Krishnarao Pant Pratinidhi कृष्णराव पंत प्रतिनिधि का इतिहास।

Krishnarao Pant Pratinidhi / कृष्णराव पंत प्रतिनिधि (जिसे कृष्णजी परशुराम के नाम से भी जाना जाता है) भारत के कोल्हापुर में 17 वीं शताब्दी के मराठा सेनापति और ताराबाई के प्रतिनिधि थे। एक ऐसे सेनापति जिन्होंने आजीवन मराठा साम्राज्य के साथ साथ देश की सेवा में अपना अभूतपूर्व योगदान दिया। ऐसे वीर ,दूरदर्शी ,कल्पनाशील और साहसी सेनापति को इतिहास में कभी वो दर्जा नहीं मिल पाया जिसके वो वास्तव में हक़दार थे। इस आर्टिकल के माध्यम से आप उनके (Krishnarao Pant Pratinidhi) इतिहास ,जीवन और व्यक्तित्व के रूप में जान सकेंगे।

Krishnarao Pant Pratinidhi कृष्णराव पंत प्रतिनिधि का इतिहास और जीवन परिचय-

  • पुरा नाम Full name– कृष्णराव पंत प्रतिनिधि ( Krishnarao Pant Pratinidhi).
  • जन्मवर्ष Birth Year– 1684.
  • जन्मस्थान Birth place– औंध, सतारा (महाराष्ट्र).
  • मृत्युवर्ष death year– NA
  • मृत्युस्थान death place– विशालगढ़ कोल्हापुर (महाराष्ट्र).
  • पिता का नाम Krishnarao Pant Pratinidhi Father’s name– परशुराम पंत प्रतिनिधि।
  • माता का नाम mother’s name– अज्ञात।
  • पद Post- प्रतिनिधि।
  • साम्राज्य Empire– कोल्हापुर ( मराठा साम्राज्य).

बच्चे Krishnarao Pant Pratinidhi children’s-
✓श्रीमंत गंगाधर राव पंत ( shrimant gangadhar rao pant ).
✓श्रीमंत अमृतराव कृष्णजी पंत प्रतिनिधि।
✓श्रीमंत त्र्यंबकराव कृष्णजी पंत।
✓श्रीमंत शिवराम कृष्णजी पंत।

  • Preceded by– परशुराम पंत प्रतिनिधि।
  • Succeeded by– अमृतराव कृष्णजी पंत, प्रतिनिधि।

कुछ लोगों का जन्म इतिहास रचने के लिए होता है, इनमें से एक थे कृष्णराव पंत प्रतिनिधि (Krishnarao Pant Pratinidhi)। जिस तरह मराठा साम्राज्य में पेशवा पद और छत्रपति पद पीढ़ी दर पीढ़ी ज्यादातर समय एक ही परिवार के पास रहा।

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उसी तरह मराठा साम्राज्य के अष्टप्रधान में से एक “प्रतिनिधि पद” भी इस परिवार के साथ जुड़ा रहा। इस परिवार में जन्म लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति ने सेवा भाव के साथ मराठा साम्राज्य के लिए अहम योगदान दिया।

चाहे बात श्रीपतराव पंत पतिनिधि, मोरेश्वर पिंगले, moropant Trimbak pingle, या फिर बात परशुराम पंत प्रतिनिधि की हो सभी ने अपने अभूतपूर्व योगदान से मराठा साम्राज्य के विस्तार और प्रशासन में जो योगदान दिया उसे इतिहास के पन्नों से कभी मिटाया नहीं जा सकता है।

कृष्णराव पंत प्रतिनिधि (Krishnarao Pant Pratinidhi) का जन्म देशस्थ ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

1713 में मराठा साम्राज्य के छत्रपति शाहूजी महाराज प्रथम ने परशुराम त्र्यंबक (कृष्णराव पंत प्रतिनिधि के पीता) को विशालगढ़ जागीर प्रदान की।

परशुराम त्र्यंबक के पास पहले से मरठा साम्राज्य में महत्वपूर्ण उत्तरदायित्वव होने की वजह से उन्होंने निर्णय लिया कि विशालगढ़ जागीर और किले की रक्षा हेतु उनके बेटे कृष्ण राव पंत को भेजा जाए। ताकि उनका कार्यभर भी कम हो जाएगा और बेटा भी प्रशासनिक कार्यों में पारंगत हो जाएगा।

Krishnarao Pant Pratinidhi ने विशालगढ़ जागीर पर कब्जा करने की बजाय संभाजी महाराज द्वितीय (shambhaji maharaj II ) का साथ देने को प्राथमिकता दी।

आक्रामक रवैया, प्रशासनिक कार्यों में कुशलता और पारिवारिक चले आ रहे पद को ध्यान में रखते हुए संभाजी द्वितीय ने कृष्णराव पंत प्रतिनिधि (Krishnarao Pant Pratinidhi) को कोल्हापुर का प्रतिनिधि नियुक्त किया।

जब कृष्णराव पंत प्रतिनिधि को पहली बार प्रतिनिधि बनाया गया तब उनकी आयु लगभग 55 वर्ष थी। क्योंकि यह अपने भाइयों में सबसे छोटे थे, इसलिए इन्हें इस पद तक पहुंचने में इतना समय लगा।

सन 1716 में जब विद्रोह हुआ उसके तुरंत बाद कृष्णजी ने विशालगढ़ जागीर की स्थापना की। विशालगढ़ जागीर के पहले प्रमुख के रूप में कृष्णराव पंत प्रतिनिधि (Krishnarao Pant Pratinidhi) को याद किया जाता है। इन्होंने ताराबाई के प्रतिनिधि के रूप में भी कोल्हापुर को सेवाएं दी थी। इस तरह कोल्हापुर और मराठा साम्राज्य में अपने विशेष योगदान के लिए कृष्णराव पंत प्रतिनिधि (Krishnarao Pant Pratinidhi) को याद किया जाता रहेगा।

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