का इतिहास।

Bagore ki Haveli/बागोर की हवेली का इतिहास बहुत पुराना है। सबसे पहले आपको बताते हैं कि बागोर की हवेली कहां पर स्थित है। राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित बागोर की हवेली (bagore ki haveli) पिछोला झील केे गंगोरी गेट के दाएं तरफ स्थित है। बागोर की हवेली का निर्माण प्राचीन समय में मेवाड़ राज्य के मंत्री ठा. अमरचंद बड़वा द्वारा करवाया गया था।

जिस तरह उदयपुर की सहेलियों की बाड़ी, पिछोला झील, फतेहसागर झील के साथ ही उदयपुर के सबसे खूबसूरत स्थानों में से एक है बागोर की हवेली। 18 वीं सदी में निर्मित बागोर की हवेली अपनी बनावट के लिए विश्व विख्यात है।

bagore ki haveli

बागोर की हवेली का इतिहास bagore ki haveli history in Hindi.

कहां स्थित है- उदयपुर राजस्थान (पिछोला झील के पास).

निर्माण- 18वीं सदी (1751-1781 ईस्वी के बिच).

निर्माण किसने करवाया- ठा. अमरचंद बड़वा।

कुल कमरे- 138 कमरे।

मुख्य आकर्षण- कांच का काम और बारीक नक्काशी।

इसमें क्या मौजूद है- राजा महाराजाओं के समय के व्यायाम और मनोरंजन के साधन।

बागोर की हवेली का इतिहास देखा जाए तो इसका (bagore ki haveli) निर्माण आज से लगभग 250 से भी अधिक वर्षों पूर्व हुआ था। बागोर की हवेली के निर्माण को लेकर कोई निश्चित जानकारी और ऐतिहासिक तथ्य मौजूद नहीं है लेकिन मोटे तौर पर इसका निर्माण 18वीं शताब्दी में हुआ था।

1751 ईस्वी से लेकर 1781 ईस्वी के मध्य बागोर की हवेली (bagore ki haveli) का निर्माण हुआ, ऐसा कई इतिहासकार मानते हैं। मेवाड़ का इतिहास पढ़ने पर है ज्ञात होता है कि मेवाड़ के राजा शक्ति सिंह ने 1838 ईस्वी में, इस हवेली में निवास करते हुए त्रिपोलिया महल का निर्माण करवाया था।

और यही वजह रही कि आगे चलकर मेवाड़ के राजा शक्ति सिंह के पुत्र सज्जन सिंह ने बागोर की हवेली के निर्माण (bagore ki haveli) का पूरा श्रेय उनके पिता को दिया। यह लगभग 1880 ईस्वी की बात है। इस समय के बाद इस हवेली पर किसी भी राजा ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया।

भारत के आजाद होने से पहले महाराणा भोपाल मेवाड़ के राजा बने। महाराणा भोपाल ने अपने कार्यकाल में बागोर की हवेली (bagore ki haveli) का जीर्णोदार करवाया। संभवतया जीर्णोदार का समय 1930 ईस्वी से लेकर 1955 ईस्वी के मध्य रहा। इसके साथ ही महाराणा भोपाल ने बागोर की हवेली (bagore ki haveli) को विश्राम ग्रह के रूप में मान्यता दी।

आजादी के पश्चात मेवाड़ राज्य का राजस्थान राज्य के रूप में विलय हो गया। इसके बाद बागोर की हवेली (bagore ki haveli) की देखरेख का जिम्मा लोक निर्माण विभाग के पास आ गया।

1986 ईस्वी में बागोर की हवेली का महत्व उस समय और अधिक बढ़ गया, जब पश्चिम क्षेत्र के सांस्कृतिक केंद्रों का मुख्यालय बागोर की हवेली को बनाया गया। वर्तमान समय में केंद्र सरकार की देखरेख में बागोर की हवेली (bagore ki haveli) में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है और इसका ख्याल रखा जाता है।

बागोर की हवेली (bagore ki haveli) में मिले ऐतिहासिक तथ्य और वस्तुएं

जब बागोर की हवेली में सूने पड़े कमरे और आसपास के क्षेत्रों में साफ सफाई का कार्य किया, तब प्राचीन समय का इतिहास तथ्यों के रूप में सामने आया।

मेवाड़ राज्य पर राज करने वाले राजा महाराजाओंं के रहन-सहन और ठाट बाट को प्रदर्शित करते लगभग 200 वर्ष पुराने भित्तिचित्र मिले। स्नानघर, मिट्टी के बर्तन, पीतल के बर्तन और कास्य धातु से बनी कई वस्तुएं प्राप्त हुई हैं।

बागोर की हवेली की खास बात यह है कि इसमें स्थित सभी कमरों को इस तरह से रंगों के माध्यम से सजाया गया है कि यह प्रत्येक मौसम के अनुसार हैं। साथ ही एकदम देखने में प्राकृतिक लगते हैं जो पर्यटकों का मन मोह लेते हैं।

 bagore ki haveli history in Hindi.
बागोर की हवेली में मिले ऐतिहासिक हथियार।

बागोर की हवेली (bagore ki haveli) से संबंधित रोचक तथ्य-

1. बागोर की हवेली उदयपुर में स्थित है।

2. बागोर की हवेली का निर्माण मेवाड़ के प्रधानमंत्री ठाकुर अमरचंद बड़वा की देखरेख में हुआ था।

3. इस हवेली में 138 कमरे हैं, जिनको प्राकृतिक रंगों से हर मौसम के अनुसार सजाया गया है।

4.बागोर की हवेली का निर्माण 18वीं शताब्दी में हुआ, कई इतिहासकारों का मानना है कि इसका निर्माण 1751 ईसवी से लेकर 1781 ईसवी के मध्य में हुआ था।

5. 1871 ईस्वी में महाराणा शक्ति सिंह द्वारा इसका जीर्णोद्धार करवाया गया इसी वजह से उनके पुत्र सज्जन सिंह ने इसके निर्माण का श्रेय अपने पिता को दिया।

6. बागोर की हवेली के मुख्य द्वार पर तीर-कमानें, छुर्रे-भाले, ढालें आदि मौजुद हैं।

7.इसके अलावा बागोर की हवेली में करणशाही और कदलीवन तलवार, पर्शियन ढाल, टोपीदार बंदूक,चमड़े की ढाल आदि देखने को मिल जाते हैं।

8. बागोर की हवेली की साफ सफाई के दौरान ऐसे कई ऐतिहासिक तथ्य और प्रमाण मिले हैं जो मेवाड़ के इतिहास के साथ-साथ इस राजघराने के इतिहास को भी दर्शाते हैं।

9. बागोर की हवेली पिछोला झील के समीप स्थित है।

10. बागोर की हवेली आज भी अपनी बनावट कलाकारी कांच की बारीकी और शिल्प कारी की वजह से प्रसिद्ध है यहां पर देश-विदेश से हजारों की तादाद में पर्यटक हर साल आते हैं।

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