History Of Sewri Fort || सेवरी फोर्ट इतिहास

Last updated on May 1st, 2024 at 11:11 am

सेवरी किला या सेवरी फोर्ट (Sewri Fort ) का निर्माण ब्रिटिशों द्वारा करवाया गया था। मुंबई के सिवरी नामक स्थान पर ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा बनाए गए इस दुर्ग को “सेवरी किला” (Sewri Fort) के नाम से जाना जाता है। आज से लगभग 340 वर्ष पूर्व सन 1680 ईस्वी में इसका निर्माण किया गया था। उस समय इसका निर्माण रक्षा की दृष्टि से किया गया था।

सेवरी किला (Sewri Fort history in Hindi)

परिचय बिंदुपरिचय
अन्य नामशिवड़ी किला, सिवरी किला (sewree Fort)
कहां स्थित हैसिवरी, मुम्बई
निर्माण वर्ष1680 ईस्वी
निर्माणकर्ता ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा
वर्तमान स्वामित्वपुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग महाराष्ट्र सरकार
निर्माण की वजहसामरिक दृष्टि से
History Of Sewri Fort

प्राचीन समय में भारत में कई ऐतिहासिक किलो और इमारतों का निर्माण किया गया जो सामरिक और व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण थे।

भारत के मुख्य किलो में चित्तौड़गढ़ दुर्ग, भानगढ़ दुर्ग, आगरा का किला, लाल किला, कुंभलगढ़ का किला, आमेर का किला, इलाहाबाद का किला, जैसलमेर दुर्ग, जूनागढ़ किला, जालौर दुर्ग और रणथंबोर दुर्ग आदि के नाम मुख्य तौर पर लिए जाते हैं, लेकिन ब्रिटिश साम्राज्यकालीन सेवरी किला (Sewri Fort) भी बहुत महत्व रखता हैं।

मुंबई स्थित सेवरी किला (Sewri Fort) भी इनमें से एक था। सेवरी किला का निर्माण एक पहाड़ को काटकर किया गया था, जिसका उद्देश्य मुंबई बंदरगाह पर निगाह बनाए रखने हेतु किया गया।
18वीं शताब्दी तक मुंबई और उसके आसपास के क्षेत्र में कई छोटे-छोटे द्वीप मौजूद थे। भारत में अंग्रेजों के साथ साथ पुर्तगाली भी सक्रिय थे।

1661 में पुर्तगालियों ने व्यावसायिक दृष्टि से उनकी राजकुमारी का विवाह इंग्लैंड के “राजा चार्ल्स तृतीय” के साथ कर दिया और दहेज के रूप में सात द्वीप उन्हें दिए। इन तीनो में से एक सेवरी का बंदरगाह भी था जो बहुत ही उत्कृष्ट और योग्य बंदरगाह था। इसको देखते हुए अंग्रेजों ने सूरत से अपने मुख्य कामकाज को हटाकर मुंबई ले आए।

पुर्तगालियों और अंग्रेजों के अलावा दक्षिण अफ्रीका से सिद्दियो ने भी भारत की तरफ रुख किया और ईस्ट इंडिया कंपनी से लोहा लेने के लिए मुगलों के साथ जाकर मिल गए।
सिद्धियों को लगता था कि अगर ब्रिटिश साम्राज्य से लोहा लेना है तो मुगलों को खुश करना होगा इसीलिए उन्होंने मुगलों से मित्रता कर ली।

1672 ईसवी में सिद्दियो ने अंग्रेजों पर आक्रमण कर दिया लेकिन अंग्रेज बहुत ही चतुर और चालाक थे उन्होंने सिद्दियो की किलेबंदी की,1680 ईस्वी में भी सेवरी किला (Sewri Fort) बनकर तैयार हो गया.

इस किले से जोकि island of parel पर बना था, इसकी सहायता से पूर्वी समुद्र तट पर नजर रखी जाती थी। सेवरी किले (Sewri Fort) पर 50 सिपाहियों की एक चौकी थी और उनके ऊपर एक सूबेदार भी था साथ ही इस छोटी सी सैन्य टुकड़ी को 8 से 10 तोपें भी मुहैया करवाई गई थी।

सन 1689 ईस्वी में सिद्दी जनरल यदी सकत (yadi sakat) ने 20000 सैनिकों के साथ मुंबई पर हमला कर दिया। इन्होंने इस किले पर अधिकार कर लिया। इसके साथ ही Mazagon Fort पर भी धावा बोला गया।1772 ईस्वी में एक और युद्ध हुआ जिसमें पुर्तगालियों को पीछे हटना पड़ा, बाद में यह किला कैदियों को रखने के लिए प्रयोग में लिया जाने लगा।

सेवरी किले का वास्तु ( Architecture of Sewri Fort)

जैसा कि आपको इस आर्टिकल के प्रारंभ में बताया कि सेवरी किला (Sewri Fort) का निर्माण मुख्य रूप से रक्षा की दृष्टि से किया गया था। छोटे से पहाड़ को काटकर बनाया गया है, इसमें ऊंची पत्थर की दीवारें चारों तरफ बनी हुई है। साथ ही ऊंचे पत्थरों कि दीवारों को अंदर की तरफ़ भी बनाया गया है जिससे अधिक सुरक्षा मिल सके।

सेवरी किला (Sewri Fort) तीन तरफ से पत्थरों से गिरा हुआ है, इसकी एक चट्टान 60 मीटर बड़ी है। बहुत ही प्राकृतिक रूप से बनाई गई इस किले की बनावट बहुत आकर्षक हैं जो देखने में सुंदरता के साथ साथ सामरिक दृष्टि से भी एकदम परफेक्ट है।

अगर इसके प्रवेश द्वार की बात की जाए तो यह पत्थर से बना हुआ द्वार है जिसको पार करते ही सीधे प्रांगण में पहुंच जाते हैं।इस किले की वास्तुकारिता की बात की जाए तो सामने के दरवाजे से आक्रमण होने पर बचाव के लिए अंदर की तरफ मुख्य द्वार को सीधा रखा गया है।

लंबे गुंबददार गलियारे बने हुए हैं, पांच कोने वाले कमरे और रैखिक गुंबददार संरचनाएं इसकी वास्तु की मुख्य विशेषताएं हैं। वर्तमान समय में यह किला महाराष्ट्र सरकार के अधीन है जिसके अनुरक्षण की जिम्मेदारी पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के पास है। साथ ही ए ग्रेड विरासत में इसे शामिल किया गया है।

“मुंबई फोर्ट सर्किट” परीयोजना के तहत सेवरी किला (Sewri Fort) का जीर्णोद्धार और इसे आम जनता के लिए बहाल करने के प्रयास कई वर्षों से किए जा रहे हैं। वर्ष 2008 में जब इसके जिम्मेदार की योजना बनाई गई तब लगभग 36.5 मिलियन रुपए का बजट पास किया गया था।

अंग्रेजों के आने से पहले महाराष्ट्र में मराठा साम्राज्य का आधिपत्य था जिसमें छत्रपति शिवाजी महाराज और बाजीराव पेशवा प्रथम को इतिहास के सुनहरे पन्नों में लिखा गया है और बहुत ही गर्व के साथ ही याद किया जाता है।