जल नेति क्रिया की विधि, सावधानियाँ-लाभ और पात्र.

Last updated on September 28th, 2023 at 07:08 am

जल नेति एक शरीर शुद्धि योग क्रिया हैं जिसमें नाक की सफाई की जाती हैं. इस योगिक क्रिया से सर्दी-जुकाम, प्रदुषण और साइनस जैसी से बचा जा सकता हैं. यह हठ योग का भाग या प्रथम चरण हैं. बदलते मौसम में शरीर के कुछ अंग इससे प्रभावित होते हैं, मुख्यतया नाक, गला और आंखें ज्यादा प्रभावित होती हैं. आपने देखा होगा कि मौसम बदलने पर नाक बंद होने, छींक आने, आंखों में खुजली महसूस होने, गला बैठने व कंजेशन की समस्या होने लगती है. जलनेति क्रिया करने से इनसे राहत मिल सकती है.

मौसमी बिमारियों से लड़ने में जलनेति क्रिया बहुत मददगार हैं. इस लेख में हम जानेंगे कि जल नेति क्रिया की विधि क्या हैं? इसको कैसे करते हैं? जल नेति क्रिया करते समय कौन-कौन सी सावधानियाँ रखनी चाहिए? इसके क्या लाभ हैं आदि.

जल नेति के लिए आवश्यक सामग्री

जल नेति करने से पहले आपके पास निम्नलिखित सामग्री होनी चाहिए-

1. एक विशेष प्रकार का लौटा जो स्पेशल जल नेति के लिए बना होता हैं, जिसे नेति पात्र के नाम से जाना जाता हैं.

2. इस लौटे में भरने के लिए गुनगुना पानी चाहिए जिसका तापमान रक्तप्रवाह के अनुकूल होना चाहिए साथ यह नाक में बहने जैसा हो.

3. आधा लीटर पानी में एक चाय के चम्मच जितना नमक.

4. नमक पानी में पूर्णतया घुला हुआ होना चाहिए.

जल नेति पात्र खरीदने के लिए यहाँ क्लिक करें Buy Now 

जल नेति कैसे काम करती हैं?

जलनेति क्रिया में नमकीन जल का प्रयोग करने से नासिका के छिद्र के अंदर झिल्ली में रक्तप्रवाह बढ़ता है. जल नेति क्रिया द्वारा नाक में नमकीन जल से नाक की सफाई की जाती है, जिससे साइनस, सर्दी- जुकाम, प्रदूषण से बचा जा सकता है. याद रहे इसको करते समय आधा लीटर पानी में चाय के एक चमच जितना नमक मिलाया जाता हैं.

इस क्रिया में पानी को नेति पात्र की मदद से नाक के एक छिद्र से डाला जाता है और दूसरे से निकाला जाता है. फिर इसी क्रिया को दूसरे नाक से किया जाता है. जलनेति दिन में आप कभी भी किसी भी समय कर सकते हैं. जुकाम की स्थिति में इसे दिन में कई बार कर सकते हैं. इसके निरंतर अभ्यास करते रहने से यह नाक में कीटाणुओं को ख़त्म कर देती हैं.

जल नेति की विधि (jal neti step by step in hindi)

 जल नेति की विधि बहुत आसान हैं. Jal Neti Step by Step करने के लिए आपको निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन करना चाहिए-

1. आधे लीटर (1/2) गुनगुने पानी में आधा चम्मच नमक मिलाकर और नेति पात्र में पानी भर लें. अब आप कागासन की स्थिति में बैठ जाइये. इस दौरान आपके पैरों के बीच लगभग 2 फीट की दूरी बनाकर रखें. कमर से आगे की ओर झुककर, नाक का जो छिद्र उस समय ज्यादा चल रहा हो, सिर को उसकी विपरीत दिशा में झुकाना हैं.

2. लोटे की टोंटी को धीरे-धीरे ज्यादा चल रहे नाक के छिद्र में डालिए, माना की आपने अपने बाएँ नाक में पानी डाल रहे हैं तो अपने सर को धीरे-धीरे दाहिने ओर झुकना हैं. लोटे को भी उतना ही ऊपर उठाना हैं जिससे कि पानी का प्रवाह नाक के छिद्र में ही हो.

3. साँस लेने के लिए मुँह को खुला रखना हैं. क्योंकि नाक से पानी जाएगा तो स्वास लेने के लिए मुँह का खुला रहना जरुरी हैं. यह भी ध्यान रखें की जोर से साँस नहीं लेनी हैं.

4. जो पानी आप नाक के एक छेद से डाल रहे हैं, वह नाक के दूसरे छेद से निकलना चाहिए. यह क्रिया स्वाभाविक रूप से होती रहती हैं यदि आप पानी सही जगह डाले और सर की स्थिति ठीक बनी रहे.

5. आपको लगभग नाक के एक छेद से 20 सेकण्ड्स तक पानी का प्रवाह होने देना हैं.

6. 20 सेकंड्स के पश्चात् आपको लौटा हटा देना हैं, और थोड़ी तेज साँस लेकर नाक को साफ़ करना हैं. यह प्रक्रिया ही जल नेति कहलाती हैं.

7. एक नाक से जल नेति की प्रक्रिया को सही तरीके से करने के बाद आपको यही प्रक्रिया नाक के दूसरे छेद से करनी हैं.

जल नेति कब करना चाहिए?

लोगों के मन में अक्सर यह सवाल उठता हैं कि जल नेति करने का सही समय क्या हैं? इसका जवाब हैं आप प्रतिदिन सुबह के समय जल नेति कर सकते हैं या जुकाम की अवस्था में कभी भी कर सकते हैं.

जल नेति के बाद नासिका को शुष्क करना

जल नेति की प्रक्रिया पूरी होने के बाद नासिका को शुष्क करना भी जरुरी हैं ताकि नासिका की आर्द्रता को ख़त्म किया जा सके. निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन कर आप नासिका को पूर्ण रूप से साफ या शुष्क कर सकते हैं-

[1] सबसे पहले दोनों पैरों को पास में रखकर खड़ा होना हैं और दोनों हाथों को पीठ पीछे बाँधना हैं.

[2] कमर को आगे की तरफ झुकाकर, सर को ऊपर की तरफ ही रखना हैं और इस स्थिति में लगभग 20-30 सेकण्ड्स तक खड़े रहना हैं.

[3] ऐसा करने से नाक में जो पानी होगा वह बाहर आ जायेगा, इस दौरान आप 4-5 छींकने को क़ोशिस कर सकते हैं ताकि नाक एक दम साफ़ हो जाए.

[4] अब आपको पुनः सीधे खड़े हो जाना हैं.

[5] अब नाक के एक छिद्र को हाथ की उंगली से बंद करके दूसरे छिद्र से 20 से 30 बार तेज स्वास लेनी हैं. अब यही क्रिया दूसरे छिद्र से भी करनी हैं.

[6] इस प्रक्रिया से नाक में जल नहीं रहेगा और नाक पूर्ण रूप से शुष्क हो जाएगा.

जल नेति करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ

जल नेति या किसी भी योगिक क्रिया को करते समय सावधानी रखना जरुरी हैं, क्योंकि बिना सावधानी के कोई नुकसान हो सकता हैं. जल नेति करते समय राखी जाने वाली सावधानियाँ निम्न हैं-

1. शुरुआत में जलनेति किसी प्रशिक्षित या योग गुरु के सानिध्य में ही करनी चाहिए.

2. जलनेति क्रिया करने के बाद नाक में पानी नहीं रहना चाहिए अन्यथा सर्दी-जुकाम का खतरा रहता हैं.

3. जलनेति क्रिया के बाद नाक के नथुने या छिद्र बंद हो सकते हैं. बंद होने की स्थिति में साँस लेने में तकलीफ होने लगती हैं जिससे कई तरह के संक्रमण होने और बॉडी का टेम्प्रेचर बढ़ने का खतरा रहता हैं. अतः नाक के दोनों छिद्रों से हवा बाहर निकालना जरुरी हैं.

4. जलनेति क्रिया के बाद नाक को सुखाने के लिए कपालभाति करने से लाभ मिलता हैं.

5. जलनेति क्रिया के तुरंत बाद सोना नहीं चाहिए अन्यथा पानी फेफड़ों में जाकर संक्रमण फैला सकता हैं.

जल नेति क्रिया के लाभ

जलनेति क्रिया के कई लाभ हैं जो निम्नलिखित हैं-

[1] जल नेति क्रिया से सुस्ती आना, सर दर्द और नींद नहीं आने की समस्या से छुटकारा मिलता हैं.

[2] कान और गले की बीमारियाँ दूर होती हैं.

[3] आँखों में जलन और पानी आने की समस्या से निजात मिलती हैं.

[4] नाक की अच्छी सफाई हो जाने से श्वास सम्बन्धी बीमारियाँ दूर होती हैं.

[5] पुरानी सर्दी और दमा जैसी बीमारियाँ ठीक होती हैं.

[6] नासिका में जमा बैक्टीरिया बाहर आ जाते हैं.

[7] बहरेपन को दूर करता हैं.

जल नेति के सामान्य प्रभाव

1. रचनात्मक अवरोध वाले लोग इसको करने में असमर्थ हो सकते हैं, क्योंकि उनकी श्लेष्मा झिल्ली के पानी संपर्क में आने से संवेदना हो सकती हैं हालाँकि कुछ समय बाद यह अपने आप ख़त्म हो जाती हैं.

2. आँखों में लालिमा आना अथवा आँखें लाल होना भी आम बात हैं लेकिन यह भी कुछ समय बाद स्वतः बंद हो जाती हैं.

FAQ

1. जल नेति कितने दिन करनी चाहिए?

उत्तर- जल नेति आप दिन में 2-3 बार कर सकते हैं लेकिन यदि यह सुबह नाश्ता करने से पहले करते हैं तो ज्यादा लाभदायद साबित हो सकती हैं.

2. जल नेति कब नहीं करनी चाहिए?

उत्तर- जिन लोगों के कान में दर्द हैं, नाक से खून निकलता हैं या नाक पर चोट लगी हो तो यह क्रिया नहीं करनी चाहिए.

3. जलनेति करने के बाद क्या करना चाहिए?

उत्तर- जलनेति करने के बाद भस्त्रिका प्राणायाम करना चाहिए, नाक को शुष्क करना चाहिए और कपालभाति भी कर सकते हैं.

4. जल नेति के लिए कौन सा नमक अच्छा है?

उत्तर- जल नेति के लिए सेंधा नमक ज्यादा अच्छा रहता हैं.

यह भी पढ़ें-

लोग वीगन डाइट क्यों अपना रहे हैं?
सोयाबीन का दूध कैसे बनाया जाता हैं?
SBI Life Insurance बेस्ट प्लान.
राजस्थान के मुख्यमंत्रियों की सूचि.
महाराणा प्रताप का सम्पूर्ण इतिहास.
योग क्या हैं?